पीयूष गोयल ने आज चक्रवात जवाद से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की

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नई दिल्ली :   प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में पूर्व सक्रिय आपदा तैयारी एवं प्रबंधन को संस्थागत रूप दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से आपदा प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा की है और जान-माल की न्यूनतम क्षति सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों को राज्य सरकारों, उद्योग और अन्य सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के निर्देश भी दिए हैं।

इन्हीं प्रयासों के क्रम में वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने आज एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबंधित राज्य के मुख्य सचिवों के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारों द्वारा की गई व्यवस्थाओं और तैयारियों की समीक्षा की। सम्मेलन में सीआईआई, फिक्की, एसोचैम और पीएचडी चैंबर्स जैसे राष्ट्रीय स्तर के उद्योग संघों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

केंद्रीय मंत्री ने संबंधित राज्य सरकारों द्वारा की जा रही तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने मंत्रालयों, राज्य सरकारों, उद्योग निकायों और अन्य संगठनों द्वारा चक्रवात तूफान जवाद के असर को कम करने के लिए दिए गए सुझावों की भी समीक्षा की और चक्रवात की गंभीरता को कम करने के लिए किए जा रहे ठोस प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सहयोग सहकारी संघवाद का सर्वोत्तम उदाहरण है। उन्होंने सभी हितधारकों द्वारा दी गई जानकारी और सुझावों को शामिल करके इस प्राकृतिक आपदा से सबसे प्रभावी तरीके से निपटने की दिशा में एक व्यापक कार्य योजना तैयार करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

केंद्रीय मंत्री श्री गोयल ने कहा कि आपदा प्रबंधन, उसके असर को कम करने और प्रभावित लोगों के जीवन तथा उनकी आजीविका की रक्षा के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी आवश्यक है। श्री गोयल ने बताया कि चक्रवात हल्का प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी समझ को लगातार बढ़ाना चाहिए और अपनी क्षमताओं को उन्नत करते रहना चाहिए। उन्होंने चक्रवात के प्रभावों से निपटने के लिए बैंकिंग और बीमा क्षेत्रों में तैयारियों का भी आह्वान किया।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने से चक्रवात जवाद के तेज होने की उम्मीद है और आज दोपहर के आसपास 100 किमी प्रति घंटे तक की हवा की गति के साथ इसके आंध्र प्रदेश-ओडिशा के उत्तरी तट तक पहुंचने की उम्मीद है।

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