– विशेषज्ञों ने स्ट्रक्चरल ऑडिट में पाई कई बड़ी खामियां , बेहद घाटियाँ निर्माण सामग्री का उपयोग
-चिंटल पैराडिसो के फ्लैट्स मरम्मत के लायक भी नहीं
– एडीसी की अध्यक्षता में गठित कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट सोमवार तक आने की उमीद
-फलैट मालिकों को राहत देते हुए क्लेम सेटलमेंट के दिए जाएंगे विकल्प : उपायुक्त
गुरूग्राम, 5 नवंबर। गुरूग्राम के उपायुक्त निशांत कुुमार यादव ने चिंटल पैराडिसो के टावर-डी में हुए हादसे की आईआईटी दिल्ली की टीम की रिपोर्ट सांझा करते हुए बताया कि टीम ने इस टावर के निर्माण में ढांचागत कमियां पाई है. इसकी मरम्मत तकनीकी और आर्थिक आधार पर संभव नहीं है. इसलिए एक्सपर्ट कमिटी ने इस टावर को पूर्ण रूप से बंद कर गिराने की अनुशंसा की है। उपायुक्त ने बताया कि जिला में अलग-अलग 16 सोसायटियों से स्ट्रक्चरल सेफ्टी संबंधी शिकायतों की रिपोर्ट भी 15 नवंबर तक आ जाएगी जिसके बाद ही उनके बारे में निर्णय लिया जाएगा।
– डी टावर में मिली ढांचागत कमियां जैसे-निम्न गुणवता की निर्माण सामग्री और पानी में क्लोरीन की वजह से जंग लगे सरियों को पेंट करके छुपाने का किया गया प्रयास
– टावर में फ़्लैट में रेट्रोफिटिंग कार्य में भी बरती गई लापरवाही, संबंधित एजेंसी की जिम्मेदारी होगी तय
उपायुक्त आज लघु सचिवालय स्थित सभागार में आयोजित पत्रकार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि 10 फरवरी को चिंटल पैराडिसों के टावर डी में हुए हादसे में दो व्यक्तियों की जान चली गई थी उसके बाद आईआईटी दिल्ली की टीम को इस टावर की स्ट्रक्चरल सेफ्टी की जांच सौंपी गई थी। इसके अलावा, अतिरिक्त उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी।
डी सी ने खुलासा किया कि आईआईटी दिल्ली की जांच रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें पाया गया है कि चिंटल पैराडिसों के डी-टावर में स्ट्रक्चरल कमियां थी। बिल्डिंग के निर्माण में निम्न स्तर के कॉन्क्रीट का इस्तेमाल किया गया जिसकी तकनीकी और आर्थिक आधार पर मरम्मत की जानी संभव नहीं है। कमेटी ने पाया कि बिल्डिंग में स्टील वर्क तथा रिइंफोर्समेंट वर्क में जंग को छिपाने के लिए पेंट किया गया था। इसके अलावा पेंट की क्रियाविधि भी ठीक नहीं थी। इसके साथ ही बिल्डिंग के छठीं मंजिल पर एक फलैट में रेट्रोफिटिंग का कार्य भी बिना निगरानी और निर्धारित मानदंडो के अनुसार नहीं किया जा रहा था। इसके लिए चिंटल पैराडिसों कपंनी तथा मनीष स्विच गियर प्राइवेट लिमिटेड की जिम्मेदारी तय की गई है। आईआईटी दिल्ली की टीम ने यह भी सिफारिश की है कि डी- टावर को बंद कर इसे गिराने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इस बीच उपायुक्त ने बताया कि अतिरिक्त उपायुक्त श्री मीणा की अध्यक्षता में गठित प्रशासनिक कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट भी सोमवार तक आने की आशा है। उसके बाद जिला प्रशासन इस मामले में अगली कार्यवाही करेगा।
– डैव्लपर को डी टावर के अलॉटियों के साथ फलैट के क्लेम करने होंगे सेटल , अलॉटियों के सामने होंगे तीन विकल्प : उपायुक्त
उन्होंने बताया कि आईआईटी दिल्ली की जांच रिपोर्ट के आधार पर डैव्लपर को डी-टावर के अलॉटियों के साथ क्लेम सेटल करने के लिए आदेश दिए जाएंगे। इसमें अलॉटियों के सामने तीन विकल्प होंगे। बिल्डर अथवा डैव्लपर अपने स्तर पर डी टावर के अलॉटियों के साथ तालमेल स्थापित करते हुए अपने स्तर पर निर्धारित समयावधि में क्लेम सेटल करेगा और इसकी जानकारी लिखित में जिला प्रशासन के पास देगा। एक अन्य विकल्प के तहत अलॉटियों की सुविधा के लिए दो स्वतंत्र आंकलनकर्ता अर्थात् इंडिपेंडेंट इवेलयुएटर लगाए जाएंगे जो फलैटों की मौजूदा कीमत आदि का आंकलन करेंगे और अपनी रिपोर्ट देंगे। इसके बाद डैव्लपर के लिए इवेलुएटर द्वारा तय की गई कीमत को स्वीकार करना अनिवार्य होगा और वह राशि अलॉटी को दी जाएगी। यदि इसके बावजूद भी अलॉटी संतुष्ट नही होता है तो वह न्यायालय में जाकर राहत ले सकता है।
-चिंटल के टावर ई और एफ में भी चल रहा है स्ट्रक्चर संबंधी सर्वे का कार्य, जल्द आएगी रिपोर्ट
इसी प्रकार , इसी सोसायटी के टावर ‘ई‘ और ‘एफ‘ में भी स्ट्रक्चरल ऑडिट की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इसकी रिपोर्ट आएगी ।तब तक इन दोनो टावरों को खाली करवाकर बिल्डर से इनके फलैट मालिकों के साथ रेंट एग्रीमेंट करने के लिए कहा जाएगा। इन दोनो टावरों में निर्माण संबंधी नमूने एकत्रित किए जा चुके हैं। टावर ई में 28 तथा टावर एफ में 22 फलैट बने हुए हैं। फलैट मालिकों के शिफट करने से लेकर दूसरे स्थान पर दिए जाने वाले किराए का खर्चा बिल्डर द्वारा वहन किया जाएगा।
– जिला में 70 सोसाटियों से भी ढांचागत मिली शिकायते, चयनित 16 सोसायटियों की रिपोर्ट 15 नवंबर तक आएगी सामनेे : उपायुक्त
इसके अलावा, उपायुक्त ने बताया कि जिला में स्ट्रक्चरल ऑडिट संबंधी 70 अलग-2 सोसायटियों से शिकायतें प्राप्त हुई जिनमें से प्रथम चरण में 16 सोसायटियों को स्ट्रक्चरल ऑडिट के लिए चुना गया। इन सोसायटियों में स्ट्रक्चरल ऑडिट के लिए एजेंसी के अलावा, बिल्डर के प्रतिनिधि व आरडब्ल्यूए के सदस्यों को भी शामिल किया गया है ताकि निष्पक्षता से जांच की जा सके। इन 16 सोसायटियों की रिपोर्ट 15 नवंबर तक आ जाएगी। इन सोसायटियों में स्ट्रक्चरल ऑडिट के लिए अलग-2 एजेंसियों को सूचीबद्ध करते हुए जिम्मेदारी सौंपी गई जो अपनी रिपोर्ट में बताएंगी कि ये सोसायटी रहने के लिहाज से सुरक्षित है अथवा नही। इसके अलावा, इनमें से किस सोसायटी में मरम्मत आदि करवाते हुए इन्हें रहने के लिहाज से सुरक्षित बनाया जा सकता है।