विधि और न्याय मंत्रालय ने भविष्य की कार्ययोजना पर किया मंथन

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नई दिल्ली : विधि और न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग और विधायी विभाग ने आज नई दिल्ली में एक बेहद सफल चिंतन शिविर का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल सहित मंत्रालय में विधि सचिव डॉ. नितेन चंद्रा, विधायी विभाग में वर्तमान प्रभारी सचिव एस.के.जी. रहाटे, आयकर अपीलीय अधिकरण (आईटीएटी) के अध्यक्ष जी.एस. पन्नू और अतिथि वक्ता बी.के. विधात्री की उपस्थिति रही।

 

इस शिविर का आरंभ पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन और विशिष्ट अतिथियों के औपचारिक सम्मान के साथ हुआ। विभाग ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विधि और न्याय मंत्रालय के महत्व व उपलब्धियों तथा भारत के समग्र विकास में इसके योगदान को संग्रहित करते हुए एक लघु सूचनात्मक वीडियो वृत्तचित्र लॉन्च किया।

इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम के दौरान एक कॉफी टेबल बुक ‘डोला एट ए ग्लांस: 2022-23’ का विमोचन किया गया। इस कॉफी टेबल बुक में वर्ष 2022-23 के दौरान मंत्रालय की कार्यप्रणाली और उपलब्धियों का विस्तृत विवरण है और यह कर्मचारियों के अथक प्रयासों और सामूहिक सफलता का प्रमाण है।

विधि सचिव डॉ. नितेन चंद्रा ने स्वागत भाषण दिया, उसके पश्चात विधायी विभाग के प्रभारी सचिव श्री एस.के.जी. रहाटे ने मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर अपनी टिप्पणियां साझा कीं। चिंतन शिविर के मुख्य वक्ता, श्री अर्जुन राम मेघवाल ने दर्शकों को संबोधित किया और शिविर के आयोजन के लिए विभाग की सराहना की। उन्होंने मंत्रालय में चल रही पहलों को आगे बढ़ाने और सभी नागरिकों के लिए न्याय तक समान पहुंच सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दोहराया। पुराने कानूनों को निरस्त करने और जटिल कानूनों को सरल बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने इन प्रयासों के माध्यम से अदालतों पर बोझ को कम करने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की।

सम्मानित अतिथि वक्ता बी.के. विधात्री ने उपस्थित जनसमुदाय से बातचीत की और उन्हें अपनी आरामदेह स्थिति से बाहर निकलने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक एकजुट टीम के रूप में काम करने के लिए प्रेरित किया और तनाव व काम के दबाव से संघर्ष का भाव जागृत किया।

प्रेरक सत्र के बाद, विधि मामलों के विभाग, विधायी विभाग, आयकर अपीलीय अधिकरण और केंद्रीय एजेंसी अनुभाग के प्रतिनिधियों ने प्रस्तुतियां दीं। इन प्रस्तुतियों में विभाग की अब तक की उपलब्धियों की व्यापक समीक्षा शामिल थी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप भविष्य की कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया गया, क्योंकि भारत 2047 से पहले विकास की उल्लेखनीय गति प्राप्त करने के लिए स्वाधीनता के अमृतकाल में प्रवेश कर रहा है।

इसके पश्चात विचार-विमर्श के सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें स्टाफ सदस्यों को अपनी राय व्यक्त करने, सुझाव देने और प्रश्न पूछने का मौका मिला। सार्थक चर्चाओं को बढ़ावा देते हुए प्रत्येक योगदान पर उचित ध्यान दिया गया।

अपर सचिव और विधायी सलाहकार डॉ. अंजू राठी राणा के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। उन्होंने इस महत्वपूर्ण चिंतन शिविर में भाग लेने वाले सभी उपस्थित लोगों को हार्दिक बधाई दी और उनकी अटूट प्रतिबद्धता एवं समर्पण के लिए आभार व्यक्त किया।

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