सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : लोकसभा में देश में कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति पर हुई लंबी चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि अब तक 58 फ्लाइट्स से विभिन्न देशों से भारत में आए 16000 यात्रियों की आरटीपीसीआर टेस्ट किए गए. इनमें 118 यात्री कोविड 19 पॉजिटिव पाए गए. कोरोना के नये वैरीअंट ओमिक्रोन के संबंध में उन्होंने सदन को जानकारी दी कि कर्नाटक में साउथ अफ्रीका से आए तीन व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई थी जिनमें से दो लोगों में ओमिक्रोन वायरस होने की पुष्टि हुई है. स्वास्थ्य मंत्री ने संसद में अधिकतर सांसदों द्वारा लोगों को बूस्टर डोज देने और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन की डोज देने के सवाल पर कोई भी निर्धारित तिथि बताने से इनकार कर दिया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज देने और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन की डोज देने के विषय पर संबंधित साइंटिस्ट और केंद्र सरकार की ओर से गठित एक्सपर्ट कमिटी निर्णय लेगी. देश के एक्सपर्ट जब भी इसको लेकर हरी झंडी देंगे सरकार इस दिशा में कदम आगे बढ़ाने को तैयार है।उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक नहीं बल्कि साइंटिफिक निर्णय है.
उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमण से बड़े पैमाने पर हुई जनहानि और धन हानि की स्थिति को लेकर विपक्षी सांसद लगातार दो सत्रों से चर्चा कराने की मांग कर रहे थे. लेकिन पिछले सत्र में विपक्ष द्वारा ही लगातार व्यवधान पैदा करने के कारण इस अति महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा नहीं कराई जा सकी थी. इस बार फिर विपक्ष के कई सांसदों ने इस विषय पर चर्चा कराने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को नोटिस दिया था.
12 घंटे से भी अधिक समय तक लोकसभा में हुई बहस
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को दोपहर बाद इस पर चर्चा कराने की अनुमति दी. सभी राजनीतिक दलों के 74 सांसदों ने लगभग 12 घंटे से भी अधिक समय तक लोकसभा में हुई बहस में भाग लिया और सरकार से महामारी से लड़ने में कोताही बरतने का आरोप लगाया जबकि इस दृष्टि से उठाए गए कदमों की विस्तार से जानकारी रखने के साथ साथ भविष्य के रोड मैप भी सदन में रखने पर जोर दिया ।
कांग्रेस पार्टी के नेता सरकार को समर्थन देने की बजाय तथ्यहीन आलोचना में लगे रहे
गुरुवार देर रात्रि 12: 30 बजे तक यह चर्चा चलती रही. इसलिए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया बहस का जवाब नहीं दे पाए थे . शुक्रवार को जीरो आवर के बाद दोपहर में उन्होंने चर्चा के दौरान संसद में उठाए गए सवालों का लगभग डेढ़ घंटे तक बिंदुवार जवाब दिया और विपक्ष खासकर कांग्रेस पार्टी के नेताओं को मामले पर राजनीति करने के लिए जमकर खरी खोटी सुनाई। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश के लोकतांत्रिक इतिहास में जब भी राष्ट्रहित का मुद्दा आता है तो सत्ता पक्ष और विपक्ष एक सुर में बोलता है लेकिन कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ने के दौरान विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी के नेता सरकार को समर्थन देने की बजाय तथ्यहीन आलोचना में लगे रहे। उन्होंने कहा कि जब हमारे देश के वैज्ञानिकों ने दो स्वदेशी वैक्सिंन इतने कम समय में रिसर्च कर देश को सौंपा तब भी विपक्ष के कुछ नेता उनकी प्रशंसा करने से चूक गए. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में राजनीतिक मतभेद या वैचारिक मतभेद होना लाजिमी है लेकिन राष्ट्र नीति के मामले में मतभेद को भुलाकर सराहना करनी चाहिए लेकिन कांग्रेस पार्टी ने हमेशा नकारात्मक भूमिका अदा की।
बूस्टर डोज पर एक्सपर्ट बताएँगे
