चंडीगढ़ : हरियाणा में पिछले पांच वर्षों से स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता सुधार के उद्देश्य से चलाए जा रहे राज्यव्यापी शिक्षा बदलाव कार्यक्रम ‘सक्षम हरियाणा’ के सकारात्मक परिणाम नजर आने लगे हैं। इसके परिणामस्वरूप प्रदेश में अब ना केवल 86 प्रतिशत विद्यार्थी सक्षम या ग्रेड लेवल सक्षम हो गए हैं, बल्कि 13 और खंडों को सक्षम घोषित किया गया है। आठ दौर के आकलन के बाद प्रदेश के कुल 107 खंड सक्षम हो गए हैं, जबकि लगभग 18 माह के दौरान 8 दौर के आकलन के बाद प्रदेश में 14 जिले शत-प्रतिशत सक्षम हो गए हैं।
मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी कार्यक्रम के परियोजना निदेशक डॉ० राकेश गुप्ता ने इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि अध्ययन अभिवृद्धि कार्यक्रम के माध्यम से रेमेडियल शिक्षा, प्रदेश में शैक्षणिक समीक्षा तथा निगरानी तंत्र के मजबूतीकरण और शिक्षा विभाग की प्रौद्योगिकी प्रणालियों (प्रबंधन सूचना प्रणाली शैक्षणिक निगरानी प्रणाली) में सुधार पर ध्यान केन्द्रित करना शामिल है। केन्द्रीकृत परीक्षाएं आयोजित करके डाटा संग्रहण और डाटा विश्लेषण में सुधार लाकर तथा नकल में कमी करके आकलन सुधार किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन पहलों के माध्यम से राज्य का लक्ष्य ‘सक्षम’ बनना अर्थात प्रदेश में 80 प्रतिशत विद्यार्थियों के लिए ग्रेड लेवल दक्षता हासिल करना है। ग्रेड लेवल दक्षता से अभिप्राय है कि किसी विशेष ग्रेड का विद्यार्थी उस ग्रेड के लिए परिभाषित सभी दक्षताओं या कौशलों से परिचित हो। अर्थात यदि ग्रेड 7 का कोई विद्यार्थी ग्रेड 7 में पढ़ाई जाने वाली दक्षताओं से परिचित है तो वह ग्रेड लेवल सक्षम है। किसी भी खंड को सक्षम होने के लिए इसके 80 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थियों को ग्रेड लेवल सक्षम होना चाहिए। जिले को सक्षम होने के लिए इसके सभी खंडों का ‘सक्षम’ होना आवश्यक है। हरियाणा को सक्षम होने के लिए इसके सभी जिलों को सक्षम होने की आवश्कता है।
उन्होंने बताया कि ग्रेड 3,5 और 7 के विद्यार्थियों का सेंपल आधार पर भाषा (हिन्दी) और गणित में मूल्यांकन किया जाता है। ऐसे स्कूलों जो कि ग्रामीण, शहरी, लडक़ों, लड़कियों, प्राथमिक और माध्यमिक का बेहतर प्रतिनिधित्व करते हों, के चयन के लिए वैज्ञानिक सेंपलिंग पद्घति का उपयोग किया जाता है। इन स्कूलों में थर्ड पार्टी मूल्यांकन करवाया जाता है। थर्ड पार्टी मूल्यांकन के परिणाम के आधार पर यह निर्णय लिया जाता है कि वह खंड वास्तव में ‘सक्षम’ बन गया है या नहीं।
डॉ० राकेश गुप्ता ने बताया कि यदि किसी खंड को यह विश्वास है कि उसके 80 प्रतिशत विद्यार्थियों ने ग्रेड लेवल दक्षता हासिल कर ली है तो वह ‘सक्षम घोषणा’ के तहत मूल्यांकन के लिए स्वयं को नामित कर सकता है। सरकार परीक्षण एजेंसी ग्रे मेटर्स इंडिया द्वारा संचालित स्वतंत्र थर्ड पार्टी मूल्यांकन के माध्यम से उनके नामांकन की जांच करती है। यह राष्ट्रीय तथा एससीईआरटी हरियाणा द्वारा निर्धारित सिलैबस का परीक्षण करती है और एससीईआरटी तथा एनसीईआरटी द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रम के मानकों का पालन करती है।
उन्होंने बताया कि दिसम्बर, 2017 से मई, 2019 के बीच मूल्यांकन के 8 दौर संचालित किए गए हैं। फरवरी, 2019 तक सक्षम घोषणा के 7 दौर संचालित किए गए और 94 खंडों को सक्षम घोषित किया गया। शेष 25 खंडों के लिए 17 मई को मूल्यांकन का अन्य दौर संचालित किया गया जो कि ‘सक्षम’ का दर्जा हासिल करने में सफल नहीं हुए। उन्होंने बताया कि 17 मई को 13 जिलों से 25 खंडों में 1105 स्कूलों के 84981 विद्यार्थियों का परीक्षण किया गया। हाल ही में घोषित परिणाम में 13 और खंडों को हिन्दी तथा गणित में सक्षम या ग्रेड लेवल सक्षम घोषित किया गया है। इसके अलावा, 8 खंड लगभग सक्षम हो गए हैं। सक्षम घोषणा के 8 दौर के बाद 90 प्रतिशत खंड (प्रदेश के 119 खंडों में से 107) अब सक्षम हो गए हैं तथा 22 में से 14 जिले पूरी तरह से सक्षम बन गए हैं। इस दौर के पूरा होने के साथ ही प्रदेश के 86 प्रतिशत विद्यार्थी हिन्दी और गणित में गे्रड लेवल सक्षम हो गए हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के जो 14 जिले पूर्ण रूप से सक्षम हुए हैं उनमें झज्जर, चरखीदादरी, कैथल, भिवानी, पंचकूला, महेन्द्रगढ़, करनाल, सोनीपत, पानीपत, गुरुग्राम, सिरसा, रेवाड़ी, हिसार और जींद शामिल हैं। आज सक्षम घोषित किए गए 13 नए खंडों में अग्रोहा, बाबैन, बरवाला, बहल, जगाधरी, कलानौर, मुस्तफाबाद, पिंजौर, रायपुररानी, रतिया, सीवान और सिवानी शामिल हैं। इसीप्रकार, जो आठ खंड सक्षम बनने वाले हैं उनमें बराड़ा, बल्लभगढ़, फिरोजपुर झिरका, लाडवा, नगीना, पुन्हाना, रोहतक और टोहाना शामिल हैं। इसके अलावा, चार गैर सक्षम खंडों में अम्बाला-1 (शहर), अम्बाला-2 (छावनी), छछरौली और हथीन शामिल हैं।
डॉ० राकेश गुप्ता ने बताया कि जो खंड हिन्दी और गणित में ‘सक्षम’ या ग्रेड लेवल सक्षम बने हैं, उन्हें ‘सक्षम प्लस’ का दर्जा देने के लिए अंग्रेजी में मूल्यांकन किया गया। फरवरी, 2019 में पांच खंडों का परीक्षण किया गया जिनमें से एक को ‘सक्षम प्लस’ का दर्जा मिला। मई, 2019 में 26 और खंडों का परीक्षण किया गया तथा चार खंडों को ‘सक्षम प्लस’ का दर्जा दिया गया।
उन्होंने बताया कि खंडों को सक्षम और सक्षम प्लस बनाने के लिए जिले के समन्वय से खंड में कई सुधार क्रियान्वित किए गए। विस्तृत जिला स्तरीय के साथ-साथ सूक्ष्म खंड स्तरीय योजना और क्रियान्वयन किया गया। मार्च से मई तक सभी गैर-सक्षम खंडों में शैक्षणिक और लीडरशिप इंटरवेंशन के साथ खंड परिवर्तन योजनाएं क्रियान्वित की गई। जिला और खंड स्तर के अधिकारी एक साथ आए और डीईओ, डीईईओ, बीईओ, डाईट प्रिंसिपल, डाईट लेक्चरर, डीपीसी, एपीसी, सीएमजीजीए और अध्यापकों समेत प्रत्येक ने पूरी कवायद की तैयारी में भागीदारी की। दक्षता आधारित अध्यापन, एलईपी अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी और निगरानी दौरे किए गए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कमजोर विद्यार्थियों, दक्षताओं और स्कूलों को लक्षित सभी कदम सुनिश्चित किए गए हैं, खंड और स्कूल स्तर पर नियमित तौर पर पूर्व मूल्यांकन संचालित किए गए और सख्त डाटा मूल्यांकन किया गया। विद्यार्थियों को उनकी ग्रेड लेवल दक्षता पर आधारित सही स्तर पर पढ़ाने के लिए डाईट और अध्यापकों द्वारा सूक्ष्म स्तर पर योजनाएं भी बनाई गई। इसके अलावा, कलस्टर लेवल पर नियमित समीक्षाएं की गई।
डॉ० गुप्ता ने बताया कि अब सरकार का लक्ष्य सभी खंडों में सभी कक्षाओं (तीन से आठ तक) को सक्षम बनाना, सभी खंडों के समक्ष दर्जें को कायम रखना और माध्यमिक कक्षाओं में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। उन्होंने बताया कि मूल्यांकन का अगला चरण अगस्त, 2019 में संचालित किया जाएगा। हरियाणा राज्य से अध्ययन को राष्ट्रीय स्तर पर नीति आयोग द्वारा भी मान्यता दी जा रही है ताकि अन्य राज्य भी अपने अध्ययन स्तरों में सुधार कर सकें।