सरकारी स्कूलों में शिक्षा सुधार के लिए कोर कमेटी गठन करने का निर्देश 

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जिला उपायुक्त ने प्रधानाचार्यों से मांगे सुझाव 

बौद्धिक योग्यता अनुसार कक्षाओं में सैक्शन बनाने पर बल 

गुरुग्राम, 24 मई। गुरुग्राम के राजकीय विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से आज उपायुक्त हरदीप सिंह ने पटौदी, सोहना व फरूखनगर ब्लॉक के विद्यालय प्रभारियों के साथ राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गुरुग्राम में बैठक की। बैठक में प्रधानाचार्यों से इस संबंध में सुझाव मांगे गए ताकि अच्छे सुझावों को बाद में अमल में लाया जा सके। 

उपायुक्त ने कहा कि गुरुग्राम के राजकीय विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में किस प्रकार सुधार लाया जा सकता है, इस पर विचार किया जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की उन्नति वहां के शिक्षा के स्तर पर निर्भर करती है, ऐसे में यह जरूरी है कि बच्चों को राजकीय विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए जरूरी है कि ग्रास रू ट लेवल पर काम किया जाए जोकि विद्यालय प्रभारी कर सकते हैं। इस बैठक में विद्यालय प्रभारियों का बुलाने का मकसद ही यही है कि वे अपने महत्वपूर्ण सुझाव दें ताकि उन्हें अपनाकर बच्चों को अच्छी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके। 
उपायुक्त ने इच्छा जाहिर की है कि विद्यालय प्रमुख अपने स्कूल में बच्चों की बौद्धिक योग्यता अनुसार कक्षाओं के अलग-अलग सैक्शन बनाएं। विद्यालय प्रभारियों को चाहिए कि वे स्कूलों के मेधावी छात्र-छात्राओं के नाम व उनकी उपलब्धियों को ऑनर बोर्ड पर अपने स्कूल में लगाएं ताकि उन बच्चों से दूसरों को प्रेरणा मिले। उन्होंने कहा कि प्रधानाचार्य व शिक्षक अपने स्कूल में पढ़ाई में फिसड्डी बच्चों की पहचान कर उनके लिए विशेष कक्षाएं लगवाएं और उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करें।

 

उन्होंने कहा कि समस्याएं प्रत्येक  विद्यालय में होती हैं और प्रत्येक समस्या का समाधान अवश्य होता है, इसलिए अध्यापक जहां तक संभव हो समस्याओं का अपने स्तर पर ही समाधान करने का प्रयास करें।   उन्होंने बैठक में उपस्थित सभी प्रधानाचार्यों व अध्यापकों से कहा कि  वे अपने स्तर पर एक कोर कमेटी का गठन करें जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी,प्रधानाचार्य व शिक्षक सहित प्रबुद्ध व्यक्ति शामिल हों। ये सभी सदस्य नियमित बैठकें करें और शिक्षा के  स्तर को सुधारने के लिए अपने सुझाव देते रहें। इसमें कोई दो राय नही है कि संसाधनों की कमी है लेकिन इन सीमित संसाधनों द्वारा हम किस प्रकार एक-दूसरे की मदद कर सकते है, इस पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन समस्याओं का समाधान आपस में मिल-बैठकर संभव नही होगा उन्हें मुख्यालय को भेजा जाएगा। 
बैठक में राजकीय उच्च विद्यालय बलेवा के प्रधानाचार्य ने बताया कि उनके विद्यालय द्वारा प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर डायरी सिस्टम को अपनाया गया है। प्रत्येक विद्यार्थी को गृह-कार्य डायरी के माध्यम से दिया जाता है और बच्चे को निर्देश दिए गए है कि वे गृह-कार्य पूरा करने उपरांत डायरी में अपने अभिभावकों के हस्ताक्षर करवा कर लाएं। उन्होंने कहा कि जब से इस प्रणाली को अपनाया गया है तब से बच्चों के अलावा अभिभावक भी नियमित रूप से उनकी डायरी व गृह-कार्य को चैक कर रहें हैं। परिणामस्वरूप उनके विद्यालय में बच्चों की संख्या पहले की अपेक्षा बढ़ी है। 
इस मौके पर विद्यालय प्रमुखों ने अपने विद्यालयों में अध्यापकों की कमी की समस्या भी रखी। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या कम होने के कारण भी बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। इसके अलावा, पहले लागू शिक्षा नीति के अनुसार बच्चों को 8वीं कक्षा तक फेल नही किया जा सकता था जिससे फिसड्डी विद्यार्थी भी प्रमोट होकर अगली कक्षा में चले गए और उनका रूझान पढ़ाई की तरफ कम रहा। अब राज्य सरकार ने मासिक टैस्ट तथा पांचवी व आठवीं में  बोर्ड की परिक्षाएं आरंभ करवाने का फैसला लिया है जिससे बच्चे फिर से पढऩे लगेंगे। 
इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भंडारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलसवाल, संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी व विद्यालय प्रमुख उपस्थित थे। 

 
 
   

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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