स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकतर सांसदों द्वारा बूस्टर डोज और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन देने संबंधी उठाए गए सवाल का दो टूक शब्दों में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि एक पॉलिटिकल निर्णय लिया जाएगा जबकि दूसरा साइंटिफिक निर्णय होगा। उन्होंने साफ कर दिया कि इन मामले में जब भी देश में राष्ट्रीय स्तर पर गठित एक्सपर्ट कमिटी सलाह देगी उस पर अमल किया जाएगा। उन्होंने दोनों ही मामले में कोई निर्धारित तिथि की घोषणा करने से इनकार कर दिया।
केंद्र सरकार मूकदर्शक बने हुए नहीं रह सकती
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सदन को आश्वस्त किया कि कोविड-19 संक्रमण से लड़ने में केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को विश्वास में लेते हुए पूरी सहायता की. स्वास्थ्य राज्य सरकार का विषय है बावजूद इसके केंद्र सरकार मूकदर्शक बने हुए नहीं रह सकती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दूरदर्शी सोच के तहत समय रहते कदम उठाया जाता रहा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को वित्तीय सहयोग के साथ साथ तकनीकी एवं विशेषज्ञता से संबंधित सहायता भी उपलब्ध कराई गई। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का मामला हो या फिर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मुहैया कराने की बात, n95 मस्क देने का विषय हो या फिर पीपीई किट सप्लाई करने की व्यवस्था, सभी राज्य सरकारों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध करवाए गए. उन्होंने यहां तक कहा कि अगर सांसद इस बात के प्रमाण देखना चाहते हैं तो स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से उन्हें सभी राज्यों की सूची और मुहैया कराई गई सहायता की विस्तृत जानकारी व्यक्तिगत तौर पर दे दी जाएगी. उन्होंने दावा किया कि इस संबंध में जानकारी मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य मंत्री की ओर से सभी सांसदों को अगस्त में ही पत्र लिखा गया है।
अगले 50 वर्षों को ध्यान में रख कर योजना
स्वास्थ्य मंत्री ने सदन को बताया कि हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में देश में अगले 50 वर्षों में किसी महामारी के आने की आशंका के मद्देनजर स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत संरचनाओं को विकसित करने की योजना तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत देश के प्रत्येक जिले में 50 बेड की क्रिटिकल केयर यूनिट और एक rt-pcr लैब भी स्थापित करने की योजना है. उनका कहना था कि प्रधान मंत्री हेल्थ इन्फ्रा स्ट्रक्चर मिशन के तहत प्रत्येक जिले में हेल्थ सुविधाएँ डिवेलप करने के लिए पर 100 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उन्होंने विपक्ष के उस आरोप को खारिज कर दिया की विपक्ष शासित राज्यों के साथ केंद्र सरकार की ओर से कोई पक्षपात किया गया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोविड-19 व्यवस्था के लिए राज्य सरकारों को 70000 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने उड़ीसा के लोकसभा सांसद भर्तृहरि महताब के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उनके राज्य में वर्तमान में वैक्सीन के 72 लाख डोज स्टॉक में हैं. इसलिए उनके जिले में वैक्सीन की कमी होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने सलाह दी कि उन्हें राज्य सरकार से मामले में जानकारी मांगनी चाहिए.
दुनिया के 29 देशों में ओमिक्रोन वेरिएंट
कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमिक्रोन की वर्तमान स्थिति का आकलन सदन में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दुनिया के 29 देशों में ओमिक्रोन वैरीअंट से संक्रमित व्यक्ति मिले हैं जिन्हें भारत सरकार ने जोखिम वाले देश की सूची में डाल दिया है. और उन देशों से आने वाले यात्रियों के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट कराना आवश्यक कर दिया गया है. जबकि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी उन्हें 7 दिनों तक होम क्वॉरेंटाइन रखा जाएगा और आठवें दिन उनकी पुनः रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही उन्हें कहीं जाने की अनुमति होगी।
