क्या युवाओं ख़ास कर विद्यार्थियों को अब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मोह भंग होने लगा ? पौने 5 लाख ने डिस लाइक किया

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सुभाष चौधरी

नई दिल्ली : बड़ा सवाल उठा खड़ा हुआ है कि क्या युवाओं ख़ास कर विद्यार्थियों को अब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मोह भंग होने लगा है ? क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘ मन की बात ’ यूट्यूब चैनल को नापसंद करने की होड़ लग गई है. प्रधानमंत्री के 30 अगस्त के ‘Prime Minister Narendra Modi’s Mann Ki Baat with the Nation’ को सोमवार सवा दो बजे तक करीब पौने पांच लाख लोग डिस लाइक कर चुके हैं जबकि 70 हजार से ज्यादा लोगों ने लाइक का बटन दबा कर उनके द्वारा उठाये गए मुद्दों को पसंद किया है. चर्चा जोरों पर है कि जेईई मेन (इंजीनियरिंग एंट्रेंस ) व एनईईटी (मेडिकल एंट्रेंस ) की परीक्षा को स्थगित कराने की मांग करने वाले विद्यार्थी और अभिभावक ही उनके भाषण को नापसंद कर रहे हैं. निगेटिव कमेन्ट करने वालों में भी अधिकतर वे ही विद्यार्थी शामिल हैं जो मन की बात में इस परीक्षा की चर्चा नहीं करने से पीएम मोदी से नाराज हैं.

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री रविवार को 68वीं बार मन की बात कार्यक्रम में लोगों से रूबरू हुए । उनका भाषण ‘आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री सहित पोषण और देशी नस्ल के स्वान और कृषि क्षेत्र में नए प्रयोग पर केन्द्रित रहा. उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ के इर्दगिर्द ही स्वयं को सीमित रखा और दुनिया में खिलौना बाजार के 7 लाख करोड़ रुपए के व्यापार में भारत की हिस्सेदारी के लिए संभावनाएं तलाशने को प्रोत्साहित किया.

कहा जा रहा है कि देश के 20 लाख से अधिक छात्र व छात्राओं जिनमें जेईई मेन (इंजीनियरिंग एंट्रेंस ) व एनईईटी (मेडिकल एंट्रेंस ) की परीक्षा देने वाले शामिल हैं को उनके इस मान की बात से निराशा हाथ लगी. पिछले एक माह से भी अधिक समय से इनमें बड़ी संख्या में विद्यार्थी कोरोना संक्रमण की आशंका के कारण इन परीक्षाओं को अगले दो माह के लिए स्थगित करने की मांग कर रहे थे. कुछ छात्र सुप्रीम कोर्ट भी गए लेकिन वहाँ उन्हें असफलता हाथ लगी. कुछ छात्रों ने भाजपा के राज्यसभा सदस्य व वरिष्ठ वकील सुब्रमन्यम स्वामी से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की. श्री स्वामी ने सक्रियता दिखाई और केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश निशंक से बात की. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. अब उन्होंने पीएम से भी बात करने की कोशिश की लेकिन अभी तक विफल रहे. उन्होंने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री और पीएम नरेंद्र मोदी को इसे स्थगित करने के लिए पत्र भी लिखा लेकिन कोई रिजल्ट नहीं निकला.

इस बीच विपक्षी दलों ने भी इसमें राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश की. उन्हें लगा कि अगले एक दो साल में वोटर बनने वाले इन बच्चों की आवाज बन कर इन्हें लुभाया जा सकता है. ममता बनर्जी , सोनिया गाँधी सहित केप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इस मुद्दे को खूब उछाला और बैठक का छलावा कर इन विद्यार्थियों के सुर में सुर मिला कर इन्हें यह जताने की कोशिश की कि वे उनके साथ खड़े हैं. पिछले सप्ताह छह राज्यों की सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में भी कोर्ट के 17 अगस्त के निर्णय के पुनर्विचार की मांग वाली याचिका भी दायर की. लेकिन परीक्षा स्थगित करने की मांग करने वालों की मंशा विफल ही रही.

दूसरी तरफ इन दोनों ही परीक्षाओं को निर्धारित तिथियों के अनुसार ही आयोजित कराने की मांग करने वालों ने भी मुहीम चलाई. यह वाद विवाद सोशल मिडिया में पिछले एक माह से भी अधिक समय से छाया हुआ है.

