तूतीकोरिन अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर टर्मिनल (टीआईसीटी) राष्ट्र को समर्पित

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नई दिल्ली :  केन्‍द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री  सर्बानंद सोनोवाल ने आज यहां वीओ चिदंबरनार बंदरगाह प्राधिकरण (वीओसीपीए) में तूतीकोरिन अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर टर्मिनल (टीआईसीटी) राष्ट्र को समर्पित किया। केन्‍द्रीय मंत्री ने प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करने के साथ-साथ कई पहलों की आधारशिला भी रखी।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के जरिए तूतीकोरिन अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर टर्मिनल के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आज का दिन भारत के विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और नए तूतीकोरिन अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर टर्मिनल को ‘भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे का नया सितारा’ बताया। वी.ओ. चिदंबरनार बंदरगाह की क्षमता के विस्तार में इसकी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “14 मीटर से अधिक के गहरे ड्राफ्ट और 300 मीटर से अधिक लंबी बर्थ के साथ, यह टर्मिनल वी.ओ.सी. बंदरगाह की क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।” प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि नए टर्मिनल से बंदरगाह पर माल की लागत कम होने और भारत के लिए विदेशी मुद्रा की बचत होने की उम्मीद है। उन्होंने तमिलनाडु के लोगों को बधाई दी और वी.ओ.सी. बंदरगाह से संबंधित अनेक परियोजनाओं को याद किया, जो दो साल पहले उनकी यात्रा के दौरान शुरू की गई थीं। उन्होंने तेजी से पूरा होने पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि टर्मिनल की प्रमुख उपलब्धियों में से एक लैंगिक विविधता के प्रति इसकी प्रतिबद्धता है, जिसके 40 प्रतिशत कर्मचारी महिलाएं हैं, जो समुद्री क्षेत्र में महिलाओं के नेतृत्व में विकास का प्रतीक है।

 

श्री सोनोवाल ने नए टीआईसीटी टर्मिनल से पहले कंटेनर पोत को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो देश में महत्वपूर्ण बंदरगाह अवसंरचना परियोजनाओं में से एक के संचालन की शुरुआत है। इस बंदरगाह को 434 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से विकसित किया गया है, जिसकी सालाना क्षमता 6 लाख टीईयू को संभालने की है। टर्मिनल का ड्राफ्ट 14.20 मीटर है, जो इसे 10,000 टीईयू तक के कंटेनर जहाजों को समायोजित करने की अनुमति देता है।

केन्‍द्रीय मंत्री ने नवनिर्मित ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना का भी उद्घाटन किया, जिसे उन्होंने ‘भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का वैश्विक केन्‍द्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम’ बताया। सर्बानंद सोनोवाल ने ‘हरित सागर ग्रीन पोर्ट पहल’ के हिस्से के रूप में 400 किलोवाट के रूफटॉप सोलर पावर प्लांट का भी उद्घाटन किया। केन्‍द्रीय मंत्री ने नए उद्यमों के लिए भूमि पट्टा समझौतों के आदान-प्रदान को भी देखा, क्योंकि वीओसीपीए अपने औद्योगिक परिदृश्य का विस्तार कर रहा है, जिससे विकास की अपार संभावनाएं खुल रही हैं।

 

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के व्यापक समुद्री मिशन के बारे में बात की, जो बुनियादी ढांचे के विकास से परे है। उन्होंने कहा, “भारत दुनिया को स्‍थायी और दूरदर्शी विकास का मार्ग दिखा रहा है,” उन्होंने बताया कि वी.ओ.सी. बंदरगाह को ग्रीन हाइड्रोजन के केन्‍द्र और समुद्र तट से दूर पवन ऊर्जा के लिए प्रमुख बंदरगाह के रूप में मान्यता दी जा रही है। ये पहल जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

इस अवसर पर, केन्‍द्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा, “भारत दुनिया की शीर्ष समुद्री शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी के ऊर्जावान नेतृत्व में, समुद्री क्षेत्र को अपनी परिसंपत्तियों के आधुनिकीकरण, मशीनीकरण और डिजिटलीकरण के लिए जबरदस्त बढ़ावा मिला है, ताकि दक्षता और उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। आज, इस पहल को एक और बल मिला है क्योंकि व्यापारिक समुदाय को सुचारू और त्वरित सेवा प्रदान करने की हमारी कोशिश से निर्यात आयात व्‍यापार में वृद्धि हुई है, जो अंततः भारत की संपत्ति के विकास में योगदान दे रहा है। यह नया टर्मिनल देरी को कम करेगा, दर्मियानी स्‍थानों में माल या कंटेनर की लदाई (ट्रांसशिपमेंट) को बायपास करेगा और प्रति कंटेनर 200 अमेरिकी डॉलर तक की बचत करके परिचालन को किफायती बनाएगा। इससे हमारी परिचालन लागत सालाना 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक कम हो जाएगी। तय समय से पहले पूरा हुआ यह टर्मिनल पीएम नरेन्‍द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के पहले 100 दिनों की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। हमारा कार्यबल, जो हमारे बंदरगाहों की रीढ़ है, बहुत मेहनती है और मैं उनके काम के लिए उनकी सराहना करना चाहता हूं। यह जानकर खुशी होती है कि इस बंदरगाह ने रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नारी शक्ति की शक्ति को पहचानने के लिए, कार्यबल में कम से कम 40 प्रतिशत महिलाएं होनी चाहिए जो समावेशी विकास में बहुत योगदान देंगी।”

