किसान आन्दोलन ख़त्म, सरकार से मिला लिखित आश्वासन : सभी मामले आज वापस होंगे जबकि एम् एस पी पर कमिटी बनेगी

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सुभाष चौधरी 

नई दिल्ली : दिल्ली के बॉर्डर पर तीन कृषि  कानूनों के विरोध में एक साल से जारी किसानों का आंदोलन आज समाप्त हो गया. संयुक्त किसान मोर्चा की कोआर्डिनेशन कमेटी ने प्रेस वार्ता का आयोजन कर कमेटी की बैठक के बाद किसानों का आंदोलन स्थगित करने का एलान किया. उन्होंने कहा कि हम आंदोलन स्थगित कर रहे हैं ना कि समाप्त कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी वादे पूरे नहीं हुए तो फिर आंदोलन तेज किया जाएगा. आज किसानों को कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से उनकी मांग मानने का लिखित आश्वासन सम्बन्धी पत्र सौंपा गया . उस पर किसना मोर्चा कि कोआर्डिनेशन कमेटी कि बैठक में विचार किया गया और आमसहमति आन्दोलन स्थगित करने का निर्णय लिया गया. किसान आगामी 11 दिसम्बर को विजय दिवस मनाएंगे और बॉर्डर खाली कर अपने घर की ओर प्रस्थान करेंगे .

संयुक्त किसान मोर्चा की कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्कयों ने कहा कि हम हर सप्ताह सरकार और कोआर्डिनेशन कमेटी के बीच जो बातचीत हुई है उसकी समीक्षा करेंगे.  सरकार ने जो वायदे किए हैं उस पर अमल की समीक्षा करेंगे और 11 दिसंबर से किसान अपने घर वापस लौटेंगे .

प्रेस वार्ता में किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने बताया कि सभी किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे सभी राज्यों में आज ही तत्काल वापस लिए जाएंगे . किसान मोर्चा हर महीने स्थिति की समीक्षा करेगी. अगर सरकार ने वादे पूरे नहीं किए तो फिर आंदोलन किया जाएगा. किसान प्रतिनिधियों ने दावा किया कि वे बड़ी जीत लेकर घर वापस जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि आगामी 15 जनवरी से फिर बैठक होगी .लगभग एक साल तक किसान आंदोलन रत रहे . इसमें 7 00 किसान शहीद हुए. किसान प्रतिनिधियों ने साफ कर दिया कि 11 दिसंबर से सभी किसान अपने घर बॉर्डर से लौटने लगेंगे. उनका कहना था कि इस प्रकार का आंदोलन देश की आजादी के बाद पहली बार सफल रहा और यह पहला कोई इतना बड़ा आंदोलन था जो पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा.

कई किसान प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी तीनों कृषि बिल को वापस लेने के लिए धन्यवाद किया. जनप्रतिनिधियों का कहना था कि आंदोलन के दौरान उन्हें विभिन्न प्रकार की विषमताओं का सामना करना पड़ा. एक तरफ सरकारी दबाव तो दूसरी तरफ अलग-अलग राजनीतिक संगठनों व  सत्ता पक्ष द्वारा उन पर अनर्गल आरोप लगाए गए. कभी खालिस्तानी बताए गए तो कभी विदेशी ताकतों के हाथ में खेलने वाला बताया गया लेकिन बावजूद इसके यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा.

पत्रकार वार्ता में कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्य योगेन्द्र यादव ने कहा कि केन्द्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल की ओर से किसान मोर्चे को चिट्ठी आई. उसमें साफ तौर पर यह कहा गया कि आज ही सभी किसानों के खिलाफ दर्ज मामले सभी राज्यों में रद्द किए जाएंगे. योगेंद्र यादव ने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश राज्य सरकारों ने आज ही अपना कंसेंट सभी मामले को वापस करने का दिया है. इससे पहले कहा गया था कि पहले आंदोलन वापस लो तभी मामले वापस होंगे.

उन्होंने कहा कि दिल्ली और यूटी में भी दर्ज मामले को लेकर सहमति बनी है .उनकी ओर से भी यह घोषणा की गई कि किसानों को मुआवजा देने के मामले पर भी सहमति बन गई है. तत्काल राज्य सरकार मुआवजा देंगी जबकि बिजली बिल संसद में लाने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बैठक होगी और उनकी सहमति के बाद ही है बिल पेश किए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि पत्र में यह भी कहा गया है कि देश में एमएससी की खरीद की स्थिति को अभी भी जारी रखा जाएगा.  इन सारी स्थितियों को देखते हुए किसान मोर्चा ने किसानों के हित में कृषि किसानों के आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि 7 दिसंबर को सरकार की ओर से उनके पास पहला जवाब आया था जिसमें कुछ किसान प्रतिनिधियों की आपत्ति थी. फिर उसे सरकार ने संशोधित स्वरूप में आज कृषि मंत्रालय की सचिव की ओर से भेजा .

उन्होंने कहा कि आज हम अपना विजय दिवस मनाना चाहते थे लेकिन क्योंकि देश अभी एक शोक से गुजर रहा है. देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत एवं उनकी पत्नी के साथ कई सैनिक अधिकारियों की आकस्मिक मृत्यु हो गई है .  इसीलिए हम उनकी अंत्येष्टि के एक दिन बाद यानी 11 दिसंबर को अपना विजय दिवस बॉर्डर पर मनाएंगे और उसके बाद घर वापसी करेंगे.

उन्होंने कहा कि 70 साल बाद देश को कोई एक संयुक्त प्लेटफार्म मिला है जहां देश के किसानों की आवाज मुखर की जा सकती है. हमने यह तय किया है कि एक  माह बाद हम फिर बैठक करेंगे.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगेंद्र यादव ने कहा कि इस आंदोलन में किसान ने तीन प्रमुख चीजें हासिल की हैं. उन्होंने कहा कि इससे किसानों का आत्मसम्मान वापस हुआ है, उनमें एकता स्थापित हुई है जबकि किसानों को पहली बार अपनी राजनीतिक शक्ति का एहसास हुआ है.

राकेश टिकैत ने पत्रकार वार्ता में कहा कि संयुक्त मोर्चा था है और आगे भी रहेगा. हम एकता के साथ ही यहां से वापस होंगे. उन्होंने कहा कि आज से ही हमने अपने सामान की पैकिंग शुरू कर दी है लेकिन इसमें तीन चार दिन लग सकते हैं. उन्होंने सभी मिडिया प्रतिनिधियों का भी किसानों के मुद्दे को उठाने के लिए धन्यवाद किया .

पत्रकार वार्ता में राकेश टिकैत , योगेन्द्र यादव, गुरुनाम सिंह चढूनी सहित संयुक्त किसान मोर्चा की कोआर्डिनेशन कमेटी के सभी प्रतिनिधि मौजूद थे .

 

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