नई दिल्ली : डीएफपीडी सचिव संजीव चोपड़ा ने आज उद्योग जगत के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक के दौरान कहा कि खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को जल्द दिया जाना चाहिए।
आयातित खाद्य तेलों की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का रुझान है, जो भारत में खाद्य तेल क्षेत्र में सकारात्मक परिदृश्य प्रदान करता है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईएआई) और इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) के प्रतिनिधि वैश्विक कीमतों में गिरावट के बीच खाद्य तेल की खुदरा कीमतों में और कमी पर चर्चा करने के लिए मौजूद थे।
उद्योग जगत ने बताया कि पिछले दो महीनों में विभिन्न खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतों में 200-250 डॉलर प्रति टन की गिरावट आई है, लेकिन खुदरा बाजारों में इसका प्रभाव दिखने में समय लगेगा और खुदरा कीमतों में जल्द ही कमी आने की उम्मीद है।
प्रमुख खाद्य तेल संघों को सलाह दी गई कि वे इस मुद्दे पर अपने सदस्यों के साथ तुरंत बातचीत करें और यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक तेल की एमआरपी, खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के अनुरूप तत्काल प्रभाव से कम की गयी है। निर्माताओं और रिफाइन करने वालों द्वारा वितरक के लिए मूल्य (पीटीडी) को भी तत्काल प्रभाव से कम किये जाने की आवश्यकता है, ताकि कीमतों में गिरावट किसी भी तरह से बेअसर न हो जाए।
यह भी बताया गया कि जब भी निर्माताओं/रिफाइन करने वालों द्वारा वितरकों को मिलने वाली कीमत में कमी की जाती है, तो उद्योग द्वारा उपभोक्ताओं को लाभ दिया जाना चाहिए और इस विभाग को नियमित रूप से सूचित किया जाना चाहिए। जिन कंपनियों ने अपनी कीमतें कम नहीं की हैं और उनकी एमआरपी अन्य ब्रांडों की तुलना में अधिक है, उन्हें भी कीमतों को कम करने की सलाह दी गई।
इस बैठक में मूल्य डेटा संग्रह और खाद्य तेलों की पैकेजिंग जैसे अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
इससे पहले भी प्रमुख खाद्य तेल संघों के साथ विभाग की बैठकों के बाद उद्योग जगत द्वारा सूरजमुखी तेल, सोयाबीन तेल और सरसों के तेल जैसे खाद्य तेलों की एमआरपी कम कर दी गई थी। खाद्य तेल की कीमतों में कमी, अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आयी गिरावट और खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कम करने के कारण हुई है। उद्योग को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई थी कि कम शुल्क का पूरा लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाए।
खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट का रुझान दिखने लगा है और खाद्य तेल उद्योग द्वारा और कटौती की जाने वाली है, ऐसे में भारतीय उपभोक्ता सस्ती कीमत पर अपने खाद्य तेलों की खरीद की उम्मीद कर सकते हैं। खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट से महंगाई को भी कम करने में मदद मिलेगी।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग देश में खाद्य तेलों की कीमतों की बारीकी से निगरानी और समीक्षा करता है और खाद्य तेल, जो मानव आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, की कीमत को किफायती स्तर पर रखने को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाता है, जब भी किसी हस्तक्षेप की जरूरत होती है। उच्च इनपुट और लॉजिस्टिक लागत सहित कई वैश्विक कारकों की वजह से 2021-22 के दौरान खाद्य तेल की अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कीमतों में वृद्धि हुई थी।
हालांकि अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट धीरे-धीरे घरेलू बाजार में भी दिखाई दे रही है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है।