-एस बी आई को चुनावी बांड का विवरण देने के लिए नहीं मिला अतिरिक्त समय
-कोर्ट ने 12 मार्च तक चुनाव आयोग को पूरा व्योरा उपलब्ध करवाने को कहा
-चुनाव आयोग 15 मार्च तक सारी जानकारियाँ पोर्टल पर साझा करेगा
नई दिल्ली : चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान भारतीय स्टेट बैंक को बड़ा जह्नेताका लगा . देश की सर्वोच्च अदालत ने एस बी आई को चुनावी बांड से सम्बंधित सभी जानकारियाँ 12 मार्च तक यानी (अगले एक दिन में ) कल तक इलेक्शन कमीशन को सौंपने का आदेश दिया . एस बी आई की ओर दायर याचिका नें यह ब्योरा देने के लिए और वक्त की मांग की गई थी जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी पूछा कि इसमें दिक्कत क्या आ रही है ? कोर्ट ने कहा कि बैंक के पास तो सीलबंद लिफाफा है. ऐसे में वह उसे खोले और सुप्रीम कोर्ट को आंकड़ा उपलब्ध कराए . साथ ही सारी जानकारियाँ इलेक्शन कमीशन 15 मार्च तक इसे पोर्टल पर जारी करनी होगी .
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी एसबीआई की ओर से दी गई उस याचिका की सुनवाई के दौरान आई. इस याचिका में एस बी आई की ओर से राजनीतिक दलों की ओर से भुनाए गए चुनावी बॉन्ड की डिटेल जानकारी देने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाए जाने को लेकर गुजारिश की गई थी. एसबीआई की तरफ से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा कि “हमने अतिरिक्त समय का अनुरोध किया है. हमने आदेश के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड जारी करना भी बंद कर दिया है. हमें आंकड़ा देने में कोई समस्या नहीं है. हमें सिर्फ उन्हें व्यवस्थित करने में कुछ समय लगेगा. इसका कारण यह है कि हमें पहले बताया गया था कि यह गुप्त रहेगा. इसलिए बहुत कम लोगों के पास इसकी जानकारी थी. यह बैंक में सबको उपलब्ध नहीं था.”
एस बी आई के वकील की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि “हमने पहले ही एसबीआई को आंकड़ा जुटाने को कहा था. उस पर अमल किया गया होगा. फिर क्या समस्या आ रही है. हमने उसे व्यवस्थित करने के लिए नहीं कहा था.” जवाब में एसबीआई के वकील ने कहा, “क्रेता का नाम और खरीद का आंकड़ा अलग रखा गया है.” इस पर आगे सीजेआई बोले कि लेकिन सारे आंकड़े मुंबई मुख्य ब्रांच में हैं, जबकि जस्टिस खन्ना ने कहा- जहां तक जानकारी है, उस हिसाब से आपके (बैंक) पास सील लिफाफे में सारी चीजें हैं. आप सील खोलिए और आंकड़ा उपलब्ध कराइए. इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. ”
एस बी आई की ओर से कहा गया कि बांड खरीदने वाले का नाम देने में दिक्कत नहीं है. केवल तारीखों से मिलान में समय लग रहा है. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोर्ट ने आदेश तो 15 फरवरी, 2024 को दिया था . इसमें एसबीआई को यह बताना चाहिए था कि इस मामले में अब तक क्या किया गे है . एस बी आई के वकील ने तर्क दिया कि हमने अगर सही तरीके से आंकड़ा नहीं दिए तो क्रेता हम पर मुकदमा कर सकता है.” मुख्इय न्सयायाधीश ने कहा कि ” ठीक है. अब तक हमें जो चुनाव आयोग ने उपलब्ध कराया है, उसे हम अभी सार्वजनिक कर देते हैं. आप बाकी मिलान करते रहिएगा.”
स्टेट बैंक के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि ” हमने आंकड़े अलग रखे. अब अगर किसी खरीद पर गलत नाम लिख दिया गया तो यह भारी गलती होगी. ऐसे में कुछ समय दिया जाए. हम बॉन्ड का नंबर, खरीदने वाले का नाम और उसकी राशि 3 हफ्ते में दे सकते हैं. लेकिन उसे किसने इस्तेमाल किया, इसके साथ मिलान में समय लगेगा. किसने कितनी रकम ली, इसकी जानकारी भी दे सकते हैं, किसने किसको कितना चंदा दिया है, उसका मिलान तुरंत करने में समस्या है.”
उल्लेखनीय है कि पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गत 15 फरवरी को वर्ष 2018 में शुरू की गई चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया था . शीर्ष कोर्ट ने एसबीआई को तत्काल इन्हें जारी करने से रोकने का आदेश दिया था साथ ही बांड खरीद का पूरा व्योरा इलेक्शन कमीशन को मुहैया करवाने का आदेश दिया था। इलेक्शन कमिशन को भी इस डाटा को पोर्टल पर जारी करना था. इसके लिए एस बी आई को 3 सप्ताह का समय दिया गया था .
मुख्य न्यायधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि ” हमने 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड स्कीम को अवैध घोषित किया क्योंकि इसमें लोगों से अहम जानकारी छिपाई जा रही थी. हमने एसबीआई को निर्देश दिया था कि वह 6 मार्च तक दानदाता की तरफ से ऐसे बॉन्ड्स की खरीद और राजनीतिक पार्टी की तरफ से उसे कैश करने की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को दे. चुनाव आयोग को यह आंकड़ा 13 मार्च तक वेबसाइट पर अपलोड करना था.”