सुभाष चौधरी
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया जबकि राजस्थान में बहुमत से केवल दो सीटें दूर फाह गयी है. यह कहना सही होगा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस 15 साल बाद पुनर्जीवित हुई जबकि छत्तीसगढ़ में रिकॉर्ड वापसी की है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता सरकार बनाने का दावा पेश करने को तत्पर हैं और राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है दूसरी तरफ राजस्थान में सत्ता परिवर्तन की परंपरा बरकरार रही और बहुमत हासिल कर लिया है. माना जा रहा है कि राजस्थान में अशोक गहलोत के अनुभव और सचिन पायलट के जोश का कॉकटेल कांग्रेस के लिए मैजिक का काम कर गया.
राजस्थान में अशोक गहलोत को सीएम बनाने की मुहिम तेज हो चली है। हालांकि कांग्रेस विधायक दल की आज बैठक है लेकिन संभावना है कि राहुल गांधी गहलोत को ही प्राथमिकता देंगे। दूसरी तरफ छत्तीशगढ़ में अपार बहुमत मिलने से पार्टी को वहां जल्दबाजी नहीं है। वहां भूपेश बघेल सीएम पद के प्रबल दावेदारों में गिने जा रहे हैं हालांकि की और नाम चर्चा में हैं।
इधर दक्षिण के राज्य तेलंगाना में जनता को कांग्रेस-टीडीपी गठबंधन रास नहीं आया और एक बार फिर केसीआर पर भरोसा जताया है. उन्हें भारी बहुमत देकर कांग्रेस की चाल को पूर्णतः नकार दिया है। वहीं पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया है । जाहिर है पूर्वोत्तर में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है.
*मध्य प्रदेश: कुल सीट-230*
बीजेपी- सीटें 109, वोट शेयर (41.0%)
कांग्रेस- सीटें 114, वोट शेयर (40.9%)
अन्य- सीटें 07, वोट शेयर (12.1%)
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए सरकार बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है. दरअसल एसपी ने पहले ही कांग्रेस को समर्थन का एलान कर दिया था अब मायावती ने भी कांग्रेस के साथ जाने का ऐलान लर दिया है. वहीं चार निर्दलीय भी कांग्रेस के बागी हैं, इसलिए उन्हें अपने पाले में लाने में भी कांग्रेस को ज्यादा मुश्किल नहीं होगी. इसके साथ ही लोगों की दिलचस्पी इस बात पर भी है कि कांग्रेस आलाकमान किसे सीएम की कुर्सी पर बैठाता है. कमलनाथ और सिंधिया दोनों ही रेस में हैं.
दूसरी तरफ भाजपा भी सत्ता में बने रहने को कसमसा रही है। खबर है कि पार्टी के बड़े नेताओं की बैठक सीएम शिवराज सिंह के घर पर चल रही है। भाजपा अध्यक्ष ने भी राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है। समझा जाता है कि भाजपा आसानी से इस राज्य को छोड़ने को तैयार नहीं है। दबी जुबान से भाजपा नेता निर्दलीय और बसपा के दो विधायकों का समर्थन होने और उनके संपर्क में होने का दावा कर रहे हैं। आज का दिन कांग्रेस व भाजपा दोनों के लिए कयामत की रात जैसा है। हालात इस कदर बन रहे हैं कि अगर निर्दलीय और बसपा के विधायक मायाबती की बात को अनसुनी कर भाजपा के पाले में चले गए तो कांग्रेस का खेल बिगड़ सकता है और दोनों बराबर की स्थिति इन आ सकते हैं। राजनीति संभावनाओं का खेल है इएलिये ऊंट किस करबट बैठेगा यह कहना बेहद मुश्किल है।
*राजस्थान: कुल सीट-199*
बीजेपी- सीटें 73, वोट शेयर (39.0%)
कांग्रेस- सीटें 99, वोट शेयर (40.2%)
अन्य- सीटें 26, वोट शेयर (20.8%)
राजस्थान में वसुंधरा राजे ने कहा हार मान ली है और कहा है कि जनता की आवाज को विधानसभा में उठाएंगी. राजस्थान में सरकार बदलने की परंपरा बरकरार है. कांग्रेस के लिए अब मुख्यमंत्री चुनने की बारी है, जिसमें अशोक गहलोत और सचिन पायलट रेस में हैं.
*छत्तीसगढ़: कुल सीट-90*
बीजेपी- सीटें 15, वोट शेयर (31.9%)
कांग्रेस- सीटें 68, वोट शेयर (46.6%)
अन्य- सीटें 7, वोट शेयर (21.6%)
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की बंपर जीत हुई है, पंद्रह साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी 90 में सिर्फ 15 सीटों पर ही सिमट गई है. रमन सिंह ने हार ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा ले लिया है. एमपी और राजस्थान की तरह सभी की निगाहें कांग्रेस आलाकमान की ओर हैं कि छत्तीसगढ़ में किसे कुर्सी सौंपी जाएगी.
*तेलंगाना: कुल सीट-119*
टीआरएस- सीटें 88, वोट शेयर (46.6%)
कांग्रेस- सीटें 21, वोट शेयर (33.3%)
बीजेपी- सीटें 1, वोट शेयर (6.7%)
अन्य- सीटें 2, वोट शेयर (13.3%)
तेंलगाना में केसीआर की टीआरएस दोबारा सत्ता पाने में कामयाब रही. लोगों को कांग्रेस और टीडीपी का गठबंधन रास नहीं है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि केसीआर कल मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी भी केसीआर के समर्थन में थे और खुद को उनका सिपाही बता रहे थे.
*मिजोरम: कुल सीट-40*
कांग्रेस- सीटें 7, वोट शेयर (30.6%)
एमएनफ- सीटें 27, वोट शेयर (37.9%)
बीजेपी- सीटें 1, वोट शेयर (8.3%)
अन्य- सीटें 5, वोट शेयर (23.2%)
पूर्वोत्तर का आखिरी राज्य मिजोरम भी कांग्रेस के हात से निकल गया है. राज्य ने एमएनएफ पर भरोसा दिखाया है. वहीं बीजेपी एक सीट पाने में कामयाब रही है. कांग्रेस की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांच बार के सीएम पी ललथनहवला दो जगह से चुनाव लड़े और दोनों ही जगह से हार गए.