नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 27 नवंबर (बुधवार) को शाम 5 बजे फ्लोर टेस्ट होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति होगी जो विधायकों को शपथ दिलाएगा। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि फ्लोर टेस्ट के दौरान गुप्त मतदान गुप्त नहीं होगा और इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा।
महाराष्ट्र मामले पर सोमवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को फैसला पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस रमना ने कहा कि संवैधानिक मुद्दों को छूने, लोकतांत्रिक मूल्यों का ध्यान रखने और संविधान को कायम रखने की जरूरत है। कोर्ट ने इस दौरान उत्तराखंड और एसआर बोम्मई केस का भी जिक्र किया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह संवैधानिक मुद्दों पर सुनवाई को 6 हफ्तों के बाद शुरू करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी के पास अब करीब 30 घंटे हैं बहुमत साबित करने के लिए, तीनों दल लगातार मांग कर रहे थे कि जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट हो। कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बड़ी जीत बताया है। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संविधान दिवस पर सुप्रीम कोर्ट का ये बड़ा गिफ्ट है।
न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि विधायकों की खरीद फरोख्त से बचने के लिये यह जरूरी है। पीठ ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से कहा कि वह अस्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी निर्वाचित प्रतिनिधि बुधवार को ही शपथ ग्रहण कर लें।
पीठ ने कहा कि इस समूची प्रक्रिया को बुधवार की शाम पांच बजे तक पूरा किया जायेगा और इसका सीधा प्रसारण किया जायेगा।
पीठ ने कहा कि सदन में गुप्त मतदान नहेीं होगा।
राज्यपाल कोश्यारी द्वारा नियुक्त अस्थाई अध्यक्ष नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलायेंगे।
पीठने अपने आदेश में कहा, ‘‘मौजूदा मामले में नवनिर्वाचित विधायकों ने अभी तक शपथ ग्रहण नही की है। ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की खरीद फरोख्त से बचने के लिये जरूरी है कि बहुमत का निर्धारण सदन में ही हो।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हमारी सुविचारित राय है कि राज्यपाल को सदन में बहुमत परीक्षण सुनिश्चित करना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने संक्षिप्त प्रक्रिया पूरी करते हुये कहा कि देवेन्द्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की मुख्य याचिका पर जवाब आठ सप्ताह में जवाब दाखिल किये जायेंगे।
न्यायालय ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों और सुशासन के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिये सदन में बहुमत परीक्षण का अंतरिम आदेश देना जरूरी है।
संवैधानिक सुशिता को ध्यान में रखते हुये पीठ ने कहा कि राज्य में चुनाव के नतीजे आने के एक महीने बाद भी निर्वाचित सदस्यों को शपथ नहीं दिलायी गयी है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य में स्थिर सरकार के लिये जल्द से जल्द सदन में बहुमत परीक्षण कराना होगा और राज्यपाल को निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने के लिये अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त करना चाहिए।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधान सभा में भाजपा के 105 सदस्य है और वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। इस चुनाव में शिव सेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर विजय हासिल हुयी है।