पटना। बिहार को राजधानी में जद यू और भाजपा की तरह राजनीतिक पंडितों को भी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पटना आने का बेसब्री से इंतजार है। खबर है कि श्री शाह गुरुवार को बिहार की राजधानी पटना पहुंचने वाले हैं। चर्चा है कि अमित शाह इस दौरे में मुख्यमंत्री और जनता दल यू के अध्यक्ष नीतीश कुमार के साथ नाश्ते और रात्रि भोज में मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं की मुलाकात बिहार की राजनीति के लिए अहम है क्योंकि इस बैठक में 2019 लोक सभा की रणनीति और टिकट बंटवारे को लेकर रोड मैप के संकेत मिले सकते हैं।
संभवना इस बात की प्रबल है कि शाह की इस बिहार यात्रा के दौरान नीतीश कुमार की जद यू के लिए सीट बंटवारे पर चर्चा होगी साथ ही लोकसभा चुनाव की रणनीति पर भी बातचीत हो सकती है। इसलिए दोनों नेताओं के मिलन पर बिहार के सत्ता पक्ष के नेताओं की भी नजर तो है ही जबकि विपक्ष भी इस महत्वपूर्ण मुलाकात से निकलने वाले संकेत को जानने को उत्सुक हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के बाद अमित शाह पहली बार बिहार आ रहे हैं। बिहार के राजनीतिक गलियारे में कई प्रकार की हवा बहने के कारण यहाँ की राजनीतिक फिजां बदली हुई है। कभी कट्टर विरोधी बने नीतीश कुमार अब भाजपा के सहयोगी हैं। दोनों सत्ता में मिल कर बिहार को चला रहे हैं। महागठबंधन से मात कह चुके श्री शाह को अब जद यू का साथ है जबकि राजद और कांग्रेस ताल ठोंक कर भाजपा जड़ यू को पा पछाड़ने को बेताब हैं। तब जद (यू) भाजपा से अलग महागठबंधन में था लेकिन अब भाजपा के साथ सरकार में भागीदार हैं।
हालांकि अब तक के कार्यकाल में भाजपा और जद यू के बीच संबंध मधुर नहीं रहे हैं। सरकार में खींचतान नहीं है लेकिन आगामी चुनावों को लेकर दोनों पार्टियों के नेता सीट बंटवारे और बड़े भाई-छोटे भाई की भूमिका को लेकर आमने-सामने रहे हैं। दोनों दलों की ओर से बयानबाजी होती रही है। जद (यू) ने यहां तक कह दिया था कि पिछले लोकसभा चुनाव के फॉमूर्ले पर चलते हुए उन्हें 40 में से 25 सीट लडऩे के लिए मिलनी चाहिए। जद (यू) ने यह भी साफ कर दिया है अगर भाजपा नहीं मानती है, तो वह 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार कर अकेले। हुनाव लड़ेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहा है कि जद (यू) और भाजपा के बीच में बड़ा भाई बनने की होड़ का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने खींचतान से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि दोनों दलों के बीच सीटों के तालमेल को लेकर जो बयानबाजी बेमतलब है । उन्होंने यह कहते हुए स्पष्ट किया कि जब चुनाव की तारीख पास आएगी, तो दोनों दलों के नेता बैठकर इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे और इस विषय पर निर्णय लेंगे।
गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में जद यू चुनाव मैदान में अकेले उतरी थी और उसे केवल दो सीटों पर ही विजय मिली थी। तब भाजपा का बिहार की 40 में से 22 सीटों पर कब्जा हो गया था। भाजपा को सहयोगी दलों लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) की झोली में क्रमश: छह और तीन सीटें गयीं थीं। अब लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर रालोसपा ने भी अधिक सीट पर दावेदारी ठोंक दी है।
अब भाजपा के सुर भी बदले हैं। बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा है कि सीट बंटवारा कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। एन डी ए में शामिल सभी दलों के जब दिल मिल गए हैं, तो सीटों पर भी समय आने पर निर्णय हो जाएगा।
विपक्ष भी शाह के दौरे पर नजरें गड़ाए हुए है। उन्हें भाजपा और जद यू गठबंधन के टूटने के आसार दिख रहे हैं। दूसरी तरफ राजद की ओर से रालोसपा के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को कई मौके पर महागठबंधन में शामिल होने का न्योता मिल चुका है।
एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर राजद को विवाद होने की आशंका दिख रही है। इससे राजद व कांग्रेस के नेता उत्साहित हैं। राजद के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने बयान जारी कर कहा है कि लोजपा और रालोसपा दोनों महागठबंधन में शामिल होने वाले हैं। उ हो के दावे किया है उनसे बातचीत भी हो चुकी है। हालांकि, रघुवंश के बयान को रामबिलास पासवान ने खारिज कर दिया है।