भारत में कुल 4.69 लाख लोगों का निधन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी आंकड़े को सदन में रखते हुए बताया कि दुनिया में अब तक कुल 26 करोड़ लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए हैं जिनमें से 52 लाख लोगों की इस महामारी से मृत्यु हो गई है. उन्होंने कहा कि विश्व में इस महामारी से होने वाली मृत्यु दर 1. 99 प्रतिशत है। उनका कहना था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े ही बताते हैं कि भारत में कुल 3.46 करोड़ लोग संक्रमित हुए जिनमें से 4.69 लाख लोगों का निधन हो गया. उन्होंने दावा किया कि भारत में इस महामारी के कारण मृत्यु दर 1.36% है। उनका कहना था कि देश में प्रति करोड़ 25000 लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए जबकि 340 लोगों की मृत्यु हुई।
97% वेंटिलेटर सरकारी कंपनियों से लिए गए
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पिछले कई दशक तक स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को मजबूत करने की दिशा में अपेक्षित कदम नहीं उठाए जाने के कारण कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ने में परेशानी पैदा हुई लेकिन वह पिछली सरकारों को इसके लिए दोष देने की बजाय आवश्यकता अनुरूप काम करने पर फोकस कर रहे हैं।
विपक्ष द्वारा राज्यों में पीएम केयर्स फंड से मुहैया कराए गए वेंटीलेटर में से अधिकतर खराब होने के आरोप पर उनका कहना था कि सांसदों की जानकारी सही नहीं है. उन्होंने कहा कि देश में आजादी के बाद कोविड-19 संक्रमण की स्थिति पैदा होने तक कुल 16000 वेंटिलेटर थे लेकिन फर्स्ट से और सेकंड फेज में आकलन करने के बाद एक्सपर्ट कमेटी ने देश में 75000 वेंटिलेटर की नितांत आवश्यकता बताई. प्रधानमंत्री केयर फंड से 58000 वेंटीलेटर खरीदने का आर्डर जारी किया गया जिनमें से 97% वेंटिलेटर सरकारी कंपनियों जिनमें बीएचईएल और आंध्र प्रदेश की कंपनी शामिल है को ही दिया गया। उन्होंने कहा कि इनमें से 50200 वेंटिलेटर सभी राज्यों को दिए गए जिनमें 48000 वेंटिलेटर विभिन्न अस्पतालों में इंस्टॉल कर दिए गए हैं और वह काम कर रहे हैं. इसलिए वेंटिलेटर के खराब होने का आरोप लगाना सर्वथा गलत है. उल्लेखनीय है कि चर्चा के दौरान गुरुवार को बहस आरंभ करते हुए शिवसेना सांसद विनायकराव भाऊराव रावत ने महाराष्ट्र में 60 प्रातिशत वेंटिलेटर ख़राब पड़े होने और अम्बंधिर एजेंसी से सहयोग नहीं मिलने का आरोप लगाया था।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश में जितने वेंटिलेटर उपलब्ध थे उसके अनुसार ही मैन पावर भी थे. लेकिन आवश्यकता पड़ने पर संबंधित कंपनियों को इसके लिए ट्रेनिंग देने की व्यवस्था भी करने को कहा गया और उन्हें फिजिकल एवं ऑनलाइन ट्रेनिंग दी गई. इसके लिए राज्य सरकारों ने अपने सर्टिफिकेट भी केंद्र सरकार को भेज दिए हैं . क्योंकि वेंटिलेटर मुहैया कराने वाली कंपनियों से साफ कह दिया गया था कि जब तक राज्य सरकार आपको संतुष्टि प्रमाण पत्र नहीं देती है तब तक उन्हें इसका भुगतान नहीं किया जाएगा. इसके लिए मीडिया में प्रकाशित कुछ खबरों के बाद थर्ड पार्टी इन्वेस्टिगेशन भी करवाई गई।
सरकार की पहले से ही सजग थी
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जहां तक सरकार की सजगता का सवाल है कोविड-19 संक्रमित देश में पहला मरीज 13 जनवरी 2020 को केरल में मिला था जबकि इस मामले पर केंद्र सरकार पहले से ही सक्रिय हो गई थी. 8 जनवरी 2020 को ही प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण बैठक की थी और आवश्यक कदम उठाने का निर्देश भी दिया था। राज्यों को रिजर्व में 17240 करोड़ रुपए खर्च करने की अनुमति दी गई थी।
अप्रूवल लेने में 3 साल लग जाते थे
वैक्सीन के रिसर्च के सवाल पर उन्होंने विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि पिछली सरकारों के दौरान स्वास्थ्य संबंधी रिसर्च के लिए अप्रूवल लेने में 3 साल लग जाते थे लेकिन अब नरेंद्र मोदी सरकार ने उन सारे नियमों को बदल दिया. तत्काल अप्रूवल देने का प्रावधान किया गया. जिसका नतीजा था कि 1 साल के दौरान ही हमारे वैज्ञानिकों ने दो स्वदेशी वैक्सीन बना लिया। इसलिए सरकार पर इस मामले में लेटलतीफी करने का आरोप लगाना राजनीति से प्रेरित है।
