पंडित संदीप परासर
चंद्रग्रहण16 सितंबर 2016
16-17 सितंबर- चंद्र ग्रहण यह ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा। आंशिक रूप से यूरोप, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक और अंटार्कटिका में दिखेगा।
16 सितंबर को भारतीय समयानुसार ग्रहण का समय- सूतक लगेगा: 22:24 बजे ग्रहण चरम पर: 00:24 बजे सूतक समाप्त होगा: 02:23 बजे, 16 सितंबर 2016 को रात्रि के 10 बजकर 24 मिनट पर सूतक लग जायेगा। रात्रि 12 बजकर 24 मिनट पर ग्रहण अपने चरम पर होगा और रात्रि काल मे ही 2 बजकर 23 मिनट पर सूतक समाप्त हो जायेगा। उपच्छाया ग्रहण खाली आँख से नहीं दिखेगा।
ग्रहण के समय बरती जाने सावधानियां
भविष्यपुराण, नारदपुराण आदि कई पुराणों में चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के समय अपनाने वाली सावधानियों के बारें में बताया गया है।
→ गर्भवती महिलाओं को भगवान का ध्यान करना चाहिए। ग्रहण के वक्त पृथ्वी पर पड़ने वाली किरणों का असर बाहर ज्यादा होता है, न कि घर के अंदर। इसलिये बेहतर है गर्भवती घर के अंदर रहे। कोई भी धार्मिक ग्रंथ पढ़े।
→ कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए।ग्रहण के वक्त पानी पीने से गर्भवती को डीहाइड्रेशन हो जाता है। बच्चे की त्वचा सूख जाती है। ग्रहण के वक्त प्रकाश की किरणों मे विवर्तन होता है। इस कारण कई हजार सूक्ष्म जीवणु मरते है और कई हजार पैदा होते हैं। इसलिये पानी दूषित हो सकता है।
→ ग्रहण को देखें नहीं।नग्न आंखों से ग्रहण नहीं देखना चाहिये। जी हां प्रकाश की किरणों मे होने वाले विवर्तन का प्रभाव आंखों पर पड़ सकता है। गर्भवती की आंखे अच्छी रहनी चाहिये।
→ शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय मल-मूत्र त्यागने से घर मे दरिद्रता आती है। इसलिए ग्रहण के समय मल मूत्र के त्याग से बचना चाहिए। इसलिए ग्रहण से पहले ऐसा भोजन नहीं करें कि ग्रहण के दौरान मल मूल करना पड़े।
→ ग्रहण के वक्त गर्भवती महिला को सोना नहीं चाहिये। बजाये उसके घर के अंदर ऊंचे स्वर मे मंत्रों का जाप किया जाना चाहिये। खुजली नहीं करनी चाहिए।
→ क्रोध और तनाव को स्वयं पर हावी न होने दें। प्रसन्न रहे। ग्रहण के समय किसी भी मंत्र का जाप लाभकारी होता है क्योंकि ग्रहण के वक्त पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा पड़ती है। मंत्रों के उच्चारण मे उठने वाली तरंगें घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान अंधेरे मे अगर आप सुई का प्रयोग करेंगी, तो डोरा डालते वक्त आंखों पर स्ट्रेस पड़ेगा। गर्भावस्था मे किसी भी प्रकार का तनाव खराब होता है। ग्रहण के वक्त सुई का प्रयोग करने से होने वाले बच्चे के हृदय मे छिद्र हो सकता है।
→ किसी के ऊपर हाथ न उठाएं विशेषकर किसी बालक पर। झुकने वाले काम न करे।
→ योगासन अथवा व्यायाम नहीं करना चाहिए।ग्रहण के समय भोजन और तेल मालिश करने से व्यक्ति अगले जन्म में कुष्ठ रोग से पीड़ित हो सकता है।
→ चाकू से किसी भी वस्तु को काटना नहीं चाहिए।पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान कई स्थानों पर अंधेरा हो जाता है। धार-दार वस्तुएं गर्भवती महिला को हानि पहुंचा सकती है। इसीलिये इनका प्रयोग वर्जित है।
→ ताला अथवा कुड़ी नहीं लगानी चाहिए। नाड़ा नहीं बांधना चाहिए। ग्रहण के बाद स्नान कोई जरूरी नहीं, लेकिन अगर आप ग्रहण के वक्त बाहर रहे है, तो स्नान से विषाणुओं से दूर रह सकते हैं। वैसे भी गर्भ में पल रहा बच्चा हमेशा सेंसिटिव होता है।ग्रहण के बाद गर्भवती महिला को स्नान करना चाहिये। अन्यथा बच्चे को बीमारी लग सकती है।
→ शास्त्रो के अनुसार ग्रहण के समय मैथुन करने से व्यक्ति अगले जन्म मे सूअर की योनि में जन्म लेता है।
→ ग्रहण के समय किसी से धोखा या ठगी करने से अगले जन्म में सर्प की योनि मिलती है।
→ जीव-जंतु या किसी जीव जंतु को मारने से कीड़े-मकड़ों जैसी नीच योनियों में जन्म मिलता है।