प्रेम और विश्वास का प्रतीक करवाचौथ पर्व बुधवार को

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-बाजारों में श्रृृंगार का सामान खरीदने वाली महिलाओं की लगी है भीड़
-बढ़ती महंगाई भी महिलाओं की धार्मिक आस्था पर नहीं डाल पा रही है कोई प्रभाव

गुरुग्राम , 31 अक्टूबर : भारत पर्वों का देश माना जाता है। जितने पर्व, त्यौहार व धार्मिक आयोजन भारत देश में होते हैं, उतने विश्व के किसी भी देश में नहीं होते। अक्तूबर नवम्बर माह त्यौहारों का माह माना जाता है। विजय दशमी पर्व के बाद करवाचौथ, अहोई अष्टमी, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन, भाईदूज व छठ पर्व भी इसी दौराना पड़ते हैं। करवाचौथ पर सुहागिनें अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। यह पर्व कल बुधवार को मनाया जाएगा। इस पर्व को प्रेम और विश्वास का पर्व माना जाता है। भारतीय विवाहित महिलाओं के लिए एक चुटकी सिंदूर का बड़ा ही महत्व है। महिलाओं के लिए श्रृंगार का विशेष महत्व है। जहां वे पारंपरिक रुप से सजती संवरती हैं, वहीं विवाह के समय ओढ़ी गई चुनरी भी ओढ़ती हैं।

व्रत का आरंभ

इस व्रत के अंतर्गत शिव, पार्वती, गणेश और चंद्रमा का पूजन किया जाता है। इस व्रत का आरंभ चतुर्थी वाले दिन सरगी से होता है। सरगी से तात्पर्य उस उपहार से है जो इस दिन सास अपनी बहू को वस्त्र, आभूषण, मिठाई आदि देती है। ऐसी मान्यता है कि इस सरगी से बेटे और उसकी पत्नी के सौभाग्य में वृद्धि होती है। महिलाएं सरगी के रुप में मिली मिठाई और अन्य भोज्य पदार्थों को दिन निकलने से पहले ही खा लेती हैं और इसके बाद पूरा दिन निर्जला रहते हुए रात्रि को चंद्रमा के दर्शन के बाद अपना व्रत खोलती हैं।

व्रत वाले दिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी रचाती हैं और पूरा साज-श्रृंगार कर सायं को पार्क अथवा किसी खुले स्थान पर पूजा के लिए एकत्रित होती हैं। करवाचौथ की कथा सुनने के बाद बहू अपनी सास के पांव छूकर उनसे आशीर्वाद लेती हैं और उन्हें करवा सहित उपहार व मिठाईयां भी भेंट करती हैं। रात्रि में चंद्रमा निकलते ही छलनी के माध्यम से अपने पति का मुख देखकर चंद्रमा को अध्र्य देती हैं और पति के हाथों पानी पीकर व्रत का समापन करती हैं।

मिट्टी के बने करवा का है विशेष महत्व

पूजन सामग्री में मिट्टी के बने करवा का विशेष महत्व है, लेकिन आधुनिकता के इस दौर और बदलते परिवेश में पूजन सामग्री भी काफी हद तक बदल गई है। कुमकुम, शहद, अगरबत्ती, फूल, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, महावर, कंघा, बिंदी, चूड़ी, बिछुवा, दीपक, कपूर, गेहूं, हल्दी आदि की जरुरत भी पूजन सामग्री में पड़ती है।

बाजारों में महिलाओं की लगी है भीड़

सौंदर्य सामग्री खरीदने के लिए महिलाओं का शहर के मुख्य सदर बाजार सहित एमजी रोड स्थित मॉल्स में तांता लगा हुआ है। महिलाएं खरीददारी करने पहुंच ही रही हैं।

सौंदर्य सामग्री की दरों में हुई है वृद्धि

सौंदर्य सामग्री की दरें गत वर्ष की अपेक्षा बढ़ी हैं, लेकिन महंगाई का असर महिलाओं की धार्मिक आस्था वाले करवाचौथ पर्व पर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। महिलाएं जमकर खरीददारी कर रही हैं।

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