 

केन्‍द्रीय मंत्री ने रेड गेट और ऑयल जेटी कंट्रोल रूम में 22 केवी सर्किट ब्रेकर पैनल के उन्नयन, 24 हाई मास्ट लाइटों की कमीशनिंग और बंदरगाह की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ड्रोन निगरानी प्रणाली सहित कई अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। केन्‍द्रीय मंत्री ने ग्रीन हाइड्रोजन प्रदर्शन परियोजना, 400 किलोवाट के रूफटॉप सोलर पावर प्लांट और कोल जेटी-1 से कोल स्टॉकयार्ड तक लिंक कन्वेयर सिस्टम की आधारशिला भी रखी। इसके अतिरिक्त, बंदरगाह की कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) पहल के तहत नशा मुक्ति केन्‍द्र और मुथियापुरम ब्रिज पर जागरूकता कलाकृति जैसी परियोजनाओं का शुभारंभ किया गया।

केन्द्रीय मंत्री ने एसीएमई और ग्रीन इंफ्रा-रिन्यूएबल एनर्जी फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड, रिन्यू ई-फ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड और एम्प्लस गंगा सोलर प्राइवेट लिमिटेड सहित प्रमुख कंपनियों के साथ भूमि पट्टा समझौतों पर हस्ताक्षर किए। सोनोवाल ने कहा कि इन पहलों से क्षेत्र में स्थायी ऊर्जा विकसित करने की दिशा में अभियान को काफी बढ़ावा मिलेगा।

 

केन्‍द्रीय मंत्री श्री सोनोवाल ने इस वित्तीय वर्ष के अंत तक यानी वित्त वर्ष 2024-25 तक 50 मिलियन टन कार्गो को संभालने के उद्देश्य से वीओसीपीए के महत्वाकांक्षी अभियान ‘मिशन 50’ की भी शुरुआत की। सोनोवाल ने सभी कार्यकर्ताओं और हितधारकों से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने का आह्वान किया। मंत्री ने इस वर्ष की शुरुआत में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रव्यापी अभियान “एक पेड़ माँ के नाम” के हिस्से के रूप में वीओसी बाग में वृक्षारोपण अभियान का भी नेतृत्व किया।

श्री  सोनोवाल ने नए ग्रीन हाइड्रोजन डेमोस्ट्रेशन प्रोजेक्ट और 400 किलोवाट के रूफटॉप सोलर पावर प्लांट के माध्यम से अक्षय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने के लिए वीओसीपीए के प्रयास की भी सराहना की। सर्बानंद सोनोवाल ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, “ये पहल हमारे गतिशील प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदीजी के भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के वैश्विक केन्‍द्र में बदलने के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। ये परियोजनाएँ नए निवेश को आकर्षित करेंगी और भारत के अक्षय ऊर्जा उद्देश्यों को आगे बढ़ाते हुए आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगी।”

 

सीएसआर पहलों के शुभारंभ पर, श्री सोनोवाल ने समाज की बेहतरी के लिए काम करने और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न तरीकों से योगदान देने की बंदरगाह की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। नशा मुक्ति केन्‍द्र और मुथियापुरम ब्रिज कलाकृति जैसी पहलों का शुभारंभ स्थानीय कल्याण के लिए बंदरगाह की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। श्री सर्बानंद सोनोवाल ने यह कहकर अपनी बात समाप्‍त की, “समुदायों की भलाई राष्ट्रीय विकास का अभिन्न अंग है और मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि वीओसीपीए ऐसे कदम उठा रहा है जो इस क्षेत्र के लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे।”

तूतीकोरिन इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल (टीआईसीटी), वीओसीपीए बंदरगाह का तीसरा टर्मिनल है, जिसका संचालन जेएम बैक्सी ग्रुप द्वारा किया जाता है। इसका ड्राफ्ट 14.20 मीटर है, इसकी कुल लंबाई 370 मीटर है, और यह बर्थ और बैकअप क्षेत्र सहित 10 हेक्टेयर में फैला हुआ है। टर्मिनल 6 टीईयू (ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट्स) कंटेनरों को संभालने में सक्षम है, जो बंदरगाह की कार्गो हैंडलिंग क्षमता को काफी हद तक बढ़ाता है।

 

केन्‍द्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा, “तूतीकोरिन इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल को समर्पित किया जाना भारत के समुद्री विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आधुनिक, टिकाऊ बुनियादी ढांचे के हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह टर्मिनल, आज शुरू की गई हरित ऊर्जा पहलों और समुदाय-केन्‍द्रित परियोजनाओं के साथ, न केवल हमारे बंदरगाहों की दक्षता को बढ़ाएगा, बल्कि समावेशी विकास को भी बढ़ावा देगा, रोजगार पैदा करेगा और क्षेत्र और राष्ट्र के लिए आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ाएगा।”

वीओसीपीए के अध्यक्ष, आईआरएसईई, सुशांत कुमार पुरोहित ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया और बंदरगाह की चालू क्षमता वृद्धि परियोजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की, तथा भविष्य में विकास के बारे में आशा व्यक्त की। इस कार्यक्रम में थूथुकुडी निर्वाचन क्षेत्र की सांसद कनिमोझी करुणानिधि, एमओपीएसडब्ल्यू के सचिव टी. के. रामचंद्रन भी उपस्थित थे।

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