नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए अब डिजिटल व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन रूल्स 2025 का मसौदा तैयार किया है. इसे केन्द्रीय एल्क्ट्रोनिक एंड आई टी मंत्रलय की वेबसाइट पर अपलोड कर आम लोगों से सुझाव मांगे गए हैं . इसे गत 3 जनवरी 2025 को अपलोड किया है जिस पर सुझाव देने की अंतिम तारीख आगामी 18 जनवरी 2025 तक निर्धारित की गई है .
क्या है डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम मसौदा ?
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियमों के मसौदे का उद्देश्य नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के अधिकारों की रक्षा करना है।
ये नियम डिजिटल व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करेंगे
ये नियम भारत सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (डीपीडीपी अधिनियम) को क्रियान्वित करने में मददगार साबित होंगे।
इसे सरल और स्पष्ट भाषा में तैयार किया गया है .
ये नियम तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
इन नियमों का मकसद विनियमन यानी एक्सचेंज और स्टार्ट अप यानी नवाचार के बीच सही संतुलन स्थापित करेंगे .
इस नियम से डीपीडीपी अधिनियम 2023 के अनुसार नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना संभव होगा.
भारत के बढ़ते स्टार्ट अप या नवाचार इको सिस्टम का लाभ सभी नागरिकों और भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को उपलब्ध हो सकेगा ।
इसके माध्यम से डेटा के अनाधिकृत व्यावसायिक उपयोग, डिजिटल हानि और व्यक्तिगत डेटा उल्लंघनों जैसी प्रमुख और कठिन चुनौतियों का भी समाधान किया जा सकेगा.
प्रमुख विशेषताऐं क्या हैं ?
नागरिकों को केंद्र में रखकर इन नियमों के मुताबिक संपूर्ण डेटा सुरक्षा ढांचा बनाया गया है।
व्यक्तिगत डेटा कैसे संसाधित किया जाता है, डेटा के मालिक को इसके बारे में स्पष्ट और सुलभ जानकारी प्रदान करनी होगी और सहमति लेनी होगी ।
नागरिकों को डेटा मिटाने की मांग करने और डिजिटल नॉमिनी नियुक्त करने का भी अधिकार होगा .
नागरिकों को अपने डेटा को प्रबंधित करने के लिए अनुकूल तंत्र बनाने का मजबूत अधिकार होगा. इसे और सशक्त बनाया जाएगा .
ये नियम नागरिकों को उनके डेटा पर अधिक नियंत्रण देकर सशक्त बनायेंगे ।
सहमति लेना अनिवार्य , डेटा मिटाने का अधिकार और शिकायत निवारण के प्रावधान भी इसमें शामिल है.
इस प्रावधानों से नागरिकों का डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर विश्वास बढ़ेगा।
माता-पिता और अभिभावक अपने बच्चों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिकृत और सशक्त होंगे ।
विश्व के नियमों से अलग कैसे ?
भारत का मॉडल, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए नवाचार को बढ़ावा देने और विनियमन के बीच एक अनोखा संतुलन बनाता है। प्रतिबंधात्मक वैश्विक ढांचे के उलट, ये नियम नागरिकों के कल्याण को प्राथमिकता देते हुए आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देंगे. हितधारक इसे डेटा गवर्नेंस के लिए एक नए वैश्विक उदाहरण के रूप में देखते हैं।
इस व्यवस्था में छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप के लिए अनुपालन के कम दबाव की परिकल्पना की गई है। इसके तहत सभी के लिए पर्याप्त अवधि प्रदान की जाएगी, ताकि छोटे उद्यमों से लेकर बड़े कॉरपोरेट, तक सभी हितधारक नए कानून का अनुपालन करने के लिए सुचारू रूप से बदलाव कर सकें।
ये नियम “डिज़ाइन द्वारा डिजिटल” दर्शन पर आधारित हैं।
इस नियम के तहत सहमति तंत्र, शिकायत निवारण और डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना की जायेगी.
बोर्ड एक डिजिटल कार्यालय के रूप में कार्य करेगा, जिसमें एक डिजिटल प्लेटफॉर्म और ऐप होगा.
यह नागरिकों को डिजिटल रूप से संपर्क करने और उनकी भौतिक उपस्थिति की ज़रुरत के बिना, उनकी शिकायतों का निपटारा करने में सक्षम करेगा।
इसके तहत डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का डिजिटल कार्यालय, शिकायतों का त्वरित और पारदर्शी समाधान सुनिश्चित करेगा।
इसमें चूक के लिए जुर्माना लगाने का भी प्रावधान होगा .
जुर्माना लगाते समय बोर्ड को चूक की प्रकृति और गंभीरता, प्रभाव को कम करने के लिए किए गए प्रयास आदि जैसे कारकों पर विचार करना ज़रुरी होगा ।
इसके अलावा, डेटा मालिक कार्यवाही के किसी भी चरण में स्वेच्छा से अंडरटेकिंग दे सकता है, जिसे यदि बोर्ड द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है तो उसे रद्द कर दिया जाएगा।
यह व्यक्तिगत डेटा संसाधित करने वालों के लिए एक निष्पक्ष न्यायिक ढांचा प्रदान करते हुए, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने की ज़रुरत को संतुलित करता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कानून बनाने के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप, माय गॉव प्लेटफॉर्म के माध्यम से 18 फरवरी 2025 तक जनता और हितधारकों से प्रतिक्रिया/टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।
महत्वपूर्ण लिंक जारी किये गए है :