निजी मेडिकल कॉलेजों को 10 करोड़ रुपये का बांड भरना होगा : अनिल विज

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गोल्ड फील्ड मेडिकल कॉलेज को अधिगृहित करने का मामला मुख्यमंत्री के विचारधीन

चंडीगढ़, 31 जुलाई :  हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों तथा निजी गैर सहायता प्राप्त मेडिकल संस्थानों से 10 करोड़ रुपये का बांड भरवाया जाएगा ताकि वे गोल्ड फील्ड मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद की भांति बच्चों को अधर में छोडक़र न भाग सकें। 
 
श्री विज ने बताया कि इन कॉलेजों के बच्चों को एडजैस्ट होने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि गोल्ड फील्ड मेडिकल कॉलेज को अधिगृहित करने का मामला मुख्यमंत्री के विचारधीन है, जिसपर शीघ्र निर्णय लिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों तथा निजी गैर सहायता प्राप्त मेडिकल संस्थानों से एमबीबीएस, बीडीएस, बीएएमएस व बीएचएमएस सहित अन्य पाठ्यक्रमों की फीस सीमा निर्धारित की है। इसके पश्चात इनकी फीस संरचना में एकरूपता आने से विद्यार्थियों का वित्तीय शोषण रोका जा सकेगा।
 
 
श्री विज ने बताया कि इनकी फीस के निर्धारण को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी हैं। इसके तहत एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए टयूश्न फीस व विकास शुल्क 10 लाख रुपये वार्षिक तथा एनआरई विद्यार्थियों के लिए आरम्भिक फीस 1.10 यूएस डॉलर तय की गयी है। इससे पहले निजी मेडिकल कॉलेज विद्यार्थियोंं से अपनी सुविधानुसार एवं मनमर्जी की फीस वसूलते थे, जिसपर भविष्य में रोक लग सकेगी। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने निजी विश्वविद्यालयों एवं डीम्ड विश्वविद्यालयों को भी हरियाणा निजी मेडिकल संस्थान के दाखिला, फीस एवं रखरखाव एवं शैक्षणिक मानक अधिनियम 2015 में लाया जाएगा।
 
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि बीडीएस पाठ्यक्रम के लिए टयूश्न फीस 2.80 लाख वार्षिक व एनआरआई विद्यार्थियों के आरम्भिक फीस 44 हजार यूएस डॉलर, बीएएमएस  तथा बीएचएमएस के 1.50 लाख रुपये वार्षिक व 15 प्रतिशत एनआरआई विद्यार्थियों के 25 हजार यूएस डॉलर फीस निर्धारित की है। इसी प्रकार बीपीटी, एमपीटी, बीएससी नर्सिंग व पोस्ट बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए 60 हजार रुपये व 15 प्रतिशत एनआरई विद्यार्थियों के 15 हजार यूएस डॉलर तथा एमएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए 75 हजार वार्षिक व 15 प्रतिशत एनआरई विद्यार्थियों के 15 हजार यूएस डॉलर फीस निर्धारित की गई है। इनमें बीपीटी एव एमपीटी को छोडक़र शेष सभी में फीस की वार्षिक वृद्घि 5 फीसदी हो सकेगी।

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