नई दिल्ली। मसालों की रानी, छोटी इलायची अपनी मनमोहक सुगंध और स्वाद के कारण दुनिया भर में मशहूर है। देश में केरल देश में छोटी इलायची का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इसके अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही के दौरान छोटी इलायची के निर्यात में बढ़ोतरी दिखी है। इस दौरान56.52 करोड़ रुपये मूल्य की 1900 मीट्रिक टन इलायची का निर्यात किया गया। इस अवधि में मूल्य के लिहाज से 483 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और मात्रा के आधार पर 369 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
छोटी इलायची उत्पादक क्षेत्रों को प्राकृतिक आपदाओं और अन्य कारकों के कारण उत्पादन और निर्यात दोनों मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि संबंधित पक्षों के सामूहिक प्रयासों ने छोटी इलायची क्षेत्र को कुछ हद तक चुनौतियों का प्रबंधन करने में मदद की है, इस क्षेत्र के टिकाऊ विकास के लिए मसाला बोर्ड द्वारा आपूर्ति श्रृंखला में तालमेल बनाने के लिए प्रयास शुरू दिए गए हैं।
बोर्ड ने छोटी इलायची उद्योग की समस्याओं को दूर करने और संबंधित पक्षों के साथ सीधे बातचीत करने और प्रभावी व्यावसायिक संबंध बनाने के लिए एक साझा मंच प्रदान करने के लिए आज एक क्रेता-विक्रेता बैठक का आयोजन किया। क्रेता-विक्रेता बैठकमें 130 से अधिक संबंधित पक्षों ने भागीदारी की। सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों को निर्यात के लिए गुणवत्ता वाली इलायची की खरीद करने मेंभी क्रेता-विक्रेता बैठक मदद करेगी।
क्रेता-विक्रेता बैठक का उद्घाटन करते हुए, इडुक्की के सांसद एडवोकेट डीन कुरीकोज ने कहा कि इडुक्की उत्पादकों के सामाजिक ताने-बाने में छोटी इलायची शामिल है। अच्छी गुणवत्ता की इलायची के उत्पादन और निर्यात से इस उत्पाद को दुनिया भर में ले जाने में मदद मिलेगी। उन्होंने बोर्ड के प्रयासों की सराहना की और कहा कि चुनौतियों का सामना कर रहे सेक्टर के लिए, इस समय क्रेता-विक्रेता बैठक का संचालन अहम प्रयास है।