नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने अचानक मंगलवार को जम्मू-कश्मीर सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज दिल्ली में राज्य के पार्टी के सभी नेताओं के साथ बैठक की। इस बैठक के बाद भाजपा ने समर्थन वापस लेने का ऐलान कर सबको चौका दिया है।
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भाजपा की ओर से भी समर्थन वापसी की चिट्ठी राज्यपाल को सौंप दी गयी है।
बीजेपी द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मैं इससे बिल्कुल भी अचंभित नहीं हूं। हमने कश्मीर में सत्ता हथियाने के लिए गठबंधन नहीं किया था।उन्होंने यह कहते हुए सफाई दी कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर की स्थिति में सुधार लाने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन किया था । उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपते हुए कहा कि हमें किसी गठबंधन की कोई जरूरत नहीं है।उन्होंने दोहराया कि हमें लगा था कि भाजपा के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए काम करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
इस स्थिति में इस बात की आशंका प्रबल हो चली है कि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया जाएगा। पिछले चार दशकों में वहां राज्यपाल शासन लगाने का यह निर्णय आठवीं बार होगा।
इधर भाजपा के वरिष्ठ नेता राममाधव ने कहा है कि पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में स्थिति काफी बिगड़ी है। इसके कारण हमें समर्थन वापस लेने का फैसला लेना पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस संबंध में प्रधानमंत्री, अमित शाह, राज्य के भजपा नेताओं से बात की गई है।
राम माधव ने कहा कि गृह मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर के तीन साल के कामकाज और सभी सभी एजेंसियों से राय लेकर यह फैसला लिया गया है। भाजपा नेता ने कहा कि जो परिस्थितियां बनती जा रही थीं उससे गठबंधन में आगे चलना मुश्किल हो गया था। भाजपा अब राज्य में राज्योआल शासन लगाने की मांग कर रही है जबकि उनकी सहयोगी लेकिन शिवसेना ने कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही इसे अपवित्र और राष्ट्रविरोधी गठबंधन बताया था।