25 मई को शनि जयंती पर करें शनिदेव की पूजा अर्चना : प.वी के शास्त्री

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 ज्ये25 मई को शनि जयंती पर करें शनिदेव की पूजा अर्चना : प.वी के शास्त्री 2ष्ट अमावस्या को ही हुई थी शनिदेव  की उत्पत्ति 

यह दिन “सिद्ध मुहूर्त के तौर पर माना जाता है

पति की दीर्घायु के लिए महिलायें रखेंगी वट सावित्री का व्रत 

देश के जाने माने सुप्रसिध्द ज्योतिषाचार्य पं वी के शास्त्री के अनुसार 25 मई जयेष्ट मास की अमावस्या को शनि की जयंती है.  शनि जयंती पर शनि भक्ति, दान व गरीबो की सेवा से शनि का ढैया, शनि की साढे साती, जन्म कुड़ली में शनि महादशा व शनि का नीच राशी में रहना जेसे बड़े दोषो से निजात मिलती है. ज्येष्ट अमावस्या को शनि की उत्पत्ति के उल्लेख मिलते हैं .  इसी  दिन को शनि जयंति के रूप में मनाया जाता है. इसलिए “ शनि जयतीं ” को शनि सबंधी पूजा अर्चना और उपायों के लिए यह दिन एक “सिद्ध मुहूर्त के तौर पर माना जाता है ।

इस साल “शनि जयंती ” 25 मई  गुरवार को है और इसी दिन ऩ्याय के देवता शनि देव के मन्दिर में तैलाभिषेक करना, काले तिल, तेल व उडद़ का दान करना व शनि की कथा करना एवं बुजुर्गों की सेवा करने से शनि की कृपा बनी रहती है.

आज कल शनि की साढ़े साती बृश्चिक, धनु व मकर राशि पर तथा शनि ढैया कन्या व वृष राशि पर चल रहा है. शास्त्रों के अनुसार शनि को न्यायाधीश की पदवी भगवान शिव ने प्रदान की थी. शनि जयंती पर शनि हमेशा वक्री रहता है। 25 मई को सूर्य, चंद्र और मंगल एक साथ वृषभ राशि में रहेंगे। शनि धनु राशि में वक्री है। 

‘ पुराणो ‘ के मुताबिक सूर्य की दूसरी पत्नी छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ था। धार्मिक ग्रन्थ बताते हैं कि शनि के श्याम वर्ण को देख़कर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया कि शनि उनका पुत्र नहीं है। जब शनि को इस बात का पता चला तो वह अपने पिता से क्रोधित हो गए। इसी के चलते शनि और सूर्य में बैर की बात कहीँ जाती है। शनि ने अपनी साधना और तपस्या से भगवान शिव को प्रशन्न कर लिया ओर कर्मों के अनुसार दंड देने का वरदान भगवान शिव से प्राप्त कर लिया.

शनि तुला ऱाशि में उच्च का व मेष राशि में नीच का फल देता है . शनि का रत्न नीलम है. शनि का लोहा, श्रमिक उद्योग ,जगंल,  बीमारी, जन आन्दोलन व कर्मों  के अनुसार फल देने पर पूर्ण अधिकार  है.

इन राशियों पर है शनि का प्रभाव
वृषभ- ढय्या
कन्या- ढय्या
वृश्चिक- साढ़ेसाती
धनु- साढेसाती
मकर- साढ़ेसाती

प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं वी के शास्त्री के अनुसार शनि जयंती के दिन सत्य व न्याय व गरीबों की सेवा करने के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए.

ख़ास संयोग :

इस 25 मई 2017 को वर्षों बाद एक ऐसा ख़ास संयोग बन रहा है. इससे यह तिथि धार्मिक तौर पर विशेष महत्व का बन रहा है. इस तिथि को एक तरफ देशभर में शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा अर्चना होगी वहीँ दूसरी तरफ महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री का व्रत रखेंगी. इसी दिन यानी  25 मई को ही नौतपा भी शुरू हो रहा है. आकलन बताता है कि इन तीनों का संयोग कई वर्ष बाद बना है.

 

कहा जाता है कि इस दिन शनि देव के पिता सूर्यदेव अपने प्रचंड रूप में आते हैं. अगले नौ दिन तक सूर्य पृथ्वी के नजदीक होते हैं और धरती के वातावरण बेहद गर्म कर देते हैं. सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं. तिथि अनुसार सूर्य रोहिणी नक्षत्र में शाम 7 बजकर 53 मिनट में प्रवेश करेगा. नौतपा के आरम्भ  में ही सूर्य, मंगल की युति का शत्रु राशि शनि से षडाष्टक योग बनेगा.

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :  

पं वी के शास्त्री, ज्योतिषाचार्य

1536 सैक्टर 16 फरीदाबाद, हरियाणा  

मो. : 9810183061

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