आजादी के सौ साल बाद ‘’कैसा हो 2047 का भारत’’, विज ने कहा इस विषय पर लेखक अवश्य लिखें पुस्तक

Font Size

1857 के आंदोलन के इतिहास को साहित्यकारों ने तथ्यों सहित खोजकर निकाला, शहीदों की याद में अम्बाला छावनी में बन रहा शहीद स्मारक 

यूक्रेन में युद्ध और देश दोनों साथ-साथ चल रहे हैं, युद्ध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो स्टैंड लिया उसकी समूचे विश्व में हो रही सराहना : 

साहित्यिक सम्मेलन में गृह मंत्री अनिल विज ने यूक्रेन युद्ध पर लिखी ‘इम्पैक्ट ऑन इंटरनेशनल रिलेशन्स एंड इंडिया’ और ट्रांसजेंडर के अधिकारों पर लिखी ’ट्रांसजेंडर एंड ह्यूमन राइट्स’ पुस्तक का विमोचन किया

चंडीगढ़, 30 अक्तूबर। हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि साहित्यकारों व लेखकों को पुस्तक लिखने के लिए वह एक विषय वह देना चाहते हैं कि ‘’2047 का भारत कैसा होगा’’। हमें 1947 में आजादी मिली थी और सौ साल बाद का भारत कैसा होना चाहिए, इसपर किताब अवश्य लिखी जानी चाहिए।

श्री विज रविवार दोपहर अम्बाला छावनी के सेंट्रल फीनिक्स क्लब में प्रो. वीर सेन विनय मल्होत्रा ट्रस्ट द्वारा आयोजित ‘’साहित्यिक सम्मेलन’’ में बतौर मुख्यतिथि विभिन्न क्षेत्रों से एकत्रित हुए साहित्यकारों व लेखकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वह चाहते है कि 2047 के भारत पर साहित्यकार अवश्य लिखें। उन्होंने कहा कि साहित्यकार देश का निर्माण कर रहे हैं और वह जो दिशा देता है उसी पर सरकार और समाज आगे चलता है। समाज की रचना में साहित्यकारों का बहुत बड़ा योगदान है, साहित्यिक सम्मेलन में जो भी किताबें लिखी है उन्हें देख गर्व होता है कि अम्बाला के लोग इतनी अच्छी किताबें लिख रहे हैं।

कार्यक्रम में गृह मंत्री अनिल विज ने डा. विनय मल्होत्रा द्वारा यूक्रेन युद्ध पर लिखी ‘इम्पैक्ट ऑन इंटरनेशनल रिलेशन्स एंड इंडिया’ और प्रो. डा. जगदीप शीरा द्वारा लिखित ’ट्रांसजेंडर एंड ह्यूमन राइट्स’ पुस्तक का विमोचन कर साहित्यकारों को अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि हम अम्बाला छावनी से सन् 1857 की आजादी के पहले प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की आवाज ‘शहीद स्मारक’ बनाकर उठा रहे हैं और अब यहां के साहित्यकारों की आवाज भी निश्चित तौर पर सारे देश में गूंजेगी। उन्होंने प्रो. वीर सेन विनय मल्होत्रा ट्रस्ट द्वारा साहित्य एवं सामाजिक क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। इस अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. विनय कुमार मल्होत्रा, इतिहासकार तेजिंद्र सिंह वालिया, डा. यूवी सिंह, भाजपा नेता बलकेश वत्स, सुरेंद्र तिवारी, डा. देशबंधु सहित अन्य मौजूद रहे।

किताब पढ़ने के शौकीनों के लिए लाइब्रेरी तैयार, जल्द बनेगी डिजिटल लाइब्रेरी : गृह मंत्री अनिल विज

