ज्ञानवापी और श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में हिन्दू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य घोषित

Font Size

नई दिल्ली : देश के प्रमुख धार्मिक शहर वाराणसी में ज्ञानवापी और श्रृंगार गौरी मंदिर मामले पर जिला अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया. ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी पोषणीयता मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि “इस मुकदमे की सुनवाई होगी.” यानी यह याचिका सुनवाई योग्य मानी गई. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “वाराणसी-ज्ञानवापी परिसर को लेकर दायर मुकदमा नंबर 693/2021 (18/2022) राखी सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, उपरोक्त मुकदमा न्यायालय में चलने योग्य है. यह निर्धारित करते हुए प्रतिवादी संख्या 4 अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी के द्वारा दिए गए 7/11 के प्रार्थना पत्र को खारिज किया गया.”

इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर 2022 को होगी. इस मामले में दायर मुस्लिम पक्ष की याचिका को आदालत ने खारिज कर दी है . माना जा रह है कि मुस्लिम पक्ष अब इस आदेश के खिलाफ अपील में हाईकोर्ट जाएगा.  वाराणसी की जिला अदालत के फैसले के बाद यूपी सरकार में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने न्यायालय के निर्णय को बहुत अच्छा बताया है. उन्होंने कहा है कि यह निर्णय लोगों की भावनाओं के अनुरूप है इसीलिए प्रदेशभर में खुशी की लहर है. उन्होंने सभी पक्षों से प्रदेश में शान्ति बनाए रखने की अपील की है .

जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने आज जब फैसला सुनाया तब हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन अदालत में मौजूद थे. इस दौरान 5 वादी महिलाओं में से 3 – लक्ष्मी देवी, रेखा आर्य और मंजू व्यास भी कोर्ट में पहुंचीं. राखी सिंह और सीता साहू नहीं आईं .कोर्ट रूम में कुल 40 लोग मौजूद थे . कोर्ट रूम से 50 कदम दूर ही बाकी लोगों की इंट्री रोकी दी गई थी.

आपको बता दें कि 18 अगस्त 2021 को विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर के कोर्ट में एक मुकदमा दाखिल किया था . इस मुकदमे में पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन पूजन की अनुमति मिले ज्ञानवापी परिषद में अन्य देवी देवताओं के विग्रह की सुरक्षा का मुकम्मल इंतजाम है. इस याचिका पर 23 अगस्त की सुनवाई में दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

You cannot copy content of this page