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विश्व मानसिकता स्वास्थ्य दिवस
गुरुग्राम: विश्व मानसिकता स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर आज गुडग़ांव नागरिक अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डा. बह्मदीप संधु ने लोगों को तनावमुक्त रहने के गुर सिखाए। उन्होंने बताया कि विश्व मानसिकता जागरूकता सप्ताह 4 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक मनाया गया जिसका आज अंतिम दिन था।
रीर में कई प्रकार की बीमारियां
इस अवसर पर डा. बह्मदीप संधु ने गुडग़ांव के जिला परिषद् कार्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में बताया कि आज के आधुनिक युग में हर क्षेत्र में जबरदस्त प्रतियोगिता है। ऐसे में व्यक्ति दूसरों से आगे निकलने की होड़ में तनावग्रस्त हो जाता है। उन्होंने बताया कि तनाव हमारे शरीर में विचार से आता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यदि शेर आ जाए तो क्या होगा, हमारे मन में विचार आएगा कि शेर हमे खा जाएगा, उस विचार से हम तनाव में आ जाते हैं। इसी तनाव से शरीर में कैमिकल रिलीज होते हैं और बार-बार ऐसा होने से शरीर में कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं।
बीमारियों से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव
डा. संधु ने बताया कि तनाव से व्यक्ति में हार्ट की बीमारी बढ़ जाती है, उसकी बीमारियों से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा शरीर के अन्य अंगो में बीमारियां बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि बार-बार तनाव रहने से मानसिक रोग जन्म लेते हैं। उन्होंने सलाह दी कि हमें अपने मन की बात दूसरों के साथ सांझा करनी चाहिए और यदि कोई मानसिक रोग हो भी जाए तो उसे छिपाएं नही बल्कि उसका सही ढंग से ईलाज करवाएं।उन्होंने बताया कि मानसिक रोग लाईलाज नही हैं और इनका ईलाज संभव है। साथ ही उन्होंने बताया कि उनके यहंा से दो लाख से भी ज्यादा रोगी ठीक होकर जा चुके हैं।
नशे जैसी कुरीतियों को भी जला देना चाहिए
उन्होंने डिप्रेशन के लक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि डिप्रेशन होने पर नींद कम या ज्यादा आती है, व्यक्ति अपने जीवन को व्यर्थ समझता है, उसका एनर्जी लेवल कम हो जाता है और भूख भी कम या ज्यादा लगती है। उन्होंने कहा कि डिप्रेशन का शिकार होने पर व्यक्ति नशे का सहारा लेता है जोकि गलत है। इसी वजह से आजकल समाज में नशे की प्रवृति बढ़ रही है। डा. संधु ने बताया कि दशहरे के दिन हम रावण को जलाते हैं। हमे रावण के साथ समाज में व्याप्त नशे जैसी कुरीतियों को भी जला देना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि इंसान पहली बार नशे का सेवन जिज्ञासा वश शुरू करता है कि देखें इसका उसके शरीर पर क्या असर पड़ेगा। इसके बाद उसे आदत पड़ जाती है। उन्होंने कहा कि नशे की आदत को विल पावर से छोड़ा जा सकता है। ऐसे मरीज़ो में उम्मीद जगाने की जरूरत है और उन्हें परिवार तथा दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। उन्होंने लोगों का आह़्वान किया कि वे नशे को अपने जीवन से दूर रखें।