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम मन की बात पर सब की नजरें टिकी हुई थी. परीक्षा स्थगित करने की मांग करने वालों को उम्मीद थी कि शायद पीएम इस मामले पर भी कुछ बोलेंगे लेकिन उन्होंने इस विषय को नजरअंदाज किया. लगता है पीएम मोदी की यह रणनीति विरोध का झन्डा उठाये इन परीक्षार्थियों को नागवार गुजरी. उन्हें उम्मीद थी कि पीएम इस विषय पर अपना मंतव्य रख सकते हैं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. और आग में घी का काम किया विपक्षी नेता कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने.

श्री गांधी ने ट्विट कर पीएम पर कटाक्ष किया और कहा कि मन की बात में “जेईई मेन (इंजीनियरिंग एंट्रेंस ) व एनईईटी (मेडिकल एंट्रेंस ) के परीक्षार्थियों ने पीएम मोदी से परीक्षा पे चर्चा की उम्मीद की थी लेकिन उन्होंने खिलौने पर चर्चा की.” उन्होंने कहा कि “मन की बात नहीं स्टूडेंट की बात”. राहुल गांधी के इस ट्विट को एक लाख से अधिक लोगों ने पसंद किया है जबकि 41.5 हजार लोगों ने इसे री ट्विट किया है.

आश्चर्य की बात यह है कि युवाओं और बच्चों पर सर्वाधिक फोकस करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी जो अक्सर विद्यार्थियों को किसी भी परीक्षा के समय शुभकामना देने व तैयारी करने के तौर तरीके बताने से नहीं चूकते इस बार अपनी शुभकामना देने से भी चूक गए. मन की बात में उठाये जाने वाले विषयों का विश्लेषण करने से स्पष्ट होता हैं कि यहाँ पीएम मोदी से चूक हुई. क्योंकि उन्हें जब यह पता है कि जेईई मेन (इंजीनियरिंग एंट्रेंस ) व एनईईटी (मेडिकल एंट्रेंस ) की दोनों ही परीक्षाएं निर्धारित तिथियों पर ही एन टी ए द्वारा आयोजित कराने पर केंद्र सरकार अडिग है तो फिर परीक्षार्थियों को कम से कम शुभकामना तो दे देते. इससे विपक्ष और परीक्षा स्थगित कराने वालों के हाथ से आलोचना का मौका छिन  जाता जबकि वेसे परीक्षार्थी जो परीक्षा आयोजित कराने के पक्ष में हैं का साथ उन्हें खुल कर मिल जाता. यानी इस रणनीति से परीक्षा को स्थगित कराने और विरोध वाले दो फाड़ हो जाते. प्रधान मंत्री यह भूल गये कि उनका अपना कार्यक्रम भी है  ” परीक्षा पे चर्चा ” जिसका वे हर साल आयोजन करवाते हैं और विद्यार्थियों से बात करते हैं. बोर्ड परीक्षा से ठीक पहले इस आयोजन से बड़े पैमाने पर उनके अनुयायियों में हर वर्ष नई पीढ़ी जुड़ जाती है. लेकिन यहाँ वे चूक गए .

हालांकि उन्होंने खिलौने के बहाने बच्चों को खेल खेल में सिखाने की परम्परा और शिक्षकों से आजादी के 75 वें साल के लिए बच्चों को तैयारी करवाने का जिक्र किया लेकिन स्कूल से निकल कर तकनीकि व चिकित्सा कालेज की दहलीज पर खड़े बच्चों को वे भूल गए.   

प्रधान मंत्री की इस अति सावधानी वाली रणनीति जन सामान्य को भी नहीं पच रही है. बहरहाल प्रधान मंत्री ने जिस भी कारण से यह सावधानी बरती व्यवाहारिक नहीं रही.

पीएम मोदी को यह समझाना पड़ेगा कि अगर चार से पांच लाख विद्यार्थी जेईई मेन (इंजीनियरिंग एंट्रेंस ) व एनईईटी (मेडिकल एंट्रेंस ) की परीक्षा को स्थगित करने की मांग कर रहे थे तो इनके विरोध में जाने से ये आने वाले समय में नई पीढ़ी के और भी मतदाताओं को उनके खिलाफ सोचने को उकसायेंगे. इस बात का प्रमाण यू ट्यूब पर उनके मन की बात की इस कड़ी में बच्चों व अभिभावकों के कमेन्ट के शब्दों से मिल रहा है. उनके अगले कदम किस दिशा में उठेंगे इसे आसानी से समझा जा सकता है. यह सिलसिला केवल चर्चा के विषय तक ही सीमित नहीं रहेगी कारवां भी तैयार कर सकती है क्योंकि कोरोना महामारी ने बड़ी संख्या में युवाओं व 45 से 50 वर्ष की उम्र के लोगों को बेरोजगार भी किया है.   

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