देश का हर नागरिक राष्‍ट्र निर्माता : रामनाथ कोविंद

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14वें राष्‍ट्रपति के रूप में  रामनाथ कोविंद ने ली शपथ 

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The Chief Justice of India, Shri Justice J.S. Khehar administering the oath of the office of the President of India to Shri Ram Nath Kovind at a swearing-in ceremony in the central hall of Parliament, in New Delhi on July 25, 2017.

नई दिल्ली : देश के 14वें राष्‍ट्रपति के रूप में  रामनाथ कोविंद ने संसद के खचाखच भरे सेंट्रल हॉल में मंगलवार को शपथ ली. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर ने रामनाथ कोविंद को राष्‍ट्रपति पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर महामहिम राष्‍ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी गई . शपथग्रहण के बाद राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने पहले संबोधन में देश के विकास के लिए हर क्षेत्र में काम करने वाले आम लोगों को सच्चा राष्ट्र निर्माता बताया.

उन्‍होंने कहा कि भारत विविधताओं से भरा लेकिन एकजुट हैं. उन्‍होंने कहा कि देश के आम नागरिक ऊर्जा के मुख्‍य स्रोत हैं. देश का हर नागरिक राष्‍ट्र निर्माता है.

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The President-elect, Shri Ram Nath Kovind paying floral tributes at the Samadhi of Mahatma Gandhi at Rajghat, in Delhi on July 25, 2017.

उन्होंने कहा कि भारत की उपलब्धियां ही सदी की दिशा तय करेंगी. आज पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है. किसान, महिलाएं, मजदूर, डाक्टर, इंजिनियर और पर्यावरण रक्षक सभी राष्‍ट्र निर्माता हैं. उन्होंने पुर्व राष्ट्रपतियों के पद चिन्हों पर चलने का वायदा किया और गांधी जी व दीनदयाल के सपनों को साकार करने का आह्वान किया.

इससे पूर्व राम नाथ कोविंद ने राजघाट जाकर महात्मा गाँधी की समाधि पर पुष्प अर्पित क्र श्रधांजलि दी. 

अपने पुराने समय को याद करते हुए उन्‍होंने कहा कि मैं मिटटी के घर में पला- बढ़ा हूं और यहाँ तक पहुँचने की यात्रा बड़ी लम्बी व संघर्ष मय रही है :

 

उनके भाषण का मूल पाठ :

 

आदरणीय श्री प्रणब मुखर्जी जी, 

श्री हामिद अंसारी जी, 

श्री नरेन्द्र मोदी जी, 

श्रीमती सुमित्रा महाजन जी, 

न्यायमूर्ति श्री जे.एस. खेहर जी, 

एक्सीलेंसीज, 

संसद के सम्मानित सदस्यगण, 

देवियो और सज्जनो, और 

मेरे देशवासियो, 

मुझे, भारत के राष्ट्रपति पद का दायित्व सौंपने के लिए मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। मैं पूरी विनम्रता के साथ इस पद को ग्रहण कर रहा हूँ। यहाँ सेंट्रल हॉल में आकर मेरी कई पुरानी स्मृतियां ताजा हो गई हैं। मैं संसद का सदस्य रहा हूं, और इसी सेंट्रल हॉल में मैंने आप में से कई लोगों के साथ विचार-विनिमय किया है। कई बार हम सहमत होते थे, कई बार असहमत। लेकिन इसके बावजूद हम सभी ने एक दूसरे के विचारों का सम्मान करना सीखा। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है। 

मैं एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में पला-बढ़ा हूँ। मेरी यात्रा बहुत लंबी रही है, लेकिन ये यात्रा अकेले सिर्फ मेरी नहीं रही है। हमारे देश और हमारे समाज की भी यही गाथा रही है। हर चुनौती के बावजूद, हमारे देश में, संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल मंत्र का पालन किया जाता है और मैं इस मूल मंत्र का सदैव पालन करता रहूँगा। 

मैं इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ नागरिकों को नमन करता हूँ और उन्होंने मुझ पर जो विश्वास जताया है, उस पर खरा उतरने का मैं वचन देता हूं। मुझे इस बात का पूरा एहसास है कि मैं डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और मेरे पूर्ववर्ती श्री प्रणब मुखर्जी, जिन्हें हम स्नेह से ‘प्रणब दा’ कहते हैं, जैसी विभूतियों के पदचिह्नों पर चलने जा रहा हूँ।

साथियो, 

हमारी स्वतंत्रता, महात्मा गांधी के नेतृत्व में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों का परिणाम थी। बाद में, सरदार पटेल ने हमारे देश का एकीकरण किया। हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने हम सभी में मानवीय गरिमा और गणतांत्रिक मूल्यों का संचार किया। 

