गड्ढों से हड्डियां हिली और धूल से सांसे फूली!

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आंखों में रडक़ा और सांस लेने में होने लगी परेशानी

बरसात तो गई लेकिन विभाग की आंख नहीं खुली

गुडग़ांव/ हेलीमंडी। बरसात तो गई, लेकिन मंत्री के वादे के मुताबिक विभाग को अभी तक खस्ता हाल सडक़ की याद नहीं आई है। यह खस्ता हाल सडक़ है, बिलासपुर से कुलाना के बीच हेलीमंडी क्षेत्र में। करीब एक किलो मीटर सडक़ पहले तो बरसात में अब बिना बरसात के ही आम लोगों के लिए जी का जंजाल बन गई है।
सडक़ पर बने हुए खतरनाक गड्ढों के कारण वाहन चालकों और सवारियों की हड्डियां भी हिलाना शुरू हो गई हैं। दिन में भी बहुत संभलकर और बचकर निकलना लोगों के लिए इस व्ययस्त सडक़ के कारण चुनौती बना हुआ है। रात के समय अंधेरा होने से वाहन चालकों खास तौर से दो पहिया और थ्री व्हीलर चालकों के लिए समस्या सहित चुनौती बनी है। रोजाना हेलीमंडी क्षेत्र में करीब एक किलो मीटर टूटी सडक़ पर दिनभर में कई हादसे होने का सिलसिला बना हुआ है। छोटे वाहनों में यात्रा करने वाले लोगों में बुजुर्गो अथवा बड़ी उम्र के लोगों को गड्ढ़ों के झटकों के कारण सबसे अधिक परेशनी कमर दर्द के रूप में झेलनी पड़ रही है। कई बार तो झटका इतना जबरदस्त लगता है कि थ्री व्हीलर में बैठी सवारी का सिर छत से जा टकराता है, एेसे में चालक को भलाबुरा भी सुनना पड़ता है। एेसी ही शिकायतें लगातार दो पहिया चालकों के द्वारा की जाने लगी है।
इसे भी बड़ी परेशानी यहां वाहनों के अवागमन से उडऩे वाले धुल के गुबार को लेकर झेलनी पड़ रही है। सुबह के समय बाग वाली कालोनी, सीताराम कालोनी व अन्य मोहल्लों के छोटे बच्चें सडक़ किनारे अपनी स्कूल बसों का इंतजार करते हुए नाक और आंख बंद करने को मजबूर हो रहे हैं। आसपास की कालोनी में रहने वाले हरबंस, प्रदीप यादव, सुरेंद्र सिंह, बलराम सहित सडक़ किनारे के दुकानदार यश गोयल, लालसिंह मिर्जापुर, नरेश यादव, राव दिनेश सिंह, नवीन बिट्टू मित्तल, पूर्व चेयरमैन राव राममेहर, सहित अन्य दुकानदार-व्यवसायियों का कहना है कि, काउंटर पर बैठे-बैठे दिनभर में इननी घूल और रेत आती है कि अक्सर सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। कई बार तो दम घुटने जैसा महसूस होता है और तेज खांसी भी आने लगती है। खरददारी के लिए आने वाले ग्राहक भी परेशान हो रहे हैं।
अस्पताल में आने वाले भी परेशान
यहीं पर ही स्थित भगवान महावीर राजकीय सामान्य अस्पताल में उपचार सहित दवा के लिए आने वाले महिला, पुरूष, बच्चे, बुजुर्ग सभी परेशान हैं। गर्भवती महिलाएं और शिशुओं को टीके-इंजेक्शन लगवाने के लिए वाहनों से आने वाली माताएं भी सडक़ के गड्ढ़ों सहित उड़ते घूल के गुबार से परेशान हो रही हैं। लोगों का कहना है कि बीते कुछ माह के दौरान अनेक लोगों ने सांस फूलने व दमा होने जैसी शिकायते की हैं, और आंखों में धुल से होने वाली परेशानी की दवाई तक लेने को मजबूर हो गए हैं।

जनता की क्या है मांग ?

गड्ढ़ों और धूल से परेशान लोगों की पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों से मांग है कि, जी का जंजाल बनी सडक़ के निर्माण को जल्द से जल्द शुरू किया जाए। जब तक निर्माण कार्य श़रू नहीं किया जा रहा है तो यहां सडक़ पर दिन भर उडऩे वाली रेत और धूल को रोकने के लिए दिन में कम से कम तीन बार पानी का सडक़ पर छिडक़ाव कराया जाए, इससे परेशान लोगों को राहत तो मिलेगी।

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