कोच्चि : मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को रेप के आरोपी मलंकारा आर्थोडॉक्स चर्च के तीन पादरियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इन तीनों पादरियों पर इसी क्षेत्र की एक महिला का रेप करने का आरोप है। अदालत में सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध किया। अदालत ने सुनवाई के बाद जमानत देने से इनकार कर दिया । इसके बाद तीनों पादरियों के वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि उनके मुवक्किल अदालत ।में समर्पण करने को तैयार हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आरोपी फादर सोनी वर्गीस, फादर जॉब मैथ्यू व फादर जैस के. जॉर्ज के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। इसलिए अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया।
अब आशंका इस बात की है कि स्थानीय पुलिस तीनों पादरियों को गिरफ्तार कर सकती है। पुलिस चौथे आरोपी पादरी को भी गिरफ्तार करेगी जो घटना का मामला दर्ज होने के बाद से ही फरार है।
उल्लेखनीय है कि पीडित महिला नियमित तौर पर मलंकारा आर्थोडॉक्स चर्च जाती थी। महिला ने आरोप लगाया है कि पिछले एक दशक से इस चर्च के पांच पादरियों ने उसका यौन शोषण किया है। महिला के पति ने अपनी शिकायत में कहा है कि इन पादरियों में से एक पादरी उसकी पत्नी को ब्लैकमेल कर रहा था और उसी ने सबसे पहले इस महिला के साथ रेप किया था।
रिपोर्ट्स में शिकायत के हवाले से बताया गया है कि महिला ने जब अन्य पादरी से मदद मांगी तो उन्होंने भी उसे धमकी दी और इस बात को साथी पादरी को बता दिया। इस तरह पीड़िता इस चर्च के पांचों पादरियों के चंगुल में फंस गई और उसका यौन शोषण होता रहा।
कहा कि रहा है कि राष्ट्रीय महिला आयोग के हस्तक्षेप के बाद ही केरल पुलिस सक्रिय हुई और उसके बाद चारों पादरीयों के खिलाफ मामला दर्ज कर यौन शोषण के लिए आरोपित किया गया। इनमें एक पादरी कार्रवाई से बच गया, क्योंकि पीड़ित ने सिर्फ चार नामों का उल्लेख किया था।
इससे पूर्व भी आरोपियों को अदालत जे कोई राहत नहीं मिली थी। आरोपियों ने याचिका दायर कर मांग की थी कि जबतक अदालत में जमानत याचिका दाखिल नहीं हो जाती, तबतक उनकी गिरफ्तारी को रोका जाना चाहिए।
अब उक्त पीड़िता के सामने आने के बाद दो अन्य महिलाओं ने भी इसी चर्च के दो अन्य पादरियों पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। संभावना है कि दोनों पीड़िता भी अब पादरियों के खिलाफ रेप करने का मामला दर्ज करा सकती है। इस खुलासे क्षेत्र में लोग अचंभित हैं।