निर्वाचन आयोग ने गुवाहाटी में असम के परिसीमन प्रस्ताव के मसौदे पर जनसुनवाई की

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गुवाहाटी/ नई दिल्ली : निर्वाचन आयोग ने 19-21 जुलाई तक गुवाहाटी में असम के परिसीमन प्रस्ताव के मसौदे पर सार्वजनिक सुनवाई की और आज राज्य के शेष 9 जिलों के अभ्यावेदनों की सुनवाई के साथ इस सत्र का समापन किया। निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे तथा अरुण गोयल ने पिछले तीन दिनों के दौरान परिसीमन प्रस्ताव के मसौदे पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नागरिक समाज संगठनों और लोगों की बातें सुनीं। परिसीमन प्रक्रिया के दौरान सार्वजनिक सुनवाई, आयोग के परामर्श प्रक्रिया का हिस्सा है।

पिछले तीन दिनों के दौरान, आयोग ने 31 जिलों से 1200 से अधिक अभ्यावेदनों पर सुनवाई की और 20 से अधिक राजनीतिक दलों के साथ बैठकें कीं। पिछले तीन दिनों में कुल मिलाकर 6000 से अधिक व्यक्तियों ने सार्वजनिक सुनवाई में भाग लिया। लंबी चली बैठकों में, 20 जुलाई को, सुनवाई कुल मिलाकर 20 घंटे से अधिक चली, क्योंकि तीन आयुक्तों ने 3 स्थानों पर समानांतर सुनवाई बैठकें कीं। 19 जुलाई और 21 जुलाई के दौरान भी सुनवाई इस प्रारूप में ही जारी रही। बैठकों से पहले प्राप्त 1000 से अधिक अभ्यावेदनों के सार की जांच से, इस सत्र में महत्वपूर्ण तथ्यों और हितधारकों की भागीदारी की पहचान की और मौके पर ही पुष्टि की सुविधा मिली।

राष्ट्रीय दलों- आम आदमी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय जनता पार्टी; राज्य राजनीतिक दल- ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, असम गण परिषद, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के प्रतिनिधियों ने आयोग के समक्ष अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव साझा किए।

संयुक्त विपक्षी फोरम असम (असम प्रदेश कांग्रेस, असम जातीय परिषद, सीपीएम, रायजोर दल, सीपीआई, जातीय दल असम, एनसीपी, आरजेडी, जनता दल (यू), टीएमसी, सीपीआई (एमएल) और अन्य) और कई पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) ने भी भाग लिया।

सार्वजनिक सुनवाई के दौरान अभ्यावेदनों की कुछ मुख्य विशेषताएं निम्न हैं:

1. एससी विधानसभा सीटों को 8 से बढ़ाकर 9 और एसटी विधानसभा सीटों को 16 से 19 करने का विभिन्न संगठनों ने व्यापक तौर पर स्वागत किया।

2. कई संगठनों ने 2001 की जनगणना पर आधारित मसौदा प्रस्ताव का स्वागत किया और वे परिसीमन प्रस्ताव के मसौदे से भी काफी संतुष्ट थे।

3. बोडोलैंड के चार जिलों और स्वायत्त पर्वतीय परिषद (हिल काउंसिल) के तीन जिलों के लोगों और संगठनों ने प्रस्ताव का स्वागत किया। हालाँकि, बड़े पहाड़ी भौगोलिक क्षेत्र और कम आबादी वाली बस्तियों के कारण दिमा हसाओ, पश्चिम कार्बी आंगलोंग और कार्बी आंगलोंग जिलों में विधानसभा सीटों की संख्या को और बढ़ाने की मांग की गई। बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र के लोगों ने उदलगुरी और बक्सा जिलों के लिए एक और एसटी संसदीय सीट बनाने की भी मांग की। यदि यह संभव न हो, तो कम से कम दारंग पीसी का नाम बदलकर उदलगुरी कर दिया जाए।

4. बराक घाटी के कुछ प्रतिनिधियों ने करीमगंज संसदीय क्षेत्र के लिए आरक्षित सीट हटाने के निर्णय का स्वागत किया। हालाँकि, बराक घाटी के कई प्रतिनिधियों ने मांग की कि घाटी में विधानसभा सीटों को 13 के स्थान पर 15 को फिर से बहाल किया जाना चाहिए।

5. मसौदा प्रस्ताव का स्वागत करते हुए, कई संगठनों ने क्षेत्र के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और जातीय महत्व पर प्रकाश डालते हुए कुछ संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के नामकरण में बदलाव का अनुरोध किया, जैसे नरसिंगपुर एसी से धोलाई, गोबरधन एसी से मानस, दरांग पीसी से दरांग-उदलगुरी, बताद्रबा एसी से ढिंग, बदरपुर एसी से करीमगंज उत्तर, उत्तरी करीमगंज एसी से करीमगंज दक्षिण, दक्षिण करीमगंज एसी से पत्थरकांडी, रतबारी एसी से रामकृष्ण नगर, मोरन एसी से खोवांग, दिमा हसाओ एसी से हाफलोंग, हाजो एसी से हाजो -सुआलकाची, भवानीपुर एसी से भबानीपुर-सोरभोग, चबुआ एसी से चबुआ-लाहोवाल और अल्गापुर एसी से अल्गापुर-कतलीचेरा।

6. निचले असम, मध्य असम और बराक घाटी जिलों के कुछ संगठनों ने भी निर्वाचन क्षेत्रों की सघनता, निकटता बनाए रखने और जहां तक संभव हो प्रशासनिक इकाइयों को बरकरार रखने का अनुरोध किया। इन मापदंडों के आधार पर, उन्होंने कुछ गांवों/पंचायतों को एक निर्वाचन क्षेत्र से दूसरे निर्वाचन क्षेत्र में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया। अधिकांश अभ्यावेदन एक या दो गांवों/पंचायतों को एक निर्वाचन क्षेत्र से दूसरे निर्वाचन क्षेत्र में स्थानांतरित करने के अनुरोध से जुड़े थे।

7. सिबसागर जिले के कई लोगों ने जगह के ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व का हवाला देते हुए अपने जिले में अमगुरी एसी की बहाली के लिए अभ्यावेदन प्रस्तुत किए।

8. कुछ अभ्यावेदनों ने इस प्रक्रिया के समय पर सवाल उठाया, जबकि अन्य ने अपनाई गई पद्धति की बेहतर समझ के लिए इसे स्थगित करने की मांग की।

9. भौगोलिक विशेषता, दूरी, दूर-दराज स्थित होने, ऐतिहासिकता आदि के आधार पर विशिष्ट गांव, ब्लॉक स्तर की चिंताओं/अनुरोधों पर केंद्रित कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए।

10. कई मामलों में, जहां अभ्यावेदन ने प्राकृतिक बाधाओं, जैसे नदियों आदि से संबंधित कुछ मुद्दों को आयोग के समक्ष रखा, आयोग ने संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों को उचित मानचित्रों के साथ तथ्यात्मक विवरण प्रस्तुत करने के लिए मौके पर ही निर्देश दिए, ताकि उठाए गए मुद्दों पर विचार को अंतिम रूप दिया जा सके।

11. कई अभ्यावेदन पूरी तरह से आकांक्षा आधारित थे और इस प्रक्रिया की सीमा से परे थे।

12. अधिकांश अभ्यावेदन लिखित रूप में प्राप्त हुए थे और समूह स्क्रीन पर अभ्यावेदन का सार देखने में सक्षम थे। आयोग ने नए समूहों को अपनी बात रखने की अनुमति दी।

13. संयुक्त विपक्षी फोरम असम ने आयोग को अवगत कराया कि उन्होंने परिसीमन प्रस्ताव के मसौदे को चुनौती देते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है और मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में 25 जुलाई, 2023 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

आयोग ने संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों, भौगोलिक विशेषताओं, जनसंख्या घनत्व, प्रशासनिक इकाइयों की मौजूदा सीमाओं, संचार की सुविधाओं और सार्वजनिक सुविधा और मार्च 2023 में हुए परामर्श के बाद अभ्यावेदन में प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए परिसीमन प्रस्ताव के प्रारूप के लिए विस्तृत दिशानिर्देश और कार्यप्रणाली तैयार की है।

(विवरण : https://eci.gov.in/files/file/15050-eci-publishes-draft-delimitation-proposal-for-assam-suggestions-objections-invited-till-july-11-2023/ )

पिछले तीन दिनों में आयोजित सार्वजनिक बैठकों के दौरान, आयोग ने समाज के विभिन्न वर्गों और संगठनों के सभी अभ्यावेदनों की प्रमुख बातों को धैर्यपूर्वक सुना और संवैधानिक तथा वैधानिक प्रावधानों के तहत इन पर उचित विचार करने का आश्वासन दिया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने मतभेद या वैमनस्य पैदा किए बिना, विभिन्न मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण को विस्तृत कारणों के साथ, सम्मानजनक और मैत्रीपूर्ण तरीके से परस्पर विरोधी दावों को प्रस्तुत करने की विभिन्न समूहों की क्षमता की सराहना की। श्री कुमार ने कहा कि यह व्यवहार, रचनात्मक संवाद और खुले विचारों के लिए अनुकूल है, जिससे विविध दृष्टिकोणों की गहरी समझ संभव हो पाती है।

जिलेवार प्राप्त अभ्यावेदन:

जिला अभ्यावेदन प्राप्त हुए जिला अभ्यावेदन प्राप्त हुए
गोलपाड़ा 45 दरांग 18
बोंगईगांव 58 हैलाकांडी 61
बारपेटा 78 कछार 106
नलबाड़ी 15 दक्षिण सलमारा 02
सोनितपुर 82 नगांव 65
करीमगंज 50 मोरीगांव 14
धुबरी. 51 कामरूप (एम) 13
पश्चिम कार्बी आंगलोंग 01 चिरांग 13
बक्सा 37 कोकराझार 29
दीमा हसाओ 05 उदलगुड़ी 32
कामरूप 85 कार्बी आंगलोंग 04
तिनसुकिया 16 धेमाजी 61
लखीमपुर 55 जोरहाट 18
गोलाघाट 14 शिबसागर 36
डिब्रूगढ़ 68 माजुली 04
चराइदेव 03 विशेष रूप से संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के संबंध में सुझाव 20
अन्य 33 कुल 1192

 

पृष्ठभूमि

उल्लेखनीय है कि आयोग ने 26.3.2023 से 28.03.2023 तक असम का दौरा किया था और राजनीतिक दलों, जन प्रतिनिधियों, नागरिक समाजों, सामाजिक संगठनों, आम लोगों सहित मुख्य निर्वाचन अधिकारी, राज्य के सभी जिलों के उपायुक्त और जिला निर्वाचन अधिकारी, राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ व्यक्तिगत परिसीमन प्रक्रिया के संबंध में बातचीत की। मार्च 2023 में आयोजित विचार-विमर्श के बाद, कुल मिलाकर 11 राजनीतिक दलों और 71 अन्य संगठनों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए और उन पर विचार किया गया।

इसके बाद, आयोग ने इन सभी अभ्यावेदनों पर विचार किया, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रमुख सुझाव भी शामिल थे:

• 2001 की जनगणना के आधार पर परिसीमन: कुछ समूह इसके पक्ष में थे और कुछ विपक्ष में।

• परिसीमन प्रक्रिया के कार्यान्वयन के दौरान राज्य के जनसांख्यिकीय प्रारूप में बदलाव पर ध्यान दिया जाना चाहिए। असम के कुछ जिलों में जनसंख्या वृद्धि दर कम है, जबकि कुछ जिलों में यह असामान्य रूप से अधिक है। कम जनसंख्या वृद्धि वाले जिलों को नुकसान नहीं होना चाहिए और इन जिलों में सीटों की संख्या में कमी नहीं की जानी चाहिए।

• यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी सामाजिक समूह अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के कारण अलग-थलग महसूस न करे, आवश्यकतानुसार सामान्य मानदंडों की तुलना में कम से कम 25% की परिवर्तन की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे परिसीमन प्रक्रिया के दौरान असम की विविध भौगोलिक विशेषताओं का भी ध्यान रखा जा सकेगा।

• परिसीमन प्रक्रिया में असम के मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।

• ऊपरी असम में जनसंख्या में हुए कम परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, ऊपरी असम में सीटें कम नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि जो लोग राष्ट्रीय जन्म नीति का पालन कर रहे हैं, उन्हें नुकसान नहीं होना चाहिए। निचले असम में जनसंख्या प्रारूप अधिक है, जिस पर आयोग को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

• ऊपरी असम में धेमाजी और जोनाई एसी सीटें, एसटी के लिए आरक्षित की जानी चाहिए। इसके साथ ही यह भी मांग की गई कि धेमाजी जिले की सभी सीटों को आरक्षित नहीं किया जाना चाहिए।

• कामरूप जिले में एसटी के लिए एक सीट आरक्षित होनी चाहिए। कामरूप जिले में चमरिया नाम से नये एसी की मांग की गई। गोलपाड़ा जिले में दुधनोई एसी सीट को एसटी के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए।

• बोडोलैंड में एसटी सीटों की संख्या बरकरार रखी जानी चाहिए और कोकराझार को एसटी के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए। बोडोलैंड में एसी सीटों की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए।

• मैदानी जनजातियों के लाभ के लिए मैदानी क्षेत्रों में एसटी सीटों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में उनकी जनसंख्या में वृद्धि हुई है।

• पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में सीटें बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि वर्तमान में जिले में केवल एक सीट है।

• स्थानीय कारकों पर आधारित कुछ सुझाव थे, जैसे, कुछ खास निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ क्षेत्रों को शामिल करना, एक एसी में कुछ क्षेत्रों की सघनता, सीटों का निर्धारण करते समय समुदायों के हितों को ध्यान में रखना।

इन सुझावों और संवैधानिक तथा कानूनी प्रावधानों के आधार पर, भारत निर्वाचन आयोग ने आरपी अधिनियम 1950 की धारा 8ए में दिए गए प्रावधान के अनुसार विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए मसौदा प्रस्ताव प्रकाशित किया। मसौदा प्रस्ताव को केंद्र और राज्य सरकार के आधिकारिक राजपत्र में 20 जून, 2023 को अधिसूचित किया गया था। तदनुसार, आयोग ने 11 जुलाई, 2023 से पहले तक आम लोगों से मसौदा प्रस्ताव पर सुझाव/आपत्तियाँ आमंत्रित करने के लिए सार्वजनिक सूचना जारी की थी।

 

आयोग को राजनीतिक दलों, नागरिक समाज, सामाजिक और अन्य संगठनों तथा आम लोगों के सदस्यों से अभ्यावेदन/सुझाव प्राप्त हुए। इसके बाद, चुनाव आयोग ने सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से अपने सुझाव/आपत्तियां प्रस्तुत करने वाले संगठनों/जनता के सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से सुनने के लिए सार्वजनिक बैठकों की तारीखों को अधिसूचित किया और गुवाहाटी में 19-21 जुलाई, 2023 तक की तारीखें निर्धारित कीं।

परिसीमन प्रस्ताव में लोकसभा सीटों की संख्या 14 और विधानसभा सीटों की संख्या 126 बनाए रखने का प्रयास किया गया है। अनुसूचित जनजाति को राज्य विधानसभा की 126 सीटों में से 19 सीटें और 14 लोकसभा सीटों में से 2 सीटें आवंटित किए जाने का प्रस्ताव है। अनुसूचित जाति को विधानसभा में 09 सीटें और लोकसभा में एक सीट आवंटित किए जाने का प्रस्ताव है। असम में पिछला परिसीमन 1976 में हुआ था।

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