नई दिल्ली : ब्रिटेन के नए महाराज चार्ल्स तृतीय ने संसद में दिए अपने पहले संबोधन में ‘‘इतिहास के महत्व’’ और ‘‘अपनी प्रिय दिवंगत मां’’ का जिक्र किया. राजकीय शोक के इस कार्यक्रम में संसद के लगभग 900 सदस्य शामिल हुए और देश के नये महाराज के प्रति निष्ठा व्यक्त की. हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर सर लिंडसे हॉयल ने शोक संदेश पढ़ा जिसे बाद में ब्रिटेन के नये महाराज को सौंपा गया.
ब्रिटेन के महाराज के रूप में चार्ल्स तृतीय ने सोमवार को पहली बार संसद को संबोधित किया और ‘‘संवैधानिक शासन के अनमोल सिद्धांतों” को बनाए रखने में अपनी ‘‘प्रिय दिवंगत मां” महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा पेश की गई निस्वार्थ कर्तव्य की मिसाल का पालन करने का संकल्प लिया.लंदन में वेस्टमिंस्टर हॉल में हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स की ओर से जतायी गई संवेदनाओं के जवाब में महाराज चार्ल्स तृतीय ने अपनी मां के शासनकाल के कई प्रतीकों का उल्लेख करते हुए, “इतिहास के भार” का जिक्र किया. उन्होंने दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि देने के लिए विलियम शेक्सपियर की पंक्तियों का उल्लेख किया। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का बृहस्पतिवार को स्कॉटलैंड में 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.
चार्ल्स ने कहा, ‘‘कम उम्र में दिवंगत महारानी ने अपने देश और अपने लोगों की सेवा करने और संवैधानिक सरकार के अनमोल सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया. महारानी ने इस प्रतिबद्धता को बड़ी निष्ठा के साथ निभाया. उन्होंने निस्वार्थ कर्तव्य की एक मिसाल कायम की, जिसका ईश्वर और आपके परामर्श से मैं ईमानदारी से पालन करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं.” सांसदों के साथ अपने स्वयं के संबंधों की बात करते हुए चार्ल्स ने संसद को ‘‘देश के लोकतंत्र का जीवंत तंत्र” बताया और अपनी दिवंगत मां के साथ उसके संबंधों” पर प्रकाश डाला.