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि विचार हर व्यक्ति के मन में आते हैं, मगर एकीकृत और किसी दिशा में आए और उस विचार को कागजों में उतारा जा सके ऐसी बहुत कम लोगों पर परामात्मा की कृपा होती है। उन्होंने कहा कि आज इंटरनेट युग में लोगों का रूझान किताबों की ओर कम हुआ है, मगर हम अच्छे विषय निकाल-निकाल कर लाएंगे तो लोग सारे काम छोड़कर इन किताबों को पढ़ना चाहेंगे। किताबे पढ़ने वालों के लिए अम्बाला छावनी लघु सचिवालय में नई लाइब्रेरी का निर्माण किया गया है और सुंदर लाइब्रेरी बनाई गई है। जल्द ही यहां डिजिटल लाइब्रेरी भी तैयार होगी। उन्होंने कहा कि आज इसी लाइब्रेरी में 300 से 400 तक बच्चे पढ़ने के लिए आ रहे हैं, लड़कों व लड़कियों के लिए अलग-अलग हॉल पढ़ने के लिए बनाए गए हैं।

अनछुए विषयों पर साहित्यकार आकर्षित करता है ध्यान, 1857 के आंदोलन के इतिहास को साहित्यकारों ने तथ्यों सहित ढूंढ निकाला : मंत्री अनिल विज

गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि हमारे समाज की जो रचना हुई या हो रही है जोकि समय-समय पर बदलती भी है वह साहित्यकारों की देन है। साहित्यकार अपनी लेखनी से वहां पहुंचता है जहां सरकार अपने सारे साधनों के साथ नहीं पहुंच पाती। साहित्यकार उन विषयों की ओर समाज का ध्यान आकर्षित करता है जो पूरी तरह से अनछुए होते हैं। उन्होंने कहा कि वह उल्लेख करना चाहेंगे कि सन् 1857 में आजादी की पहली लड़ाई पर लिखने वाले साहित्यकार तेजिंद्र वालिया और प्रो. यूवी सिंह जो यहां मौजूद है जिन्होंने काफी कुछ खोज कर तथ्यों के साथ इतिहास को पुस्तकों पर उतारा है। किताबों में तथ्यों सहित यह सिद्ध कर दिया कि आजादी की पहली लड़ाई मेरठ से 10 घंटे पहले अम्बाला छावनी से शुरू हुई थी। 10 मई को प्रात: 9 बजे सात नेटिव इन्फेंट्री ने आजादी के आंदोलन को शुरू कर दिया था। तथ्य सामने आ रहे हैं कि 10 मई से पहले यहां आंदोलन चलाया जा रहा था क्योंकि जो कारतूस देने का डिपो था वह अम्बाला छावनी, दमदम और सियालकोट में था।

अम्बाला में जितने भी सिपाही कारतूस लेने आते थे और यहीं आंदोलन की रूपरेखा बनाते थे। 26 मार्च से उन लोगों की कोठियों व दफ्तरों को आग लगानी शुरू कर दी थी जो उनके इस काम में बाधा थे। इसके पुख्ता सबूत सामने आ गए हैं। 10 मई को यह अम्बाला से इसलिए शुरू हुआ क्योंकि 10 मई को रविवार था और इसी दिन सभी अंग्रेज चर्च में इकट्‌ठा होंगे और अंग्रेजों को चर्च में बंद करके गोलियों से भून दिया जाएगा और आगे बढ़ा जाएगा। श्री विज ने कहा कि यह सब कुछ इतिहासकारों की वजह से मुमकिन हो पाया और इसी इतिहास को अम्बाला छावनी में बन रहे शहीद स्मारक में प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अम्बाला छावनी में बन रहे शहीद स्मारक को बनाने के लिए राष्ट्र स्तरीय कमेटी गठित की है जिसमें इतिहासकार तेजिंद्र वालिया और डा. यूवी सिंह को शामिल किया गया है।

विज ने कहा, यूक्रेन में युद्ध और देश दोनों साथ-साथ चल रहा है, पुस्तकों का विमोचन कर लेखकों की प्रशंसा की गृह मंत्री विज ने

