नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज राज्यसभा में राष्ट्रपति के संसद में अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “देश जब आजादी के 100 साल मनाएगा, तब हमें देश को कहां ले जाना है, कैसे ले जाना है, इसके लिए ये बहुत महत्वपूर्ण समय है।” उनका यह भी मानना था कि इसके लिए संकल्प को पूरा करने के लिए हमें सामूहिक भागीदारी और सामूहिक जिम्मेदारी की आवश्यकता होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया अभी भी कोविड-19 से जूझ रही है। मानवता ने पिछले सौ वर्षों में इस तरह की कोई चुनौती नहीं देखी है। भारत के लोगों ने वैक्सीन ले ली है और उन्होंने ऐसा न केवल अपनी सुरक्षा के लिए बल्कि दूसरों की सुरक्षा के लिए भी किया है। वैश्विक स्तर पर वैक्सीन-विरोधी विभिन्न आंदोलनों के बीच उनका यह व्यवहार सराहनीय है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग महामारी के इस समय में भारत की प्रगति के बारे में सवाल उठाते रहे, लेकिन भारत ने इस कोरोना काल में 80 करोड़ से भी अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन देकर दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह भी सुनिश्चित किया गया कि गरीबों के लिए रिकॉर्ड संख्या में घर बनाए जाएं, ये घर पानी के कनेक्शन से लैस हों। इस महामारी के दौरान हमने 5 करोड़ लोगों को नल के माध्यम से पानी उपलब्ध कराया है और एक नया रिकॉर्ड बनाया है। हमारे तर्कसंगत दृष्टिकोण के कारण हमारे किसानों ने महामारी के दौरान फसलों का भरपूर उत्पादन किया। हमने महामारी के दौरान कई बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाओं को पूरा किया, क्योंकि हमारा मानना है कि वे (बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाएं) ऐसे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान रोजगार सुनिश्चित करती हैं। इस महामारी के दौरान, हमारे युवाओं ने खेलों में काफी प्रगति की हैं और देश को गौरवान्वित किया है। भारतीय युवाओं ने अपने स्टार्ट-अप के साथ भारत को स्टार्ट-अप के मामले में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल कराया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महामारी के दौरान चाहे वह सीओपी 26 हो या जी20 से जुड़ा मामला हो या 150 से अधिक देशों में दवा के निर्यात से संबंधित मामला हो, भारत ने नेतृत्व की भूमिका निभाई है और पूरी दुनिया इस पर चर्चा कर रही है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हमने महामारी के दौरान एमएसएमई क्षेत्र और कृषि क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।
प्रधानमंत्री ने रोजगार संबंधी आंकड़े देते हुए कहा कि वर्ष 2021 के ईपीएफओ पेरोल के आंकड़ों से पता चलता है कि करीब 1 करोड़ 20 लाख नए लोगों ने ईपीएफओ पोर्टल पर अपना नाम दर्ज कराया है। ये सभी औपचारिक नौकरियां हैं और इनमें से करीब 60 से 65 लाख लोगों की उम्र 18 से 25 वर्ष के बीच है, यानी यह उनकी पहली नौकरी है। मुद्रास्फीति पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने मुद्रास्फीति को कम करने के लिए अपनी पूरी कोशिश की है और जब हम इसकी तुलना अन्य अर्थव्यवस्थाओं से करते हैं तो हम कह सकते हैं कि आज भारत एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जहां मध्यम मुद्रास्फीति के साथ ऊंची वृद्धि दर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें लोगों के लिए काम करना है, चाहे हम किसी भी पक्ष में हों। यह मानसिकता गलत है कि विपक्ष में होने का मतलब लोगों की समस्याओं के समाधान की दिशा में काम नहीं करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें तब आश्चर्य हुआ जब कुछ माननीय सदस्यों ने कहा कि भारत का टीकाकरण अभियान कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि महामारी की शुरुआत से ही सरकार ने देश और दुनिया में उपलब्ध हर संसाधन को जुटाने का हर संभव प्रयास किया है। उन्होंने सभी को यह भी आश्वासन दिया कि जब तक महामारी मौजूद है, हम देश के गरीबों की रक्षा करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 से लड़ाई भी एक मजबूत और सौहार्दपूर्ण संघीय ढांचे से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर विभिन्न राज्यों के सम्मानित मुख्यमंत्रियों के साथ 23 बैठकें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री ने कोविड-19 मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के लिए विपक्षी दलों के बहिष्कार पर दुःख व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत देश में 80 हजार से ज्यादा स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र काम कर रहे हैं। ये केंद्र गांव और घर के पास नि:शुल्क जांच सहित बेहतर प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं।
लोकतंत्र के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हम लोकतंत्र का सबक उन लोगों से कभी नहीं सीखेंगे जिन्होंने 1975 में लोकतंत्र को कुचल दिया था। हमारे लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा वंशवादी दल हैं। जब कोई परिवार किसी राजनीतिक दल में बहुत अधिक हावी हो जाता है, तो राजनीतिक प्रतिभा को नुकसान होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “कुछ सदस्यों ने पूछा- अगर कांग्रेस नहीं होती, तो क्या होता?” प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं कहना चाहता हूं कि अगर कांग्रेस नहीं होती तो आपातकाल नहीं होता, जाति की राजनीति नहीं होती, सिखों का कभी नरसंहार नहीं होता, कश्मीरी पंडितों की समस्याएं नहीं होती।”
प्रधानमंत्री ने इस बात को दोहराया कि हम राष्ट्रीय प्रगति और क्षेत्रीय आकांक्षाओं के बीच कोई टकराव नहीं देखते। भारत की प्रगति तब और मजबूत होगी जब देश के विकास को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि जब हमारे राज्य प्रगति करते हैं, तो देश तरक्की करता है।
प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए अपने भाषण का समापन किया कि हमें भेदभाव की परंपरा को समाप्त करना चाहिए और इसी मानसिकता के साथ मिलकर चलना समय की मांग है। एक सुनहरा दौर है और पूरी दुनिया एक उम्मीद के साथ भारत की ओर देख रही है और हमें इस अवसर को नहीं गंवाना चाहिए।