सुभाष चौधरी /संपादक
नई दिल्ली : राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज शिक्षक दिवस के अवसर पर देश के 28 प्रान्तों के 44 सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2021 प्रदान किया. इस कार्यकर्म में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान सहित मंत्रालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी भी डिजिटल माध्यम से जुड़े.
हिमाचल प्रदेश से एक, हरियाणा से एक, पंजाब से एक शिक्षक, दिल्ली से एक, राजस्थान से 2 शिक्षक ,गुजरात से 2 शिक्षक, मध्यप्रदेश से 1 शिक्षक, बिहार से 2 शिक्षक, उड़ीसा से 2 शिक्षक, वेस्ट बंगाल से एक शिक्षक, जम्मू एंड कश्मीर से एक शिक्षक, लद्दाख से एक शिक्षक, उत्तर प्रदेश से 2 शिक्षक, सीबीएसई बोर्ड से 2 शिक्षक, सैनिक स्कूल से 1 शिक्षक, ई एम आर एस मोटा से एक शिक्षक, अरुणाचल प्रदेश से एक शिक्षक, नागालैंड से एक शिक्षक, मणिपुर से एक शिक्षक, सिक्किम से 2 शिक्षक, मिजोरम से एक शिक्षक, त्रिपुरा से एक, असम से 2 शिक्षक, झारखंड से एक, केरल से एक, आंध्र प्रदेश से 2 शिक्षक, तेलंगाना से 2 शिक्षक, कर्नाटक से एक शिक्षक, तमिलनाडु से 2 शिक्षक, महाराष्ट्र से 2 शिक्षक और पुडुचेरी से एक शिक्षक राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद द्वारा आज राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किये गये.
इस अवसर पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि आज तक मुझे अपने आदरणीय शिक्षकों की याद आती रहती है। मैं स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस करता हूं कि राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण करने के बाद, मुझे अपने स्कूल में जाकर, अपने वयोवृद्ध शिक्षकों का सम्मान करने तथा उनका आशीर्वाद लेने का अवसर प्राप्त हुआ था.
उन्होंने यह कहते हुए याद दिलाया कि मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक के रूप में अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षकों को दिया करते थे। वे अपने स्कूल के एक अध्यापक के विषय में बताया करते थे जिनके पढ़ाने की रोचक शैली के कारण बचपन में ही उनमें एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने की ललक पैदा हुई।
उनका कहना था कि डॉक्टर राधाकृष्णन एक दार्शनिक और विद्वान के रूप में विश्व-विख्यात थे। यद्यपि उन्होंने अनेक उच्च पदों को सुशोभित किया, परंतु वे चाहते थे कि उन्हें एक शिक्षक के रूप में ही याद किया जाए। डॉक्टर राधाकृष्णन ने एक श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा-व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे विद्यार्थियों में संवैधानिक मूल्यों तथा नागरिकों के मूल कर्तव्यों के प्रति निष्ठा उत्पन्न हो, देश के प्रति प्रेम की भावना मजबूत बने तथा बदलते वैश्विक परिदृश्य में वे अपनी भूमिका के बारे में सचेत रहें।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों का कर्त्तव्य है कि वे अपने विद्यार्थियों में अध्ययन के प्रति रुचि जागृत करें। संवेदनशील शिक्षक अपने व्यवहार, आचरण व शिक्षण से विद्यार्थियों का भविष्य संवार सकते हैं।
राष्ट्रपति कोबिंद ने कहा कि शिक्षकों को ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक विद्यार्थी की क्षमता अलग होती है, उनकी प्रतिभा अलग होती है, मनोविज्ञान अलग होता है, सामाजिक पृष्ठभूमि व परिवेश भी अलग-अलग होता है। इसलिए हर एक बच्चे की विशेष जरूरतों, रुचियों और क्षमताओं के अनुसार उसके सर्वांगीण विकास पर बल देना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से पैदा हुए संकट के दौर से गुजर रही है। सभी स्कूल-कॉलेज के बंद होने के बाद भी शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकने दी। शिक्षकों ने बहुत ही कम समय में डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करना सीखा और शिक्षण प्रक्रिया को जारी रखा। उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षकों ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के जरिये स्कूलों में उल्लेखनीय बुनियादी ढांचे का विकास किया है। उन्होंने ऐसे समर्पित शिक्षकों की सराहना की और आशा व्यक्त करते हुए कहा कि पूरा शिक्षक समुदाय बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपनी शिक्षण पद्धति को बदलता रहेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले साल लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हमें विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा देनी है, जो ज्ञान पर आधारित न्याय संगत समाज के निर्माण में सहायक हो। हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि छात्र संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों के लिए प्रतिबद्धता विकसित करें, देशभक्ति की भावना को मजबूत करें और बदलते वैश्विक परिदृश्य में उन्हें उनकी भूमिका से अवगत कराए।
राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मंत्रालय ने ‘निष्ठा’ नामक एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत शिक्षकों के लिए ‘ऑनलाइन क्षमता निर्माण’ के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा, ‘प्रज्ञाता’ (यानी डिजिटल शिक्षा पर पिछले साल जारी दिशा-निर्देश) कोविड महामारी के संकट के दौरान भी शिक्षा की गति को बनाए रखने की दृष्टि से एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी नए रास्ते खोजने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की पूरी टीम की सराहना की।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्वागत भाषण दिया, जबकि शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
इससे पहले आज सुबह, राष्ट्रपति ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में डॉ. राधाकृष्णन के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों की पूरी सूचि देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें :
National Awardees Teachers_NAT_2021
मध्य प्रदेश के मंडला जिले के शिक्षक, शक्ति पटेल
डहरक, रामगढ़, भभुआ, बिहार के कार्यवाहक प्रधान शिक्षक हरिदास शर्मा
भद्रक,ओडिशा जिला सरकारी स्कूल के शिक्षक अशोक कुमार सत्पथी
गुजरात के अशोक कुमार मोहनलाल परमार
उड़ीसा के अजीत कुमार सेठी
नागालैंड की स्वेदे सुनुओ ज़ाओ
गुजरात से वनिता दयाभाई राठौड़
उत्तर प्रदेश से तृप्ति महौर
दिल्ली से सुरुचि गांधी
तमिलनाडु से ललिथा डी.
मिजोरम से जैसेंटा वैलेंलेंग्जम
बिहार से चंदना दत्ता
राजस्थान से अचला वर्मा
हरियाणा के भिवानी से गणित की शिक्षिका ममता पालिवाल को शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया.