नई दिल्ली। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के एक घटक संस्थान राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) ने 31 जुलाई 2023 को अनुसंधान विद्वानों, वैज्ञानिकों और युवाओं के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता और समझ बढ़ाने के उद्देश्य से बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पर एक दिवसीय बूट कैंप आयोजित किया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्सव के समापन को चिह्नित करने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम की शुरुआत सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और बूट कैंप के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. ताराकांत जाना के स्वागत भाषण से हुई । उन्होंने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और इसके लक्ष्यों और उद्देश्यों सहित बूट कैंप का अवलोकन प्रस्तुत किया। सीएसआईआर- एनआईएससीपीआर में नवाचार दल के प्रमुख डॉ. सुजीत भट्टाचार्य ने पेटेंट पर एक संक्षिप्त परिचय दिया और प्रतिभागियों को उनकी आवश्यकता के बारे में बताया। इस परिचय के बाद, माननीय मुख्य अतिथि पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक प्रोफेसर उन्नत पी. पंडित ने अपने ऑनलाइन उद्घाटन भाषण के माध्यम से इस अवसर की शोभा बढ़ाई।
उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वरुप किए गए शब्द “टेकेड” जिसका अर्थ है “ प्रौद्योगिकी दशक”, का उपयोग करते हुए बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और आर्थिक उन्नति के लिए आईपी-संचालित उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने में पेटेंट के महत्व के बारे में बात की। मुख्य अतिथि ने आर्थिक लाभ प्राप्त और इसे सुनिश्चित करने में आईपीआर की भूमिका के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रभावी प्रौद्योगिकी उपयोग पर जोर दिया। इस तरह के बूट कैंप स्वयं को इस प्रक्रिया में शामिल करने का एक उपाय भी है।
पहले सत्र के दौरान, डॉ. जना ने रचनात्मकता, आविष्कार और नवप्रवर्तन की अवधारणाओं और ये सभी कैसे आपस में जुड़े हुए हैं पर विस्तार से बात की हैं। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. कनिका मलिक द्वारा आईपीआर, पेटेंट और इसमें शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं पर एक जानकारीपूर्ण प्रस्तुति दी गई। चंडीगढ़ स्थित स्टार्ट-अप, एक्सएल स्काउट ने भी अपना अभिनव नवाचार प्रस्तुत किया।
सीएसआईआर मुख्यालय नई दिल्ली में में नवाचार सुरक्षा एकक (इनोवेशन प्रोटेक्शन यूनिट -आईपीयू), प्रमुख वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री गौरव कृष्ण, नई दिल्ली ने दूसरे सत्र में पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया (ऑनलाइन/ऑफ़लाइन), आवश्यक प्रपत्र, शुल्क आदि के बारे में बात की । बूट कैंप का समापन पेटेंट, डिज़ाइन और व्यापार के पूर्व महानियंत्रक समापन, इस सत्र के माननीय मुख्य अतिथि डॉ. एस.एन. मैती की टिप्पणियों से हुआ। समापन सत्र में शामिल होने वाले अन्य गणमान्य व्यक्तियों में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भर्ती और मूल्यांकन बोर्ड (सीएसआईआर-आरएबी) की प्रमुख डॉ. ज्योति जादव भी थीं, जिन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि ऐसे शिविर, जो बौद्धिक संपदा के विभिन्न पहलुओं में जनता और विद्वानों के बीच जागरूकता पैदा करते हैं अब समय की मांग है और इन्हें निरंतर आयोजित किया जाना चाहिए।