सुभाष चन्द्र चौधरी /The Public World
नई दिल्ली : संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ था. यह 20 दिसंबर तक चलेगा. सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदन में कुछ देर तक ही कार्यवाही चली. विपक्ष के जब्रद्स्स्त हंगामे के कारण कार्यवाही को बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था . मंगलवार यानी 26 नवम्बर को संविधान दिवस पर राष्ट्रीय समारोह के आयोजन के लिए संसद सत्र की कार्यवाही नहीं चल पाई थी . आज यानी बुधवार को दोनों सदनों की कार्यवाही भी विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गई . आज सुबह दोनों सदनों कार्यवाही 11 बजे शुरू हुई. विपक्ष ने मणिपुर हिंसा को लेकर जमकर हंगामा किया. इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी गई. राज्यसभा और लोक सभा दोनों सदनों में सदस्यों ने मणिपुर हिंसा, दिल्ली में बढ़ते अपराध सहित कई मुद्दों पर चर्चा के लिए कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था जिसे लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति ने अस्वीकार कर दिया.
बुधवार को राज्यसभा में सदन की कार्रवाई प्रारंभ होने के कुछ देर बाद ही विपक्ष ने नियम 267 के तहत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग के लिए 18 सांसदों ने नोटिस दिए थे । सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों के सभी नोटिस को अस्वीकार कर दिया। इसके कारण विपक्षी सांसद सदन में हंगामा करने लगे और सभापति ने सदन की कार्यवाही प्रारंभ होने के कुछ देर बाद ही साढ़े 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने दिल्ली की कानून व्यवस्था और राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते अपराधों पर पर चर्चा करने की मांग सदन के समक्ष रखी। वहीं सुष्मिता देव, राघव चड्ढा, त्रिरूची शिवा, संतोष कुमार पी जैसे विपक्षी सांसदों ने मणिपुर हिंसा को लेकर चर्चा की मांग की। डॉ जॉन बिटास, ए ए रहीम, प्रोफेसर रामगोपाल यादव और अब्दुल वहाब ने उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा और उसके बाद उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की मांग की थी । इन मांगों को सभापति श्री धनखड़ ने अस्वीकार कर दिया.
विपक्ष के ये सांसद चाहते थे कि सदन की अन्य कार्यवाहियों को स्थगित कर इन महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कराई जाए। विपक्षी सांसद नियम 267 के तहत चर्चा की मांग कर रहे थे। सभापति जगदीप धनखड़ ने सांसदों की इस मांग को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया और इसके चलते सदन की कार्यवाहीं 11 बजकर 30 मिनट तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
इससे पहले जब सोमवार को संसद का शीतकालीन सत्र प्रारंभ हुआ था तब भी राज्यसभा में विपक्षी सांसद मणिपुर हिंसा समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग करते दिखे थे। मणिपुर और उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए कई विपक्षी सांसदों ने बुधवार को भी राज्यसभा के सभापति को नोटिस दिया था। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह पहले भी नियम 267 के तहत चर्चा पर अपना निर्णय दे चुके हैं, वही निर्णय वह दोबारा दोहरा रहे हैं।
सभापति के फैसले से नाराज विपक्षी सांसद अपने स्थानों पर खड़े हो गए और चर्चा की मांग को लेकर हंगामा करने लगे। सभापति ने सांसदों को सदन की परम्पराओं और बिजनेस रूल की दुहाई देकर समझाने की कोशिश की लेकिन विपक्षी सांसद मानने को तैयार नहीं थे. अंततः उन्हें सदन की बैठक गुरुवार यानी 28 नवम्बर को सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी.
लोकसभा में भी आज कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला. आज लोक सभा की कार्यवाही 11 बजे शुरू हुई. प्रश्नकाल आरम्भ करते ही कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल हंगामा करने लगे. मेरठ से सांसद अरुण गोविल पहली बार संसद में अपना विषय उठा रहे थे. स्पीकर ओम बिरला सांसदों को समझाते रहे, लेकिन विपक्षी सांसद कार्यस्थगन प्रस्ताव को लेकर अड़ा रहा. केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव प्रश्न का जवाब देने की कोशिश करते दिखे लेकिन हंगामे के बीच कार्यवाही बाधिर होते देख अध्यक्ष श्री बिड़ला ने 12 बजे तक सदन की बैठक स्थगित कर दी. इसके बाद फिर बैठक शुरू हुई तो पीठासीन सभापति ने कई मंत्रालयों से समबन्धित पेपर्स सदन के पटल पर रखने की अनुमाती दी. कई मंत्रियों ने पेपर्स पटल पर रखे लेकिन विपक्ष का हंगामा चलता रहा. अंततः सदन की बैठक गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.