नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने देश में शहरी और ग्रामीण युवाओं के लिए ग्रामीण उद्यमों को एक आकर्षक कैरियर का विकल्प बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने ग्रामीण भारत में उपलब्ध अवसरों के बारे में युवाओं को जानकारी देने के लिए एक संवेदीकरण कार्यक्रम बनाए जाने का भी आह्वान किया।
भारतीय ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आनंद (आईआरएमए) के 40वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए, उन्होंने इस संस्थान के छात्रों और अध्यापकों से अपने नेटवर्क में स्कूलों / कॉलेजों के कम से कम 10 युवाओं को जागरूक बनाने तथा ग्रामीण भारत में उपलब्ध संभावनाओं का पता लगाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने का अनुरोध किया। उन्होंने इस कार्य को व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्व (पीएसआर) का नाम दिया।
गुजरात को सरदार पटेल और महात्मा गांधी जैसे बड़े नेताओं की ‘जन्मभूमि‘ और ‘कर्मभूमि‘ बताते हुए उन्होंने इन नेताओं के ग्राम स्वराज के दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने का आह्वान किया। आईआरएमए जैसे संस्थानों की इस कार्य में विशिष्ट भूमिका है।
यह देखते हुए कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है, उन्होंने यह मत जाहिर किया कि ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसलिए ग्रामीण उद्यमिता, किसान निर्माता कंपनियों (एफपीसी) को बढ़ावा देकर और आपूर्ति श्रृंखला दक्षता में सुधार के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर बदलाव लाए जाने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने ग्रामीणों और किसानों को सफल उद्यमी और नवाचार में बदलने के लिए उचित प्रशिक्षण और संरक्षण उपलब्ध कराने के लिए कहा।
ग्राम स्तर के उद्योगों के विकेन्द्रीकरण के बारे में गांधीजी के दृष्टिकोण की पुष्टि करते हुए उन्होंने कृषि और कृषि उत्पादों के मूल्यवर्धन के बारे में नये सिरे से ध्यान केन्द्रित किए जाने का आह्वान किया। टमाटर सॉस और आलू के चिप्स बेचने वाले विदेशी ब्रांडों का उदाहरण देते हुए उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण स्तर पर कृषि प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने का आह्वान किया ताकि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सके।
एक महान संस्थान निर्माता के रूप में डॉ. वर्गीज कुरियन का स्मरण करते हुए, श्री नायडू ने अमूल की सफलता की कहानी अन्य क्षेत्रों में भी दोहराने की जरूरत बताई, ताकि छोटे और सीमांत किसान विपणन में अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठा सकें। ‘श्वेत क्रांति’ ’बड़े पैमाने पर उत्पादन’ से नहीं बल्कि जनता द्वारा अधिक मात्रा में दुग्ध उत्पादन से हासिल की गई।
श्री नायडू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डिजिटल इंडिया जैसी प्रौद्योगिकियों और कार्यक्रमों में डिजिटल भुगतान, ई-कॉमर्स जैसे माध्यमों ने ग्रामीण भारत में नए व्यापारिक रास्ते खोले हैं और ग्रामीण डिजिटलीकरण बदलाव के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है। उन्होंने आईआरएमए से अगले दो वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम 1,000 स्टार्ट-अप्स सृजित करने के लिए कहा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ग्रामीण भारत में पारंपरिक खाद्य पदार्थ, शिल्प, इको-पर्यटन के लिए उपभोक्ता क्षेत्र में बहुत अवसर उपलब्ध हैं। इसलिए उन्होंने इस संभावना को अर्जित करने के लिए प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग का आह्वान किया।
कृषि (कृषि उत्पादन), विनिर्माण (प्राथमिक खाद्य प्रसंस्करण) और सेवाएं (वितरण और आपूर्ति) अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों को एक साथ लाना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में प्रगति के लिए स्वयं में एक बड़ा अवसर हो सकता है। इससे राष्ट्र को अधिक सामाजिक-आर्थिक लाभ उपलब्ध होगा।
भारत की श्वेत क्रांति में महिलाओं की भूमिका की प्रशंसा करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि ग्रामीण डेयरी अर्थव्यवस्था में महिलाओं का योगदान 90 प्रतिशत से भी अधिक है। राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में महिलाओं का कुल योगदान लगभग 25 प्रतिशत है। हमें ग्रामीण संगठनों और आपूर्ति श्रृंखलाओं द्वारा प्रस्तावित महिला सशक्तीकरण के लिए व्यापक संभावनाओं की पहचान करने की आवश्यकता है। डेयरी सहकारी आंदोलन ने इस मान्यता का बखूबी प्रदर्शन किया है।
श्री नायडू ने जल संकट की समस्या से निपटने के लिए जल संरक्षण की जरूरत पर जोर देते हुए 3-आर – रिसायकल, रिड्यूस, रियूज़ की वकालत करते हुए जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाए जाने के लिए कहा।
श्री नायडू ने कहा कि देश की अधिकांश जनसंख्या 6.4 लाख गांवों में रहती है। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, सौभाग्य योजना के तहत सार्वभौमिक विद्युतीकरण, उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड़ से भी अधिक एलपीजी कनेक्शनों का वितरण और हर परिवार को पाइप से जल उपलब्ध कराने (हर घर जल) के कार्य पर नये सिरे से ध्यान केन्द्रित करके ग्रामीण लोगों के जीवन में बेहतरी लाने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की सराहना की।
इससे पहले, श्री नायडू ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के परिसर का दौरा किया। उन्हें अमूल की उल्लेखनीय यात्रा तथा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी दी गई। श्री नायडू ने आईआरएमए की स्थापना के 40 साल पूरे होने पर एक कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन किया।
इस अवसर पर गुजरात के शिक्षा मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह चूडासमा,लोकसभा सांसद श्री मितेश रमेशभाई पटेल, सांसद (राज्यसभा) श्री लालसिंह वाडोदिया, आईआरएमए के अध्यक्ष श्री दिलीप रथ, आईआरएमए के निदेशक प्रो. हितेश वी. भट्ट और श्री कांतिभाई चावड़ा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।