क्या किसान और केंद्र सरकार के बीच आज युद्ध विराम का ऐलान हो सकता है ?

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नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ एक वर्ष से जारी किसान आंदोलन पर आज विराम लग स्काट है.  कृषि मंत्रालय की ओर से किसानों को उनकी मांग को लेकर आधिकारिक पत्र भेजा गया है। इसके बाद, एसकेएम की बैठक शुरू हो गई है। केंद्र की ओर से दोबारा भेजे गए मसौदा प्रस्ताव पर किसानों ने अपनी सहमति देने के संकेत दिए थे . उसी प्रस्ताव पर सरकार ने किसानों को लिखित रूप में आश्वासन दे दिया है। अब उम्मीद है कि किसान आंदोलन पर अंतिम फैसला लेंगे।

इस बीच, सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट हटाना शुरू कर दिये हैं और आपस मे किसान मिठाई भी बाट रहें है। इसे देखते हुए अब यह लगभग तय हो गया है कि किसान आज अपना इस आंदोलन पर अंतिम फैसला ले सकते हैं। दूसरी तरफ गाजीपुर बॉर्डर पर स्थिति पूर्ववत बनी हुई है. वहाँ अभी तक सामन या टेंट हटाने जैसी कोई गतिविधि नहीं देखने को मिल रही है.

बताया जाता है कि  कृषि कानूनों की वापसी के बाद एम् एस पी  गांरटी कानून समेत तमाम  मांगों पर संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्र सरकार के बीच सहमति बन गई है. बुधवार को सरकार द्वारा भेजे गए दूसरे प्रस्ताव को संयुक्त किसान मोर्चा ने मंजूर कर लिया .

उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार का पत्र मिलने के बाद गुरुवार दोपहर संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली की सीमा पर साल भर से जारी किसानों के धरने को खत्म करने का एलान करेगा.  दोनों पक्षों की तरफ से लचीला रुख देखने को मिल रहा है.

खबर है कि  मंगलवार को सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चा की असहमतियों के बाद बुधवार को केंद्र सरकार ने नया प्रस्ताव भेजा था . आंदोलन खत्म करवाने के दबाव के तहत केंद्र सरकार ने नए मसौदे में प्रदर्शनकारियों पर से तत्काल केस वापसी के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी कमिटी को लेकर सरकार ने अपना रुख स्पष्ट किया है कि यह कमिटी तय करेगी कि एमएसपी देने की क्या व्यवस्था होगी . मुआवजे को लेकर सहमति जताते हुए बिजली बिल को लेकर भी कहा गया  है कि संसद में लाये जाने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा कि कमिटी से चर्चा की जाएगी.

 

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