कश्मीर के लोगों से पीएम ने की ” मन की बात “

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1965 के युद्ध के समय के आक्रोश से की तुलना

नई दिल्ली : पीएम नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में हुए उरी हमले को लेकर देश में उत्पन्न आक्रोश की तुलना 1965 के युद्ध के समय के आक्रोश से कि है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को फिर दिहराया है कि इस आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को निश्चित तौर पर दंडित किया जाएगा. उन्होंने छायावादी लहजे में यह कहता हुए सख्त कार्रवाई के संकेत दिए कि सेना बोलती नहीं, बल्कि पराक्रम दिखाने में विश्वास रखती है।
कश्मीर के लोगों के लिए अपने संदेश में मोदी ने कहा कि शांति, एकता और सदभाव से ही किसी समस्या का समाधान किया जा सकता है. उन्होंने रेडियो के माध्यम से मन की बात कार्यक्रम का आरम्भ 18 सितम्बर को हुए उरी हमले में शहीद 18 जवानों को श्रद्धांजलि देने के साथ की।

 

दोषियों को दंडित करने कि बात दोहराई

उन्होंने कहा कि यह कायरतापूर्ण कृत्य था जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. देश में शोक भी है और आक्रोश भी. प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह संपूर्ण देश की क्षति है। इसलिए आज मैं फिर दोहराता हूं कि दोषियों को निश्चित रूप से दंडित किया जाएगा। भारतीय सेना की सराहना करते हुए मोदी भरोसाजाते कि वह अपने पराक्रम से ऐसे सभी षडयंत्रों को विफल कर देगी।

11वीं कक्षा के एक छात्र का संदेश पढ़ा

उन्होंने कहा कि सैनिक अदम्य साहस दिखाते हैं ताकि 125 करोड़ लोग शांतिपूर्ण ढंग से रह सकें। मोदी ने बार बार दोहराया कि हमें अपनी सेना पर गर्व है। मन कि बात में पीएम ने 11वीं कक्षा के एक छात्र का संदेश पढ़ा जिसने उरी की घटना को लेकर आक्रोश प्रकट किया था. इस छात्र ने यह संकल्प लिया कि वह रोजाना तीन घंटे अतिरिक्त पढ़ाई करेगा ताकि देश के विकास में योगदान दे सके।

 

मन की बात में पीएम 35 मिनट बोले

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सेना को अपना उत्तरदायित्व निभाना चाहिए, हमें सरकार में अपना कर्तव्य निभाना चाहिए और नागरिकों को देशभक्ति की भावना के साथ रचनात्मक योगदान देना चाहिए तभी देश नयी उंचाइयों पर पहुंचेगा। आज मन की बात में पीएम 35 मिनट बोले. प्रधानमंत्री ने कश्मीर के लोगों से खास तौर पर बात की। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों ने राष्ट्र विरोधी ताकतों से तौबा करना शुरू कर दिया है। वास्तविकता सामने से लोग ऐसी ताकतों से दूरी बनाने लगे हैं. मोदी ने कहा कि सभी लोगों की इच्छा है कि कश्मीर में स्कूल और कॉलेज खुले. साथ ही किसान चाहते हैं कि उनके उत्पाद देश के बाजारों में पहुंचे।

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