गृह मंत्री अनिल विज ने कार्यक्रम में ‘इम्पैक्ट ऑन इंटरनेशनल रिलेशन्स एंड इंडिया’ और’ट्रांसजेंडर एंड ह्यूमन राइट्स’ पुस्तक के लेखकों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि यूक्रेन वार पर देश में लिखी यह पहली पुस्तक है। निश्चित तौर पर डा. विनय मल्होत्रा जी ने इस पुस्तक में युद्ध के विश्व पर क्या प्रभाव पड़ सकते है और क्या पड़े हैं इसका जिक्र अवश्य पुस्तक में किया होगा। उन्होंने कहा युद्ध उम्मीद से ज्यादा लंबा हुआ है और यूक्रेन के लोग बहादुरी के साथ रूस जैसी महाशक्ति से लड़ रहे है। यूक्रेन में युद्ध और देश दोनों चल रहा है और उन्हें उम्मीद है कि लेखक विनय मल्होत्रा जी ने इन सभी विषयों प्रकाश डाला होगा। भारत का युद्ध पर क्या दृष्टिकोन है यह महत्वपूर्ण है और मैं समझता हूं कि प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने जो स्टैंड लिया उसपर समूचे विश्व में इसकी सराहना हो रही है। गृह मंत्री अनिल विज ने यूक्रेन के नागरिकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वहां चल रहे युद्ध के बीच लोग जीवन को चला रहे हैं, सारे संसार को यह जानना होगा कि किस प्रकार से वह युद्ध और जीवन दोनों को चला रहे हैं। गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि हमने भी अम्बाला में सन् 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध को देखा। 1965 में युद्ध हुआ तो आधा अम्बाला खाली हो गया था क्योंकि यहां सैन्य छावनी थी और इस कारण लोग यहां से पलायन कर गए थे। मगर, 1971 के युद्ध में लोगों के हौंसले खुल गए थे और तब जब जंगी विमान आते थे तो वह खुद किसी छत पर चढ़कर उसे देखते थे जबकि 65 के युद्ध में लोग खाईयों में छिप जाते थे।

उन्होंने कहा राजकीय कालेज नारायणगढ़ के साहित्यकार प्रो. डा. जगदीप शीरा को ट्रांसजेंडर के ह्यूमन राइट पर लिखी पुस्तक पर बधाई दी। उन्होंने कहा अपेक्षित वर्ग में जाकर उनके दुख तकलीफों को सामने लाना यह प्रशंसा का विषय है। उनकी दुख तकलीफों उनकी आवश्यकताओं एवं अधिकारों को सामने लाना यह अच्छी बात है। हम जानवरों के बारे में सोचते हैं, मगर ट्रांसजेंडर जोकि उपेक्षा का शिकार है उनके बारे लिखना प्रशंसनीय है।

विज बोले, ‘’मेरी एक प्रार्थना है, मेरे दिन में 24 की जगह 48 घंटे कर दो’’

कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री अनिल विज ने लोगों से प्रार्थना करते हुए कहा कि वह लोगों के दिनभर कार्य करते हैं और व्यस्त रहते हैं, वह चाहते हैं कि लोग भी उनका एक काम कर दें। उन्होंने कहा कि ‘’मुझे पढ़ने का शौक बहुत है, मगर मुझे समय नहीं मिलता, मैंने कई बार लोगों से प्रार्थना की है कि मैं लोगों के इतने काम करता हूं और लोग केवल मेरा एक काम कर दें कि मेरे दिन में 24 की जगह 48 घंटे कर दो, मैं अपनी हॉबी पर ध्यान ही नहीं दे पा रहा हूं और आप यदि मेरे घंटे बड़ा देंगे तो मैं अपनी हॉबी पर ध्यान दे पाऊंगा और किताबों को पढ़ने के लिए समय निकाल पाऊंगा।‘’

You cannot copy content of this page