गुरुग्राम्। “प्रबोधनी समूह” के तत्वावधान में 10 जनवरी को डिजिटल काव्य गोष्ठी “परिचर्या” का शानदार आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आरंभ संस्था के संस्थापक, रंगकर्मी सुधीर मिश्रा, निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट की ओर से माँ शारदे की वन्दना की प्रस्तुति के साथ किया गया। इस काव्य गोष्ठी में गुरुग्राम, दिल्ली, नोएडा, जमशेदपुर, बिहार के कई जिले, कोलकता एवं अन्य शहरों से दर्जनों कवि व कवियित्रियों ने अपनी काव्य रचना का पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुगद्ध कर दिया। इससे पूर्व वर्ष 2019 के दौरान संस्था की ओर से डिजिटल काव्य गोष्ठी की शुरुआत की गई थी।
इस डिजिटल काव्य गोष्ठी की मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य अकादमी तथा दर्जनों साहित्य सम्मान से सम्मानित एवं भारत सरकार द्वारा स्वर्ण पदक विजेता सुविख्यात कवियित्री व साहित्यकार , डॉक्टर शेफालिका वर्मा उपस्थित थीं। श्रीमती वर्मा की काव्य रचना, शिकागो विश्व विद्यालय से अंग्रेजी अनुवादित MY Village इंग्लेंड की बोर्ड परीक्षा में पढाई जाती है। इस अवसर पर उन्होंने
साहित्यिक विकास के लिए ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। उनका कहना था कि डिजिटल माध्यम ने रचनाकारों को विश्वव्यापी प्लेटफॉर्म मुहैया कराया है। इसका रचनात्मक उपयोग हम सबको समाज हित में करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कवि की रचनाएं देश देशांतर की सीमाओं से परे होती हैं जिसे अब डिजिटल माध्यम ने साकार करने में मदद की है। उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजक की भूरी भूरी प्रशंसा की।
संस्था के संरक्षक पवन ठाकुर ने बीते साल की समीक्षा प्रस्तुत की। उन्होंने अपने सुंदर काव्य पाठ से गोष्ठी में जबरदस्त समाँ बाँध दिया। संस्था की मॉडरेटर संचालिका भावना मिश्रा द्वारा कार्यक्रम का कुशल संचालन किया गया। उन्होंने भी अपने काव्य पाठ से डिजिटल काव्य गोष्ठी के श्रोताओं की सराहना बटोरी।
गोष्ठी में सम्मिलित कवि CA रंजीत झा, कवियित्री भारती झा एवं कवियित्री सांत्वना मिश्र ने अपने ऊत्कृष्ठ काव्य पाठ के माध्यम से कार्यक्रम की सफलता में चार चाँद लगा दिया।
इस अवसर पर प्रबोधनी समूह के संस्थापक सुधीर मिश्रा ने वर्तमान में व्याप्त विपरीत परिस्थितियों में साहित्यिक गोष्ठी के आयोजन से सकारात्मकता का संचार किया। उन्होंने अपने संबोधन में ऐसे आयोजनों को बेहद प्रासंगिक बताया। उनका कहना था कि भौतिक रूप से एकत्र नहीं होना हमारे जीवन के लिए बाधा नहीं बन सकती बल्कि इसे विश्वव्यापी बनाने में मददगार हो गई है। आज डिजिटल माध्यम से हम राज्य और देश की सीमा से परे जाकर भी ऐसे आयोजन कर लोगों को अपनी रचनाओं के माध्यम से जागृत कर सकते हैं।
कार्यक्रम के अंत में पवन ठाकुर और भावना मिश्रा की ओर से सभी रचनाकारों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया।