सुभाष चंद्र चौधरी
नई दिल्ली। रेल मंत्रालय ने रेलवे में अगले 30 वर्षों की दृष्टि से बड़े बदलाव को मूर्त रूप देने के लिए राष्ट्रीय रेल योजना का मसौदा जारी किया है। इसमें रेलवे की वर्तमान क्षमता संबंधी कमियों को दूर करने और देश के माल ढुलाई (फ्रेट) इकोसिस्टम में अपनी औसत हिस्सेदारी को बढ़ाने के प्रयास की योजना पर फोकस किया गया है जबकि मांग के अनुसार रेल की संख्या बढ़ाने वह सिगनलिंग एवं शत प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन की रूपरेखा भी रखी गई है।
राष्ट्रीय रेल योजना नाम की इस दीर्घकालिक योजना को अवसंरचना संबंधी क्षमता को बढ़ाने तथा रेलवे और व्यापार की औसत हिस्सेदारी में वृद्धि करने की रणनीतियों के लिहाज से तैयार किया गया है। राष्ट्रीय रेल योजना, रेलवे की भविष्य की सभी अवसंरचनात्मक, व्यवसाय और वित्तीय योजना के लिए एक साझा मंच होगी। इस योजना के मसौदे को अब विभिन्न मंत्रालयों के पास उनके विचार जानने के लिए भेजा जा रहा है। रेलवे ने इस योजना को जनवरी 2021 तक अंतिम रूप देने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इस योजना का उद्देश्य है:
- इस योजना का उद्देश्य 2030 तक ऐसी क्षमता का निर्माण करना है, जो मांग से अधिक रहे तथा 2050 तक की मांग में वृद्धि संबंधी जरूरतों को पूरा करे। इसका लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन को कम करने और इस प्रक्रिया को जारी रखते हुए राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के एक अंग के रूप में 2030 तक माल ढुलाई में रेलवे की औसत हिस्सेदारी वर्तमान के 27% से बढ़ाकर 45% करना है।
- माल ढुलाई और यात्री क्षेत्रों में वास्तविक मांग का आकलन करने के लिए, पूरे देश में सर्वेक्षण टीमों द्वारा पूरे साल के दौरान सौ से अधिक प्रतिनिधि स्थानों पर सर्वेक्षण किया गया।
- माल ढुलाई और यात्री, दोनों क्षेत्रों में 2030 तक वार्षिक आधार पर और वर्ष 2050 तक दशकीय आधार पर यातायात में वृद्धि का पूर्वानुमान करना।
- 2030 तक माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी को 45% तक बढ़ाने के लिए परिचालन क्षमता और वाणिज्यिक नीति पहलों पर आधारित रणनीति तैयार करना।
- मालगाड़ियों की औसत गति को वर्तमान के 22 किलोमीटर प्रतिघंटा से बढ़ाकर 50 किलोमीटर प्रतिघंटा करके माल ढुलाई के समय में कमी लाना।
- रेल परिवहन की कुल लागत को लगभग 30% कम करना और उससे अर्जित लाभों को ग्राहकों को हस्तांतरित करना।
- भारतीय रेल मार्ग के मानचित्र के परिप्रेक्ष्य में मांग में वृद्धि का आकलन करना और भविष्य में नेटवर्क की क्षमता में वृद्धि करना।
- उपरोक्त अनुरूपता के आधार पर उन अवसंरचनात्मक अड़चनों की पहचान करना, जो भविष्य में मांग में वृद्धि के साथ उत्पन्न होंगी।
- इन अड़चनों को समय रहते दूर करने के लिए ट्रैक कार्य, सिग्नलिंग और रोलिंग स्टॉक में उपयुक्त तकनीक के साथ परियोजनाओं का चयन करना।
राष्ट्रीय रेल योजना के एक अंग के रूप में, 2024 तक कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं, जैसे 100% विद्युतीकरण, भीड़भाड़ वाले मार्गों की मल्टी ट्रैकिंग, दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई मार्गों पर गति को 160 किलोमीटर प्रतिघंटा तक बढ़ाना, अन्य सभी स्वर्णिम चतुर्भुज-स्वर्णिम विकर्ण (जीक्यू / जीडी) मार्गों पर गति का 130 किलोमीटर प्रति घंटा तक उन्नयन और सभी जीक्यू / जीडी मार्गों पर सभी स्तर के क्रॉसिंग को समाप्त करना आदि, के त्वरित कार्यान्वयन के लिए विज़न 2024 शुरू किया गया है।
- 2024 के बाद, भविष्य की परियोजनाओं के लिए दोनों ही क्षेत्रों – ट्रैक और सिग्नलिंग की पहचान की गयी है और इसके कार्यान्वयन के लिए निश्चित समय सीमा भी निर्धारित की गयी है
- निर्धारित समयसीमा के साथ ईस्ट कोस्ट, ईस्ट – वेस्ट और नार्थ- साउथ नाम के तीन समर्पित फ्रेट कॉरिडोर की पहचान की गई है। पीईटीएस सर्वेक्षण पहले से ही चल रहा है।
- कई नए हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की भी पहचान की गई है। दिल्ली और वाराणसी के बीच हाई स्पीड रेल से संबंधित सर्वेक्षण जारी है।
- यात्री यातायात के लिए रोलिंग स्टॉक की जरुरत के साथ-साथ माल ढुलाई के लिए माल – डिब्बों की जरुरत का आकलन करना।
- दिसंबर 2023 तक 100% विद्युतीकरण (हरित ऊर्जा) और 2030 तक और उसके आगे 2050 तक यातायात में बढ़ोतरी के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लोकोमोटिव की जरुरतों का भी आकलन करना।
- आवश्यक पूंजी के कुल निवेश का सावधिक विवरण के साथ आकलन करना।
- वित्त के नए स्रोतों और पीपीपी सहित वित्त पोषण के नए प्रारूपों की पहचान करना।
- राष्ट्रीय रेल योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए, भारतीय रेल निजी क्षेत्र, सार्वजनिक उपक्रमों, राज्य सरकारों और मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) / उद्योगों के साथ काम करने की संभावना की तलाश करेगी।
- परिचालन और रोलिंग स्टॉक के स्वामित्व, माल और यात्री टर्मिनलों के विकास, ट्रैक संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास / संचालन जैसे क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की निरंतर भागीदारी।
व्यावहारिक रूप से, राष्ट्रीय रेल योजना में मांग से अधिक क्षमता के निर्माण और माल ढुलाई में रेलवे की औसत हिस्सेदारी को 45% तक बढ़ाने के लिए 2030 तक पूंजी निवेश में प्रारंभिक वृद्धि की परिकल्पना की गई है।
2030 के बाद अर्जित राजस्व अधिशेष, भविष्य के पूंजी निवेश के वित्त पोषण और पहले से निवेश की गई पूंजी के ऋण अनुपात का बोझ भी उठाने के लिए पर्याप्त होगा। रेल परियोजनाओं को राजकोष से वित्त पोषण की जरुरत नहीं होगी।