वे इस बात से संतुष्ट नहीं थे कि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही काफी है। उनके लिए, हमारे करोड़ों लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता के लक्ष्य को पाना भी बहुत महत्त्वपूर्ण था। 

अब स्वतंत्रता मिले 70 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। हम 21वीं सदी के दूसरे दशक में हैं, वो सदी, जिसके बारे में हम सभी को भरोसा है कि ये भारत की सदी होगी, भारत की उपलब्धियां ही इस सदी की दिशा और स्वरूप तय करेंगी। हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो आर्थिक नेतृत्व देने के साथ ही नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करे। हमारे लिए ये दोनों मापदंड कभी अलग नहीं हो सकते। ये दोनों जुड़े हुए हैं और इन्हें हमेशा जुड़े ही रहना होगा। 

साथियो 

देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है। विविधता ही हमारा वो आधार है, जो हमें अद्वितीय बनाता है। इस देश में हमें राज्यों और क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन-शैलियों जैसी कई बातों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है। हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं और एकजुट हैं। 

21वीं सदी का भारत, ऐसा भारत होगा जो हमारे पुरातन मूल्यों के अनुरूप होने के साथ ही साथ चौथी औद्योगिक क्रांति को विस्तार देगा। इसमें ना कोई विरोधाभास है और ना ही किसी तरह के विकल्प का प्रश्न उठता है। हमें अपनी परंपरा और प्रौद्योगिकी, प्राचीन भारत के ज्ञान और समकालीन भारत के विज्ञान को साथ लेकर चलना है। 

एक तरफ जहां ग्राम पंचायत स्तर पर सामुदायिक भावना से विचार-विमर्श करके समस्याओं का निस्तारण होगा, वहीं दूसरी तरफ डिजिटल राष्ट्र हमें विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचने में सहायता करेगा। ये हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के दो महत्त्वपूर्ण स्तंभ हैं। 

राष्ट्र निर्माण अकेले सरकारों द्वारा नहीं किया जाता। सरकार सहायक हो सकती है, वो समाज की उद्यमी और रचनात्मक प्रवृत्तियों को दिशा दिखा सकती है, प्रेरक बन सकती है। राष्ट्र निर्माण का आधार है—राष्ट्रीय गौरव : 

– हमें गर्व है—भारत की मिट्टी और पानी पर; 

– हमें गर्व है—भारत की विविधता, सर्वधर्म समभाव और समावेशी विचारधारा पर; 

– हमें गर्व है—भारत की संस्कृति, परंपरा एवं अध्यात्म पर; 

– हमें गर्व है—देश के प्रत्येक नागरिक पर; 

– हमें गर्व है—अपने कर्त्तव्यों के निवर्हन पर, और

– हमें गर्व है—हर छोटे से छोटे काम पर, जो हम प्रतिदिन करते हैं। 

साथियो, 

देश का हर नागरिक राष्ट्र निर्माता है। हम में से प्रत्येक व्यक्ति भारतीय परंपराओं और मूल्यों का संरक्षक है और यही विरासत हम आने वाली पीढ़ियों को देकर जाएंगे।

– देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले और हमें सुरक्षित रखने वाले सशस्त्र बल, राष्ट्र निर्माता हैं।

– जो पुलिस और अर्धसैनिक बल, आतंकवाद और अपराधों से लड़ रहे हैं, वो राष्ट्र निर्माता हैं। 

– जो किसान तपती धूप में देश के लोगों के लिए अन्न उपजा रहा है, वो राष्ट्र निर्माता है। और हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए, कि खेत में कितनी बड़ी संख्या में महिलाएं भी काम करती हैं। 

– जो वैज्ञानिक 24 घंटे अथक परिश्रम कर रहा है, भारतीय अंतरिक्ष मिशन को मंगल तक ले जा रहा है, या किसी वैक्सीन का अविष्कार कर रहा है, वो राष्ट्र निर्माता है। 

– जो नर्स या डॉक्टर सुदूर किसी गांव में, किसी मरीज की गंभीर बीमारी से लड़ने में उसकी मदद कर रहे हैं, वो राष्ट्र निर्माता हैं। 

– जिस नौजवान ने अपना स्टार्ट-अप शुरू किया है और अब स्वयं रोजगार दाता बन गया है, वो राष्ट्र निर्माता है। ये स्टार्ट-अप कुछ भी हो सकता है। किसी छोटे से खेत में आम से अचार बनाने का काम हो, कारीगरों के किसी गांव में कार्पेट बुनने का काम हो या फिर कोई लैबोरेटरी, जिसे बड़ी स्क्रीनों से रौशन किया गया हो। 

