मोदी जी! एडवाइजर सहित प्रशासन की पूरी टीम को हटा क्यों नहीं देते ?

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सीनियर डिप्टी मेयर गुरप्रीत ढिल्लो ने घोर लापरवाही बताया

चंडीगढ़ का मजाक बना दिया इन्होंने

 

कुमार मधुकर/चंडीगढ़ न्यूज एक्सप्रेस डाट काम 

चंडीगढ़ 17 Feb 2018. पिछले करीब डेढ़ माह से यूटी प्रशासन की डायरी-2018 के कारण चंडीगढ़ शहर का जबरदस्त मजाक उड़ रहा है. इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन कान में तेल डालकर कुम्भकर्णी नींद में सोया हुआ है. इस बात को लेकर जबर्दस्त चर्चा है कि आखिरकार एडवाइजर परिमल राय की प्रशासनिक टीम कर क्या रही है. क्यों न प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन्हें हटा रहे हैं. जो प्रशासन सही-सही सरकारी डायरी तक नहीं छपवा सकते, वह विकास कार्य को गति क्या देंगे. यूटी प्रशासन ने 2018 की डायरी में ब्लंडर करते हुए वर्तमान मेयर का नाम आशा कुमारी जसवाल, सीनियर डिप्टी मेयर राजेश गुप्ता, डिप्टी मेयर अनिल दुबे का नाम प्रकाशित किया है, जबकि वर्तमान में मेयर देवेश मोदगिल, सीनियर डिप्टी मेयर गुरप्रीत ढिल्लो, डिप्टी मेयर विनोद अग्रवाल हैं. इस डायरी को लेकर न सिर्फ प्रशासन मजाक उड़ रहा है, बल्कि एडवाइजर परिमल राय कि कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहा है.

जनता भ्रमित, कौन है मेयर?

शहर में यूटी प्रशासन की डायरी में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के गलत नाम प्रकाशित होने से जनता पूरी तरह से भ्रमित है. आखिरकार शहर के प्रथम नागरिक कौन हैं, आशा जसवाल या फिर देवेश मोदगिल? सीनियर डिप्टी मेयर राजेश गुप्ता हैं या फिर गुरप्रीत ढिल्लो? डिप्टी मेयर अनिल दुबे हैं या विनोद अग्रवाल? इसको लेकर शहर तो शहर, दुसरे राज्यों के लोग भी भ्रमित हैं. भ्रम का कारण इसलिए भी क्योंकि यह सिर्फ डायरी ही नहीं बल्कि सरकारी प्रपत्र भी है, इसमें संकलित सूचनाएं प्रशासन कि ओर से प्रकाशित की गई हैं. जिसे पूरी तरह प्रमाणित तथ्य माना जता है. प्रशासन को जानकारी होनी चाहिए कि इस डायरी की क़ानूनी वैद्यता भी है.

अधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार

कई लोगों का मानना तो यह है कि इस गलत तथ्यों के साथ छपी डायरी के लिए प्रशासन के बड़े अधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं. क्योंकि इस महत्वपूर्ण डायरी में एक-एक शब्द प्रशासन की संस्तुति (अप्रूवल) के बिना नहीं छप सकते. कई जानकार बताते हैं कि पब्लिक रिलेशन कार्यालय में ठेके पर रखे गये एपीअरओ, पीआरओ किसी न किसी अधिकारी के जान पहचान के है. इस डायरी ने उन एपीअरओ, पीआरओ की कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल खडा कर दिया है. साथ ही इनकी अक्षमता ने नियुक्ति करने वाले अधिकारियों को भी सवालों के घेरे में खडा कर दिया है.

आशंकाएं ये भी

जब प्रशासन के अधिकारी सही डायरी नहीं छपवा सकते है, तो महत्वपूर्ण फाइलों में कितनी गलतियां होती होंगी. यह एक बड़ा सवाल खडा हो गया है.

सीनियर डिप्टी मेयर ने घोर लापरवाही बताया

इस सम्बन्ध में जब सीनियर डिप्टी मेयर गुरप्रीत ढिल्लो से बात की तो उन्होंने माना कि ये गंभीर प्रकृति कि प्रशासनिक लापरवाही है. उन्होंने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी किसी की न तो जिम्मेदारी तय कि और न ही अनुशासनात्मक कार्रवाई के संकेत हैं. सीनियर डिप्टी मेयर ने मांग की कि इस पूरे प्रकरण की अधिकारिक जांच हो. उन्होंने जोर देकर कहा कि अगली हाउस कि मीटिंग में इस मुद्दे को उठाने के साथ जांच के लिए हाउस की समिति गठित करने की मांग करेंगे.

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