उनका कहना था कि वैक्सीन रिसर्च से लेकर स्वास्थ्य संबंधी तकनीकी एवं विशेषज्ञता सहायता मुहैया कराने तक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर विभिन्न प्रकार के विशेषज्ञों व अधिकारियों की 10 समितियों का गठन किया गया था जो दिन रात काम करती रही और हम उस विषम परिस्थिति से बाहर हो सके ।
किसी भी प्रकार की कोताही बरतने का सवाल नकारा
सभी राज्यों के साथ कोर्डिनेशन स्थापित करने और उन्हें आवश्यक सहायता उपलब्ध करवाने में किसी भी प्रकार की कोताही बरतने के सवाल को नकारते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने भारत की सॉफ्ट ताकत को पहचाना और उसका भरपूर सदुपयोग इस महामारी से लड़ने में किया गया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पर विपक्ष शासित राज्यों के साथ उपेक्षा पूर्ण व्यवहार का आरोप लगाना गलत है क्योंकि उन्हें मुहैया कराई गई सुविधाओं के आंकड़े इसके पुख्ता प्रमाण हैं जिसकी जानकारी सांसदों को व्यक्तिगत तौर पर दे दी जाएगी।
देश में 60 कंपनियां रेमेडी शिविर इंजेक्शन का उत्पादन
स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि अब देश में 60 कंपनियां रेमेडी शिविर इंजेक्शन का उत्पादन कर रही है जबकि पी एस ए ऑक्सीजन प्लांट की 1225 यूनिट फंक्शनल है. जबकि 3829 पर काम चल रहा है. देश में आज एक लाख ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मौजूद है. 3058 टेस्टिंग लैब हैं जिनमें 20 लाख से अधिक टेस्ट प्रतिदिन करने की क्षमता है। अब देश में 50 लाख ऑक्सीजन युक्त बेड उपलब्ध है जबकि 1.40 लाख आईसीयू बेड की व्यवस्था भी है . 800 बाल चिकित्सा यूनिट स्थापित करने पर काम जारी है।
मेडिसिन एवं इंजेक्शन के बफर स्टॉक
भविष्य में तीसरी लहर की तैयारी के सवाल पर उनका कहना था कि केंद्र सरकार ने भविष्य में किसी प्रकार की कमी नहीं रहे इसके लिए प्रत्येक राज्य एवं जिले में कोविड-19 प्रोटोकॉल मेडिसिन एवं इंजेक्शन के बफर स्टॉक का भी प्रबंध किया हुआ है। सभी स्टेट को इसकी तैयारी के लिए निर्देश दिया गया है और इसमें केंद्र सरकार पूरी तरह मदद कर रही है। प्रत्येक जिला में दवाइयों व इंजेक्शन का बफर स्टाक है.
लड़ाई को कमजोर करने कांग्रेस पार्टी जुटी रही
स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर दुख जताया कि सदी के सबसे कठिन समय में भी कोरोना जैसी महामारी से लड़ाई को कमजोर करने की कोशिश में विपक्ष खासकर कांग्रेस पार्टी जुटी रही. उन्होंने आरोप लगाया कि दशकों तक इस देश पर राज करने वाली इसी पार्टी ने देश के करोड़ों लोगों को गरीब बनाए रखा. यहां तक कि आपदा में भी वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे प्रयास पर भी उन्होंने सवाल कहदे किये और राजनीतिक कारणों से उनकी सफलता को भी नकारा ।
79 करोड़ लोगों को अब तक वैक्सीन की पहली डोज
वर्तमान में देश में कोविड-19 वैक्सीन की डोज के मामले में उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में कुल 94 करोड़ लोग 18 वर्ष से अधिक उम्र के हैं जिन्हें वैक्सीन की डोज दी जानी है. इनमें से 79 करोड़ लोगों को अब तक वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है जबकि 46.38 करोड़ लोगों को सेकंड डोज दी जा चुकी है।
वैक्सीन की डोज का आंकड़ा प्रस्तुत करने के क्रम में स्वास्थ्य मंत्री ने कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सांसद गौरव गोगोई को इस बात के लिए चुनौती दी कि केंद्र सरकार उनके संसदीय क्षेत्र में वैक्सीन देने को तैयार है लेकिन वह अगले 1 माह में शत प्रातिशत लोगों को वैक्सीन की डोज दिलवाने की जिम्मेदारी लें . स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह केवल केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि इसमें जनप्रतिनिधियों को भी अपनी भूमिका अदा करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों को पर्याप्त वैक्सीन की डोज मुहैया कराई है और सभी राज्य सरकारों के पास स्टाक में अभी भी वैक्सीन उपलब्ध है इसलिए सांसदों को संबंधित राज्य सरकारों से भी जवाब तलब करनी चाहिए।