हरियाणा के तीन विश्वविद्यालयों को विश्व बैंक परियोजना के तीसरे चरण की अनुमति

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चण्डीगढ़, 17 अगस्त :  हरियाणा सरकार ने विश्व बैंक परियोजना के तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यूआईपी) चरण-3 के लिए प्रदेश के तीन संस्थानों नामत: गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय, वाईएमसीए इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, फरीदाबाद (अब वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के रूप में अपग्रेड) और दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल (सोनीपत) को भागीदारी के लिए मंजूरी दे दी है। 
  तकनीकी शिक्षा विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि इन संस्थानों को पूर्व-परिभाषित पात्रता मानदंड और शैक्षिक प्रदर्शन पर चयन की चुनौतीपूर्ण पद्घति के माध्यम से टीईक्यूआईपी चरण-3 के तहत चुना गया है। चयनित संस्थान दोहरी व्यवस्था के माध्यम से फोकस राज्य संस्थानों को सहायता उपलब्ध करवाने के लिए संरक्षक संस्थान के रूप में कार्य करेंगे और स्वयं के विकास के लिए भी काम करेंगे। इसके अन्तर्गत, हरियाणा  से चयनित प्रत्येक संरक्षक संस्थान को सात करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा।
  उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यूआईपी चरण-3) अनुमोदित किया गया है, जिसे एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में कार्यान्वित किया जाएगा। यह परियोजना पहली अप्रैल, 2017 से प्रभावी हो गई है और 31 मार्च, 2020 तक पूरी हो जाने की उम्मीद है।  इसके लिए राज्य सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय के  बीच हुए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने बताया कि उप-घटक 1.3 के अन्तर्गत फोकस राज्यों में भागीदार संस्थानों और एटीयू के क्षमता निर्माण तथा प्रदर्शन सुधार के लिए दोहरी व्यवस्था के तहत टीईक्यूआईपी -1 व टीईक्यूआईपी-2 के तहत बेहतर प्रदर्शन करने वाले संस्थान इसमें भाग ले सकतेे हैं। 
 
  उन्होंने बताया कि विश्व बैंक की सहायता से दीर्घकालिक कार्यक्रम के रूप में वर्ष 2003 में शुरू हुए  तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यूआईपी) को तीन चरणों में कार्यान्वित किया जाना था।  टीईक्यूआईपी का पहला चरण 2003 में शुरू हुआ था जो 31 मार्च, 2009 को समाप्त हुआ। इसके तहत हरियाणा से पांच संस्थानों नामत: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र,  दीनबंधु छोटूराम इंजीनियरिंग कॉलेज मुरथल, वाईएमसीए इंजीनियरिंग संस्थान, फरीदाबाद, गुरु जम्भेशवर विश्वविद्यालय, हिसार तथा राजकीय बहुतकनीकी संस्थान,नीलोखेड़ी को शामिल किया गया था। 
प्रवक्ता ने बताया कि टीईक्यूआईपी का चरण-2, 6 अगस्त, 2010 से शुरू हुआ जिसके तहत प्रदेश से छ: संस्थानों नामत: विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक, एनसी इंजीनियरिंग कॉलेज,इसराना(पानीपत), विज्ञान संकाय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संकाय, दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल(सोनीपत) और इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संकाय, गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार को शामिल किया गया था। 
उन्होंने बताया कि दोनों परियोजनाओं का इन तकनीकी संस्थानों के बुनियादी ढांचे और शैक्षणिक स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। प्रदेश के अधिकतर परियोजना संस्थानों को स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए एनबीए मान्यता मिल गई है। शेष संस्थान एनबीए से मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं। एनबीए मान्यता गुणवत्तापरक शिक्षा का बेंचमार्क है,जोकि वाशिंगटन समझौते के अनुसार विश्व स्तर पर स्वीकार्य है। 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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