चुनाव में ऑडियो/वीडियो, वॉइस कॉल्स व बल्क एसएमएस से प्रचार के लिए मीडिया कमेटी से लें अनुमति : डीसी

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– अनुमति के लिए डीआईपीआरओ कार्यालय में कर सकते हैं संपर्क, उम्मीदवार के खाते में जुड़ेगा प्रचार का खर्च

गुरूग्राम, 20 सितंबर। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं डीसी निशांत कुमार यादव ने कहा है कि विधानसभा आम चुनाव में प्रचार के दौरान प्रत्याशी की ओर से प्रचार के लिए इस्तेमाल में ली जाने वाली ऑडियो/वीडियो प्रचार सामग्री, वॉइस कॉल्स व बल्क में भेजे गए एसएमएस का खर्च उसी के चुनाव खर्चे में जोड़ा जाएगा। ये स्त्रोत ऑडियो वीडियो संदेश, टेक्स्ट एसएमएस आदि किसी भी प्रकार के हो सकते हैं।


जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश अनुसार जिला में गठित मीडिया मानिटरिंग कमेटी पूरी सजगता के साथ प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों पर निरंतर निगरानी रख रही है। उन्होंने बताया कि जो उम्मीदवार चुनाव के दौरान ऑडियो/वीडियो प्रचार सामग्री, वॉइस कॉल्स व बल्क एसएमएस की सुविधा इस्तेमाल करने का इच्छुक है। उसे इसके लिए एमसीएमसी कमेटी से सर्टिफाइड रूप में अनुमति लेनी होगी। उन्होंने बताया कि विधानसभा आम चुनाव को स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण प्रक्रिया के साथ संपन्न करवाने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है।

डीआईपीआरओ बिजेंद्र जोकि मीडिया मानिटरिंग कमेटी के सदस्य भी हैं ने बताया कि जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा बताए गए उपरोक्त प्रचार माध्यमों की अनुमति के लिए लघु सचिवालय के छठे तल पर स्थित डीआईपीआरओ कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आयोग की ओर से सोशल मीडिया के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।


स्क्रीन पर दिखाई जाने वाली क्लिप, वॉइस कॉल्स, यूट्यूब चैनल्स पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन आदि की सामग्री कमेटी द्वारा सर्टिफाइड होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि
मतदान की समाप्ति से 48 घंटे पहले तक की अवधि के दौरान राजनीतिक प्रकृति के बल्क में एसएमएस भेजने व फ़ोन कॉल्स पर प्रतिबंध रहेगा। चुनाव प्रचार के दौरान मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को ऐसे वॉइस कॉल्स व बल्क एसएमएस की जानकारी मीडिया मॉनिटरिंग कमेटी के संज्ञान में लाने के निर्देश दिए गए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान आपत्तिजनक एसएमएस भेजने व ऑडियो वीडियो प्रचार करने पर एमसीएमसी कमेटी की कड़ी नजर रहेगी। किसी उम्मीदवार पर व्यक्तिगत आक्षेप, किसी जाति, धर्म पर गलत टिप्पणी की गई तो संबंधित स्त्रोत का पता लगाकर उसके खिलाफ नियमानुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।

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