नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, जगत प्रकाश नड्डा ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों/उपराज्यपालों और राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ एक बैठक की, जिसमें उन्होंने चल रहे 100-दिवसीय गहन टीबी उन्मूलन अभियान के लिए उनके सहयोग का अनुरोध किया। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, प्रतापराव जाधव भी वर्चुअल रूप से बैठक में शामिल हुए। मुख्यमंत्रियों/उपराज्यपालों और स्वास्थ्य मंत्रियों को अभियान, इसके उद्देश्यों, किए जा रहे प्रमुख रणनीतिक गतिविधियों और अभियान के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की भूमिका का एक संक्षिप्त विवरण दिया गया।
बैठक में उपस्थित राज्यों के मंत्रियों में योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश; डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश; भूपेंद्र पटेल, मुख्यमंत्री, गुजरात; भजन लाल शर्मा, मुख्यमंत्री, राजस्थान; माणिक साहा, मुख्यमंत्री, त्रिपुरा; पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड; सत्य कुमार यादव, स्वास्थ्य मंत्री (आंध्र प्रदेश); बियुराम वाहगे, स्वास्थ्य मंत्री (अरुणाचल प्रदेश); अशोक सिंघल, स्वास्थ्य मंत्री (असम); आरती राव, स्वास्थ्य मंत्री (हरियाणा); सकीना इट्टू, स्वास्थ्य मंत्री (जम्मू और कश्मीर); डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, स्वास्थ्य मंत्री (हिमाचल प्रदेश); विश्वजीत पी. राणे, स्वास्थ्य मंत्री (गोवा); दिनेश गुंडू राव, स्वास्थ्य मंत्री (कर्नाटक); पी. पैवांग कोन्याक, स्वास्थ्य मंत्री (नागालैंड); डॉ. मुकेश महालिंग, स्वास्थ्य मंत्री (ओडिशा); डॉ. बलबीर सिंह, स्वास्थ्य मंत्री (पंजाब); वीना जॉर्ज, स्वास्थ्य मंत्री (केरल); मा. सुब्रमण्यम, स्वास्थ्य मंत्री (तमिलनाडु); इरफान अंसारी, स्वास्थ्य मंत्री (झारखंड); दामोदर राजानरसिम्हा, स्वास्थ्य मंत्री (तेलंगाना); माजेल अमपारीन लिंगदोह, स्वास्थ्य मंत्री (मेघालय); पी लालरिंपुई, स्वास्थ्य मंत्री (मिजोरम) और रमाकांत गोस्वामी, श्रम मंत्री (दिल्ली) शामिल थे।
श्री नड्डा ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया कि वे राज्य स्तर पर अभियान की निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व द्वारा जिला स्तरों पर भी ऐसा ही किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर अपनाए गए दृष्टिकोण के समान, जन भागीदारी की भावना से अन्य मंत्रालयों और विभागों को अभियान गतिविधियों में सहयोग देने के लिए शामिल किया जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से निर्वाचित प्रतिनिधियों, विशेष रूप से विधान सभाओं और परिषदों के सदस्यों के साथ-साथ पंचायती राज संस्थाओं को शामिल करने और समुदायों को जोड़ने में मदद करने के लिए उनकी सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने का भी अनुरोध किया।
श्री नड्डा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2015 से 2024 तक भारत में टीबी में गिरावट की दर 17.7% है, जो कि 8.3% के वैश्विक औसत से दोगुनी है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत में टीबी से होने वाली मौतों में 21.4% की महत्वपूर्ण कमी आई है।
टीबी उन्मूलन की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए राज्यों के मंत्रियों को श्रेय देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने अभियान के प्रति उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने सक्रिय टीबी परीक्षण, रोगियों की स्क्रीनिंग और निदान के लिए टेस्ट (परीक्षण), ट्रैक और निदान के महत्व पर प्रकाश डाला और गणमान्य व्यक्तियों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने राज्यों में चिन्हित जिलों में अभियान की सक्रिय रूप से निगरानी करें। टीबी अभियान पर राज्यों के मंत्रियों द्वारा प्रदान किए जा सकने वाले सहयोग को रेखांकित करते हुए, उन्होंने उनसे अपनी बैठकों और रैलियों में अभियान को बढ़ावा देने का अनुरोध किया और साथ ही टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए नि-क्षय मित्र के रूप में आगे आने का भी आग्रह किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उल्लेख किया कि राज्यों के पास पहले से ही टीबी की दवाओं का लगभग दो महीने का स्टॉक है और कहा कि केंद्र राज्यों में टीबी की दवाओं का कम से कम 6 महीने का अग्रिम स्टॉक सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने सभी हितधारकों को टीबी को खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए प्रोत्साहित करते हुए अपना संबोधन समाप्त किया।
कार्यक्रम में 100-दिवसीय अभियान का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया, जिसका उद्देश्य देश भर के 347 प्राथमिकता वाले जिलों में टीबी के मामलों और टीबी से होने वाली मृत्यु दर को कम करना है। यह बताया गया कि टीबी मामलों के पता लगाने को बढ़ाने के लिए, निदान और उपचार की शुरुआत में देरी को कम करने के लिए उन्नत स्क्रीनिंग और नैदानिक तकनीकों का उपयोग करके गहन मामले ढूंढने के अभियान चलाए जाएंगे। इसी के साथ टीबी से होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिए यहकार्यक्रम उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए विशेष देखभाल प्रदान करने के लिए विभेदित टीबी केयर जैसी नई पहलों तक पहुंच का विस्तार करेगा और नि-क्षय पोषण योजना के माध्यम से पोषण संबंधी सहायता में वृद्धि करेगा।
राज्यों के मंत्रियों को उन विभिन्न सामुदायिक भागीदारी वाली गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी गई जिन्हें अभियान के दौरान शुरू किया जाना चाहिए, जिसमें प्रगति की निगरानी के लिए 80,000 से अधिक नि-क्षय शिविर शामिल हैं। जन भागीदारी दृष्टिकोण पर काम करते हुए, इस अभियान का उद्देश्य नि-क्षय शपथ लेने, सामुदाय के नेताओं, व्यक्तियों, गैर-सरकारी संगठनों और कॉरपोरेट्स को नि-क्षय मित्र बनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सामुदायिक सदस्यों को एकत्र करना है। इसके साथ ही, टीबी विजेताओं (टीबी चैंपियन) और नि-क्षय मित्रों को उनके योगदान के लिए मान्यता दी जाएगी जो आगे सामूहिक कार्रवाई को प्रेरित करेंगे। अंत में, पंचायती राज संस्था के सदस्यों की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी और आवश्यक टीबी सेवाओं को सुनिश्चित करते हुए सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए टीबी पर नियमित ग्राम सभाओं का आयोजन किया जाएगा।