नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा के निर्देश पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हेपेटाइटिस बी संक्रमण के शिकार की संभावना वाले होने वाले सभी स्वास्थ्य कर्मियों को हेपेटाइटिस बी का टीका लगाने का निर्णय लिया है। ऐसे कर्मियों में डिलिवरी कराने वाले, सुई देने वाले और खून और रक्त उत्पाद के प्रभाव में आने वाले स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं। ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए, जो पेशेवर खतरे की संभावना के दायरे में आते हैं और पूरी तरह प्राथमिक श्रृंखला प्राप्त नहीं की है, हेपेटाइटिस बी के टीके की सिफारिश की जाती है।
हेपेटाइटिस बी एक वायरल संक्रमण है, जो गुर्दे पर हमला करता है और गंभीर रोग का कारण हो सकता है। वायरस काफी खतरनाक होता है यह संक्रमित व्यक्ति के खून या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के संपर्क में आने से होता है। यह संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के खून, वीर्य तथा शरीर के तरल पदार्थ के असंक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने से होता है। यह संक्रमण यौन संपर्क, सुई/सिरिंज साझा करने, सुई से होने वाले जख्म या जन्म के समय मां से बच्चे को हो सकता है। गंभीर हेपेटाइटिस बी बिमारी के लिए कोई निश्चित ईलाज नहीं है।
हेपेटाइटिस बी संक्रमण स्वास्थ्य कर्मियों के पेशेवर जोखिम के रूप में माना जाता है। रोगियों के साथ संपर्क में रहने और संक्रमणकारी सामग्री के संपर्क में रहने के कारण सामान्य लोगों की तुलना में स्वास्थ्यकर्मी अधिक जोखिम में रहते हैं। स्वास्थ्य कर्मी अकसर संक्रमणकारी खून तथा शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ की संक्रमण क्षमता से अनभिग्य रहते हैं। हेपेटाइटिस बी का टीका शुरू में दिए जाने से स्वास्थ्य कर्मी सुरक्षित रहते हैं।
2015 में विश्व की 3.5 आबादी में हेपेटाइटिस बी वायरस का संक्रमण हुआ और लगभग 257 मिलियन लोग गंभीर हेपेटाइटिस बी संक्रमण के शिकार हैं। यह प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है और अति गंभीर प्रकार का वायरल हेपेटाइटिस है। अनुमान के अनुसार हेपेटाइटिस बी के परिणामस्वरूप लिवर सिरोसिस तथा लिवर कैंसर से प्रत्येक वर्ष 780,000 लोग मर जाते हैं।
भारत की आबादी में 2 से 8 प्रतिशत लोगों में हेपेटाइटिस बी है। भारत के 50 मिलियन मामलों में यह बिमारी है। सामान्य जन की तुलना में स्वास्थ्य कर्मियों में 2 से 4 गुणा अधिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण की संभावना होती है। हेपेटाइटिस बी की रोकथाम वर्तमान सुरक्षित और प्रभावकारी टीकों से की जा सकती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय हेपेटाइटिस बी की रोकथाम के लिए अनेक कदम उठा रहा है। इसमें जन्म के समय दिया जाने वाला हेपेटाइटिस बी का टीका शामिल है। यह सार्वभौमिक टीका कार्यक्रम के अंतर्गत नियमित टीकाकरण के रूप में दिया जाता है। टीका लगाने में डिस्पोजेबल सिरिंजों का उपयोग किया जाता है।
भारत की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि केवल 16-60 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों का पूरी तरह एचबीवी टीकाकरण हुआ है। चिकित्सा सहायकों में एचबीवी संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। चिकित्सा सहायक डॉक्टरों की तुलना में टीकाकरण कम कराते हैं। हेपेटाइटिस बी का टीका 90-95 प्रतिशत सुरक्षा करने में कारगर है।
व्यस्कों को 1-6 महीनों की अवधि के अंदर हेपेटाइटिस बेयर की तीन खुराक दी जानी चाहिए। राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश लॉजिस्टिक के बारे में तय करेंगे। इसमें टीके के जरूरतमंद लाभार्थियों की संख्या और टीके की मात्रा शामिल है।