छाज तो बोलै, छलनी भी बोलै, जिसमें सौ-सौ छेद : जवाहर यादव

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हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर साधा निशाना 

 स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के बारे में हुड्डा के बयान को छलावा करार दिया 

एसवाईएल पर 10 साल तक ज़ुबान बंद रखने का लगाया आरोप 

चंडीगढ़ :  हरियाणा हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन जवाहर यादव ने पूर्व सीएम व वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जम कर निशाना साधा है. उन्होंने एस वाई एल के मुद्दे पर हुड्डा की नीयत पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा है कि दस साल तक अपनी सरकार में एसवाईएल मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा आखिर किस मुंह से आज इस पर बात कर रहे हैं ? इस विषय पर बोलते वक्त क्या उन्हें 2004 से 2014 के वो साढ़े तीन हजार दिन याद नहीं आते जब देश और हरियाणा में उनकी पार्टी एसवाईएल के लिए एक कस्सी भी नहीं चलवा सकी ? क्या कांग्रेस पार्टी सोचती है कि हरियाणा के लोग इस बात को भूल गए हैं कि 2004 में जल समझौते रद्द करने वाली पंजाब की सरकार कांग्रेस पार्टी चला रही थी  और उन्हीं कैप्टन अमरेंद्र सिंह को कांग्रेस पार्टी ने फिर से पंजाब में अपना चेहरा बना दिया।

जवाहर यादव ने आशंका जाहिर की है कि कौन मानेगा कि आज जो बात भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा की सड़कों पर घूमकर कह रहे हैं, उसमें थोड़ी सी भी सच्चाई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि हरियाणा के पानी पर कुंडली मारकर बैठने वालों में मुख्य रूप से कांग्रेसी ही हैं, केंद्र वाले, पंजाब वाले और हरियाणा वाले भी। और उनमें हुड्डा का नाम सबसे ऊपर गिना जाएगा क्योंकि सबसे लंबा और एसवाईएल पर जीरो रिजल्ट वाला राज उन्हीं का रहा है।

 स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के बारे में हुड्डा के बयान को छलावा करार देते हुए हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन ने कटाक्ष किया है कि इस मामले में तो उन्हें शर्म से डूब मरना चाहिए क्योंकि अपने 10 साल के राज में ना तो वे स्वामीनाथन रिपोर्ट के बारे में कभी कोई प्रगति करवा पाए और ना ही अपनी खुद की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट की कोई बात लागू करवा पाए। यूपीए और हरियाणा में कांग्रेस की सरकार ने 10 साल तक किसानों को बस झूठे लारे ही दिए। उन्होंने यह कहते हुए याद दिलाया है कि मुख्यमंत्रियों की कमेटी जिसके अध्यक्ष खुद हमारे तब के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे, उस पर तो कभी चर्चा तक नहीं हुई। एक मुख्यमंत्री के लिए यह फजीहत से कम नहीं है कि उनकी रिपोर्ट को उन्हीं की पार्टी की सरकार कचरे की टोकरी में डाल दे और स्वामीनाथन की रिपोर्ट से भी उनकी सरकार हमेशा मुंह मोड़ती रही। किसान नेता कहलवाने का इतना ही शौक है तो उस रिपोर्ट को लागू करवाकर जाते।

उन्होंने दावा किया है कि भाजपा की सरकारें किसानों के हित में ऐतिहासिक और दूरदर्शी सोच वाले फैसले लागू कर रही है। हमारा मकसद उन्हें आत्मनिर्भर और आधुनिक बनाना है, ना कि कांग्रेस की तरह राजनीतिक दलों का पिछलग्गु बनाकर रखना। किसान अन्नदाता है, हम उस पर राजनीति नहीं करते और ना ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार की तरह हमारी नज़र उसकी ज़मीन पर है कि कैसे अधिग्रहण का डर दिखा कर उसे हड़प लिया जाए और चहेते बिल्डर्स को दे दिया जाए।

जवाहर यादव ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कथित जमीन घोटाले की चर्चा करते हुए कहा है कि उनकी करनी उनके सामने आ रही है और जांच आगे बढ़ने के बाद वे काल कोठरी की चारदिवारी में बंद हो सकते हैं। इसी डर में वे मारे-मारे घूम रहे हैं और सियासी ज़मीन बचाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मांग की है कि हरियाणा की जनता की तरफ से मेरी मांग है कि अब वे लोगों के बीच जा ही रहे हैं तो सार्वजनिक रूप से बताएं कि एसवाईएल पर 10 साल उनकी ज़ुबान बंद क्यों थी ? उनकी अध्यक्षता वाली मुख्यमंत्रियों की कमेटी की रिपोर्ट कौन से कूड़ेदान में पड़ी है ? कभी उन्होंने केंद्र को चिट्ठी लिखकर याद भी दिलाया कि एक रिपोर्ट दी थी, उसका क्या हुआ ? ये भी बताएं कि स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने से उनके और मनमोहन सिंह के हाथ किसने रोके थे ?

भाजपा नेता ने हुड्डा पर कई सवाल दागते हुए कहा है कि उन्हें इन सवालों का जवाब देना चाहिए वरना हरियाणा की जनता मान लेगी कि उनका राज हरियाणा और किसानों के हितों को गिरवी रखने वाला रहा था। हम मान लेंगे कि हुड्डा जी अब खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोंच रहे हैं क्योंकि जब वक्त था और उनके हाथ में सत्ता थी, तब तो वे हर दिन अपने दिल्ली दरबार की धोक मारने में ही बिजी रहते थे। किसान नेता बनने का ख्याल तो उन्हें अब आया है, लेकिन हुड्डा जी अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।

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