सच्चाई की मिसाल हैं गुरु रविदास : मदन तंवर

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“मन चंगा तो कठौती में गंगा”

यूनुस अलवी

मेवात:शुक्रवार को नुहं रविदास भवन में 640 वां रविदास जयंती समारोह का आयोजन किया गया और शाम को गुरु रविदास की झांकियों से पूरा नुहं कस्वा झूम उठा जिला कांग्रेस कमेटी एससी सेल के अध्यक्ष मदन तँवर ने संत गुरु रविदास जी को श्रधांजलि अर्पित की और समारोह को सम्बोदित करते हुए बताया कि अपनी रचनाओं के प्रभाव से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने वाले संत कुलभूषण ज्ञानाश्रयी शाखा के महान कवि थे गुरु रविदास 15 और 16 वी शताब्दी में भक्ति अभियान के उत्तर भारतीय आध्यात्मिक सक्रीय कवी-संत थे. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में उन्हें गुरु कहा जाता है.

और रविदास जी के भक्ति गीतों ने भक्ति अभियान पर एक आकर्षक छाप भी छोड़ी थी. वे एक कवी-संत, सामाजिक सुधारक और आध्यात्मिक व्यक्ति थे. रविदास 21 वि शताब्दी में गुरु रविदास जी धर्म के संस्थापक थे, गुरु रविदास जी के भक्ति गीतों में सिक्ख साहित्य, गुरु ग्रन्थ साहिब शामिल है. पञ्च वाणी की दादूपंथी परंपरा में भी गुरु रविदास जी की बहोत सी कविताये शामिल है. गुरु रविदास ने समाज से सामाजिक भेदभाव और जाती प्रथा और लिंग भेद को हटाने का बहोत प्रभाव पड़ा. तँवर ने बताया कि गुरु रविदास एक सच्चे भक्त भी थे उनकी सच्ची भक्ति के कारण ही गंगा स्वयं ही उनकी कठौती में प्रकट हुईं उनके अनुसार हर एक समाज में सामाजिक स्वतंत्रता का होना बहोत जरुरी है.

इस मौके पर पूर्व तहसीलदार बाबु यादराम, बाबु रामकिशन, एडवोकेट रतन सिंह, उदल मेहरा, बलवीर, प्रकाश, टेकचंद छोङकर, सहिद कुरैशी, फकरुद्दीन कुरैशी, रामशरण, रोहताश तँवर और सेंकडो लोग मौजूद थे.

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