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: हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन ने कहा ऐसे विधायक भगवान किसी को न दे, जो जनता की आवाज न उठाएं
: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिखाया है आईना
चंडीगढ़, 27 जून : हरियाणा हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन जवाहर यादव ने कहा है कि जनता से दूरी बनाने वाले विधायक कुलदीप बिश्नोई और रेणूका बिश्नोई विधानसभा में जनता की आवाज उठाने के साथ-साथ हाजिरी लगाने में भी फेल साबित हुए हैं। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा उनका सच का सामना कराने के बाद से ही बिश्नोई दंपत्ति बौखलाहट में है।
आज यहां जारी बयान में हरियाणा हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन जवाहर यादव ने कहा कि विधायक कुलदीप बिश्नोई और विधायक रेणूका बिश्नोई जितना बीते तीन दिनों से समाचार पत्रों, टीवी और सोशल मीडिया पर बोले हैं, उतना दोनों मिलकर विधानसभा में नहीं बोले। उनकी विधानसभा में हाजिरी और सक्रियता को देखकर प्रदेश के लोग कह उठेंगे कि ऐसे विधायक भगवान किसी को न दे।
उन्होंने तथ्यों के साथ अपनी बात रखते हुए कहा कि हरियाणा विधानसभा की अब तक हुई 66 बैठकों में विधायक कुलदीप बिश्नोई 21 बैठक (32 प्रतिशत) तथा विधायक रेणूका बिश्नोई 19 बैठक (29 प्रतिशत) बार पहुंचे हैं। प्रदेश के हित तथा अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के मुद्दों को दरकिनार करते हुए उन्होंने विधानसभा के अब तक के समय में दो तिहाई समय जाना ही जरूरी नहीं समझा। उन्होंने कहा कि बिश्नोई दंपत्ति विधानसभा में मेहमान की भांति आते रहे हैं। इन दोनों की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुलदीप बिश्नोई द्वारा बीते साढ़े तीन साल के दौरान विधानसभा ने एक भी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव नहीं दिया और उनकी पत्नी ने भी सिर्फ 4 ऐसे प्रस्ताव दिए। जबकि सत्ता, विपक्ष के अन्य विधायक ऐसे दर्जनों प्रस्ताव देते रहे हैं। यही नहीं बिश्नोई ने विधानसभा में केवल एक सवाल पूछा और अतारांकित प्रश्नों में उनका खाता ही नहीं खुला, जबकि तारांकित प्रश्नों में इनके लगाए 4 सवालों में से एक को ही पूछने के लायक माना गया।
हाउसिंग बोर्ड चेयरमैन जवाहर यादव ने विधायक रेणूका बिश्नोई की मुख्यमंत्री को ट्रक भरकर पत्र लिखने की बात पर चुटकी लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को लिखे पत्र वह मीडिया को दिखा दें, इन्हें चंडीगढ़ भिजवाने के लिए वह ट्रक की व्यवस्था कर देंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा सच का सामना करवाए जाने पर विधायक दंपत्ति इतने परेशान क्यों हो उठे। जो इंसान अपने किसी भी दायित्व में ईमानदार न हो, जिसमें संघर्ष की इच्छाशक्ति न हो, जो आरामपरस्त हो, उसको लेकर जनता भी देर-सबेर भी सवाल करेगी।