वाराणसी स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को विकसित करने को केबिनेट दी मंजूरी

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज वाराणसी स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को विकसित करने के भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जिसमें नए टर्मिनल भवन, एप्रन एक्सटेंशन, रनवे एक्सटेंशन, समानांतर टैक्सी ट्रैक और संबद्ध कार्यों का निर्माण करना भी शामिल है।

यह जानकारी केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पत्रकार वार्ता में दी. उन्होंने बताया कि हवाई अड्डे पर यात्री प्रबंधन क्षमता को मौजूदा 3.9 एमपीपीए से बढ़ाकर 9.9 मिलियन यात्री प्रति वर्ष (एमपीपीए) करने पर अनुमानित वित्तीय व्यय 2869.65 करोड़ रुपये का होगा। 75,000 वर्ग मीटर में फैली नई टर्मिनल बिल्डिंग को 6 एमपीपीए की क्षमता और 5000 पीक ऑवर यात्रियों (पीएचपी) के उचित प्रबंधन के लिए डिजाइन किया गया है। इसे शहर की विशाल सांस्कृतिक धरोहर की झलक दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव में रनवे को 4075 मीटर x 45 मीटर तक विस्तारित करना और 20 विमानों को पार्क करने के लिए एक नए एप्रन का निर्माण करना शामिल है। वाराणसी हवाई अड्डे को हरित हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसका मुख्‍य उद्देश्य ऊर्जा अनुकूलन, अपशिष्ट के पुनर्चक्रण, कार्बन उत्सर्जन में कमी, सौर ऊर्जा का उपयोग, तथा दिन के प्राकृतिक प्रकाश को शामिल करके पर्यावरणीय निरंतरता सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही योजना, विकास और परिचालन के समस्‍त चरणों में अन्य टिकाऊ या सतत उपाय भी किए जाएंगे।

“नेशनल फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर एन्हांसमेंट स्कीम” को भी मिली मंजूरी : 

केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज 2024-25 से 2028-29 की अवधि के दौरान 2254.43 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ केंद्रीय योजना “नेशनल फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर एन्हांसमेंट स्कीम” (एन.एफ.आई.ई.एस.) के लिए गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस केंद्रीय योजना का वित्तीय परिव्यय गृह मंत्रालय अपने स्वयं के बजट से प्रदान करेगा।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना के तहत निम्नलिखित घटकों को मंजूरी दी है:

i. देश में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के परिसरों की स्थापना।

ii. देश में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना।

iii. एनएफएसयू के दिल्ली परिसर के मौजूदा बुनियादी ढांचे में बढ़ोतरी।

भारत सरकार साक्ष्यों की वैज्ञानिक और समयबद्ध फोरेंसिक जांच के आधार पर एक प्रभावी और कुशल आपराधिक न्याय प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह योजना प्रौद्योगिकी में तेज प्रगति का लाभ उठाते हुए और अपराध के उभरते हुए स्वरूप और तरीकों को देखते हुए एक कुशल आपराधिक न्याय प्रक्रिया के लिए साक्ष्यों की समयबद्ध और वैज्ञानिक जांच में उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षित फोरेंसिक पेशेवरों के महत्व को रेखांकित करती है।

नए आपराधिक कानूनों के अधिनियमन के तहत 7 साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच को अनिवार्य बनाया गया है। ऐसे में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के कार्यभार में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। इसके अलावा, देश में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) में प्रशिक्षित फोरेंसिक पेशेवरों की काफी कमी है।

तेजी से बढ़ती इस मांग को पूरा करने के लिए, राष्ट्रीय फोरेंसिक बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश और विकास अनिवार्य है। राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के अतिरिक्त ऑफ-कैंपस और नई केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (सीएफएसएल) की स्थापना से प्रशिक्षित फोरेंसिक पेशेवरों की कमी दूर होगी, फोरेंसिक प्रयोगशालाओं पर मामलों का बोझ/लंबित मामलों की संख्या कम होगी  और यह भारत सरकार के 90 प्रतिशत से अधिक की उच्च दोषसिद्धि दर सुनिश्चित करने के लक्ष्य के अनुरूप होगा।

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