– वो आदिवासी और सामान्य नागरिक, जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में हमारे पर्यावरण, हमारे वनों, हमारे वन्य जीवन की रक्षा कर रहे हैं और वे लोग जो नवीकरणीय ऊर्जा के महत्त्व को बढ़ावा दे रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं। 

– वो प्रतिबद्ध लोकसेवक जो पूरी निष्ठा के साथ अपना कर्त्तव्य निभा रहे हैं, कहीं पानी से भरी सड़क पर ट्रैफिक को नियंत्रित कर रहे हैं, कहीं किसी कमरे में बैठकर फाइलों पर काम कर रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं। 

– वो शिक्षक, जो नि:स्वार्थ भाव से युवाओं को दिशा दे रहे हैं, उनका भविष्य तय कर रहे हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं। 

– वो अनगिनत महिलाएं जो घर पर और बाहर, तमाम दायित्व निभाने के साथ ही अपने परिवार की देख-रेख कर रही हैं, अपने बच्चों को देश का आदर्श नागरिक बना रही हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं। 

साथियो, 

देश के नागरिक ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, उन प्रतिनिधियों में अपनी आस्था और उम्मीद जताते हैं। नागरिकों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए यही जनप्रतिनिधि अपना जीवन राष्ट्र की सेवा में लगाते हैं। 

लेकिन हमारे ये प्रयास सिर्फ हमारे लिए ही नहीं हैं। सदियों से भारत ने वसुधैव कुटुंबकम, यानि पूरा विश्व एक परिवार है, के दर्शन पर भरोसा किया है। ये उचित होगा कि अब भगवान बुद्ध की ये धरती, शांति की स्थापना और पर्यावरण का संतुलन बनाने में विश्व का नेतृत्व करे। 

आज पूरे विश्व में भारत के दृष्टिकोण का महत्त्व है। पूरा विश्व भारतीय संस्कृति और भारतीय परंपराओं की तरफ आकर्षित है। विश्व समुदाय अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए हमारी तरफ देख रहा है। चाहे आतंकवाद हो, कालेधन का लेन-देन हो या फिर जलवायु परिवर्तन। वैश्विक परिदृश्य में हमारी जिम्मेदारियां भी वैश्विक हो गई हैं। 

यही भाव हमें, हमारे वैश्विक परिवार से, विदेश में रहने वाले मित्रों और सहयोगियों से, दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में रहकर अपना योगदान दे रहे प्रवासी भारतीयों से जोड़ता है। यही भाव हमें दूसरे देशों की सहायता के लिए तत्पर करता है, चाहे वो अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस का विस्तार करना हो, या फिर प्राकृतिक आपदाओं के समय, सबसे पहले सहयोग के लिए आगे आना हो। 

एक राष्ट्र के तौर पर हमने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन इससे भी और अधिक करने का प्रयास, और बेहतर करने का प्रयास, और तेजी से करने का प्रयास, निरंतर होते रहना चाहिए। ये इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष 2022 में देश अपनी स्वतंत्रता के 75वें साल का पर्व मना रहा होगा। हमें इस बात का लगातार ध्यान रखना होगा कि हमारे प्रयास से समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े उस व्यक्ति के लिए, और गरीब परिवार की उस आखिरी बेटी के लिए भी नई संभावनाओं और नए अवसरों के द्वार खुलें। हमारे प्रयत्न आखिरी गांव के आखिरी घर तक पहुंचने चाहिए। इसमें न्याय प्रणाली के हर स्तर पर, तेजी के साथ, कम खर्च पर न्याय दिलाने वाली व्यवस्था को भी शामिल किया जाना चाहिए। 

साथियो, 

इस देश के नागरिक ही हमारी ऊर्जा का मूल स्रोत हैं। मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि राष्ट्र की सेवा के लिए, मुझे इन लोगों से इसी प्रकार निरंतर शक्ति मिलती रहेगी। 

हमें तेजी से विकसित होने वाली एक मजबूत अर्थव्यवस्था, एक शिक्षित, नैतिक और साझा समुदाय, समान मूल्यों वाले और समान अवसर देने वाले समाज का निर्माण करना होगा। एक ऐसा समाज जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय जी ने की थी। ये हमारे मानवीय मूल्यों के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। ये हमारे सपनों का भारत होगा। एक ऐसा भारत, जो सभी को समान अवसर सुनिश्चित करेगा। ऐसा ही भारत, 21वीं सदी का भारत होगा। 

आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद!! 

जय हिन्द!! 

वंदे मातरम्!! 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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