नई दिल्ली। प्रत्येक मंत्रालय के लिए एक पंचवर्षीय विजन योजना को अंतिम रूप देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय के अनुरूप, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्चतर शिक्षा विभाग ने एक पंचवर्षीय विजन योजना ‘’शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन एवं समावेशन कार्यक्रम (ईक्यू यूआईपी)’’ को अंतिम रूप देकर इसे जारी किया है। विशेषज्ञों द्वारा शिक्षा संबंधी 10 विशेष क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक विस्तृत चर्चा के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
इसके लिए 10 विशेष समितियों का गठन किया गया जिनके अध्यक्ष उस क्षेत्र के मशहूर विशेषज्ञों को बनाया गया।
समूह संख्या | समूह फोकस | अध्यक्ष |
समूह 1 | पहुंच विस्तारित करने के लिए कार्यनीतियां | श्री हसमुख अधिया, कुलाधिपति, केन्द्रीय विश्वविद्यालय गुजरात |
समूह 2 | वैश्विक सर्वश्रेष्ठ शिक्षण/ अध्ययन प्रक्रिया की दिशा में | डॉ. के कस्तूरीरंगन, कुलाधिपति, राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय एवं अंतरिक्ष विभाग के पूर्व सचिव ; इसरो के पूर्व अध्यक्ष |
समूह 3 | उत्कृष्टता को बढ़ावा देना | श्री पवन गोयनका, अध्यक्ष, बी. ओ. जी., आई. आई. टी. मद्रास |
समूह 4 | शासन सुधार | प्रो. एम एस अनन्त, अध्यक्ष राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) |
समूह 5 | आकलन, प्रत्यायन एवं रैंकिंग प्रणाली | प्रो. सुरेन्द्र प्रसाद, पूर्व निदेशक, आई.आई. टी दिल्ली |
समूह 6 | अनुसंधान एवं नवोन्मेषण को बढ़ावा देना | डॉ. विजय राघवन, प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार |
समूह 7 | रोजगारपरकता एवं उद्यमशीलता | श्री अजीत बालाकृष्णन, पूर्व अध्यक्ष, आई. आई. एम कोलकाता |
समूह 8 | बेहतर पहुंच के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना | प्रो. दीपक पाठक, अध्यक्ष, एन आई टी गोवा एवं प्रो. आई आई टी बोम्बे |
समूह 9 | अंतरराष्ट्रीयकरण | श्री अमिताभ कांत, सीईओ, नीति आयोग |
समूह 10 | उच्चतर शिक्षा का वित्त पोषण | श्री क्रिस गोपालकृष्णन, पूर्व सीईओ, इन्फोसिस |
2. वरिष्ठ शिक्षाविदों, प्रशासकों एवं उद्योगपतियों से निर्मित 10 विशेषज्ञ समूहों ने 50 से अधिक पहलों का सुझाव दिया है जो उच्चतर शिक्षा क्षेत्र को पूर्ण रूप से रूपांतरित कर देंगे। समूहों ने उच्चतर शिक्षा क्षेत्रों के लिए 10 प्रमुख लक्ष्यों को निर्धारित किया है :
- उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को दोगुना करना और भारत में उच्चतर शिक्षा संस्थानों तक भौगोलिक एवं सामाजिक सुविधा में विषमता का समाधान करना।
- शिक्षा की गुणवत्ता का वैश्विक मानदंडों तक उन्नयन करना।
- कम से कम 50 भारतीय संस्थानों को शीर्ष-1000 वैश्विक विश्वविद्यालयों के बीच स्थापित करना।
- सु-प्रशासित परिसरों के लिए उच्चतर शिक्षा में शासन सुधार लागू करना।
- गुणवत्ता के एक आश्वासन के रूप में सभी संस्थानों का प्रत्यायन।
- ज्ञान सृजन के मामलों में विश्व में शीर्ष तीन देशों में भारत को स्थापित करने के लिए अनुसंधान एवं नवोन्मेषन प्रणालियों को बढ़ावा देना।
- उच्चतर शिक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों की रोजगारपरकता को दोगुना करना।
- अध्यापन कला की पहुंच को विस्तारित करने एवं उन्नयन के लिए शिक्षा प्रौद्योगिकी का दोहन करना।
- भारत को एक वैश्विक अध्ययन गंतव्य के रूप में बढ़ावा देना।
- उच्चतर शिक्षा में निवेश की मात्रा में वृद्धि अर्जित करना।
बताया जाता है कि प्रत्येक लक्ष्य के लिए, समूहों ने कार्यान्वयनों, निवेशों एवं समय सीमाओं के लिए तौर-तरीकों की अनुशंसा की है। इस प्रस्ताव पर अब अनुमोदन के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत करने से पूर्व ईएफसी तंत्र के जरिए अंत: विभागीय परामर्शों एवं मूल्यांकनों के लिए विचार किया जाएगा।