मुंबई : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शनिवार को शपथ लेने वाले राकांपा नेता अजित पवार रविवार तड़के यहां चर्चगेट के पास अपने निजी आवास लौटे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने शनिवार मुंबई में अपने भाई के घर पर बिताया, जबकि उनके चाचा और राकांपा प्रमुख शरद पवार ने पार्टी की एक बैठक में भाग लिया, जहां राकांपा के अधिकतर विधायक मौजूद थे।
इस बीच, देवेंद्र फडणवीस के दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद, रविवार को मुंबई में भाजपा विधायकों की एक बैठक आयोजित की गई ।
दूसरी तरफ राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना दल यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके विधायकों की खरीद-फरोख्त न की जा सके। इसे देखते हुए, राकांपा और शिवसेना अपने विधायकों को मुंबई के लग्जरी होटलों में ले गई, जबकि कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि वे अपने विधायकों को जयपुर ले जा सकते हैं। 288 सदस्यीय विधानसभा में, भाजपा सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 145 विधायकों का समर्थन जुटाना होगा।
अभी तक इन खबरों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है कि राज्यपाल ने फडणवीस को 30 नवंबर तक विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा है।
महाराष्ट्र में हुए आश्चर्यजनक उलटफेर में शनिवार को भाजपा के देवेंद्र फडणवीस की मुख्यमंत्री के रूप में वापसी हुई जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ जब कुछ घंटे पहले ही कांग्रेस और राकांपा ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति बनने की घोषणा की थी।
बाद में शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ‘‘मनमानी और दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई/फैसले’’ के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा आनन-फानन में राजभवन में शनिवार सुबह आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में नाटकीय तरीके से फडणवीस और पवार को शपथ दिलाए जाने के बाद राकांपा में दरार दिखाई देने लगी। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने भतीजे अजित पवार के कदम से दूरी बनाते हुए कहा कि फडणवीस का समर्थन करना उनका निजी फैसला है न कि पार्टी का।
बाद में राकांपा ने अजित पवार को पार्टी विधायल दल के नेता पद से हटाते हुए कहा कि उनका कदम पार्टी की नीतियों के अनुरूप नहीं है।