डिस्ट्रिक्ट इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग, गुरुग्राम में कार्यशाला का आयोजन
लायंस क्लब गुड़गाँव सिटी के ‘Save Mother Earth’ अभियान से जुड़े हजारों लोग
गुरुग्राम : डिस्ट्रिक्ट इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग गुरुग्राम एवं लायंस क्लब गुड़गाँव सिटी के संयुक्त तत्वावधान में शुरू किए गए अभियान ‘Save Mother Earth’ के अंतर्गत मगलवार 23 मई को डिस्ट्रिक्ट इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग गुरुग्राम में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। सोना यादव ने कार्यक्रम का आरम्भ किया और सम्बंधित विषय की जानाकरी उपस्थित लोगों को दी. कार्यशाला का दौरान अधिकतर वक्ताओं ने पॉलिथीन के विकल्प के रूप में जूट के बैग सहित अन्य परंपरागत प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं से बने बैग के उपयोग पर बल दिया.
कार्यशाला के आरम्भ में सबसे पहले संस्था के छात्र कौशल ने पॉलिथीन के दुष्प्रभावों के बारें में आवश्यक जानकारी दी. उन्होंने इसके उपयोग पर पूर्ण प्रतिबन्ध की वकालत की और कहा कि इसमें सरकार, शैक्षणिक संस्थाएं और जनता तीनों को भागीदार बनना होगा.
इस अवसर पर संस्थान के स्टाफ को पॉलिथीन के दुष्प्रभावों से बचने के तौर तरीके बताते हुए जनहित के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के चेयरमेन लायन डी. वी. तनेजा ने इस बात पर ख़ुशी जाहिर की कि हरियाणा सरकार ने हाल ही में प्रदेश को पॉलिथीन मुक्त बनाने की दिशा में कारगर नीति बनाने का निर्देश जारी किया है. उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सीएम मनोहर लाल ने सम्बंधित विभाग के अधिकारियों से पॉलिथीन का माकूल विकल्प ढूढने को कहा है जिससे लोगों को इस दिशा में आगे बढ़ने को प्रेरित किया जा सके. उन्होंने लायंस क्लब की इस मुहीम के लक्ष्य की चर्चा करते हुए कहा कि हमें वर्तमान के साथ साथ भविष्य की भी चिंता करनी चाहिए. इसलिए लायंस क्लब ने इस विषय को जन जन तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया है. उन्होंने कहा कि इस कड़ी में लायंस क्लब गुड़गाँव सिटी की ओर से शहर के दर्जनों शिक्षण संस्थानों, सामाजिक संस्थाओं और धार्मिक स्थलों पर इस प्रकार की कार्यशालाओं का अयोजन कर हजारों लोगों तक यह सन्देश पहुंचाने का अकाम किया है. उन्होने कहा कि मैं अब तक के अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि इस अभियान का असर अब दिखने लगा है. लोग बड़े बड़े माल्स में भी जूट के बैग लिए देखे जाते हैं. उनके शब्दों में यह लायंस क्लब गुड़गाँव सिटी की टीम के संयुक्त प्रयास का प्रतिफल है.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए लायंन कर्नल एस. के. सोबती ने आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ एवं संतुलित वातावरण मुहैया कराने की जिम्मेदारी का निर्वहन करने की अपील की. उन्होंने कहा कि यह हम दुनिया के देशों ने इसे पूरी तरह नकार दिया है लेकिन भारत अब भी नहीं जगा है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि परम्परागत रूप से हमारे पास इसके कई विकल्प हैं जिन्हें हमें दुबारा अपनाने की जरूरत है. चाहे वह जूट के बाग़ है या फिर कपड़ों के बने थैले. इसके अलावा बांस के बने थैले भी हम सदियों से उपयोग करते आये हैं जिसका वातावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है.
लायंस पब्लिक स्कूल के मैनेजर राजीव कुमार ने ध्यान दिलाया कि पॉलिथीन केवल स्वास्थ्य के लिए ही हानि कारक नहीं, रोजगार नाशक भी है. इसका चलन बढ़ने से हजारों लोगों का रोजगार छिन चुका है. इसका सीधा असर देश के कुटीर उद्योगों पर पडा है. सामान लाने ले जाने के लिए जिन परम्परागत या प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का उत्पादन कुटीर व घरेलू उद्योग के माध्यम से होता था आज वह बंदी के कगार पर है. अगर बात करें खादी ग्रामाद्योग की तो एक समय बड़े पैमाने पर खादी के कपड़े के बने थैले ही उपयोग में लाये जाते थे जो धीरेधीरे समाप्त हो गए. उन्होंने कहा की हमें इस पर दुबारा विचार करने व अपनाने की जरूरत है.
इस अवसर पर लायन अनिल वधवा, वरिष्ठ व्याख्याता पूनम अरोड़ा की उपस्थिति में जूट से बने बैग वितरित किए गए.
संस्थान की प्रधानाचार्या संतोष तंवर ने विश्वास दिलाया कि संस्थान के स्टाफ, अभिभावक व प्रशिक्षुओं में पॉलिथीन का प्रयोग वर्जित करने के लिए जागरूक करेंगी.
अन्त में संस्थान की डी आर यू इंचार्ज पवन वासुदेव ने उपस्थित सभी लोगों का अभार प्रकट करते हुए स्वस्थ एवं स्वच्छ भारत की कामना की।